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    नगर निगम चुनाव में पानी की तरह पैसे बहाने वालों पर होगी आयकर की नजर, दानवीर बने तो कसेगा शिकंजा

    By Jagran NewsEdited By: Deepak Kumar Pandey
    Updated: Wed, 23 Nov 2022 02:26 PM (IST)

    धनबाद में नगर निगम चुनाव दिसंबर में होने जा रहा है। प्रत्याशी जीत के लिए जी जान लगाने में जुटे हैं। धनबल का प्रयोग भी खूब होगा। मेयर की सीट और सभी 55 ...और पढ़ें

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    उम्मीदवार 15 लाख तथा पार्षद तीन लाख तक खर्च कर सकेंगे।

    धनबाद [आशीष सिंह]: धनबाद में नगर निगम का चुनाव दिसंबर में होने जा रहा है। महिला सीट होने के कारण प्रत्याशी जीत के लिए जी जान लगाने में जुटे हैं। धनबल का प्रयोग भी खूब होगा। मेयर की सीट और सभी 55 वार्ड में एक दर्जन से अधिक प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं। पैसा भी पानी की तरह से बहेगा। ऐसे में हाई प्रोफाइल सीटों पर होने वाले खर्चें पर आयकर विभाग की नजर रहेगी।

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    निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों के लिए अपने कार्यकर्ताओं से कराए जाने वाले जलपान का रेट भी फिक्स कर दिया है। पार्षद उम्मीदवार पांच लाख रुपये खर्च कर सकते हैं। जिस नगर निगम की आबादी 10 लाख से कम है, वहां के मेयर उम्मीदवार 15 लाख तथा पार्षद तीन लाख तक खर्च कर सकेंगे। 2011 में धनबाद नगर निगम की आबादी लगभग 12 लाख थी। इसलिए धनबाद नगर निगम के मेयर प्रत्याशी 25 लाख और पार्षद पांच लाख रुपये तक खर्च कर सकते हैं। चुनाव में बड़े पैमाने पर काली कमाई का उपयोग होता है। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार कागजी खानापूर्ति के लिए तो तय धनराशि ही खर्च करते हैं, लेकिन पर्दे के पीछे बड़ा खेल होता रहता है। आयकर विभाग इसपर नजर बनाए हुए है। आयकर अधिकारियों के अनुसार धनबाद प्रक्षेत्र के अंतर्गत देवघर, गिरिडीह, दुमका, पाकुड़, साहेबगंज, जामताड़ा, गोड्डा एवं धनबाद शामिल है।

    आय के प्रमुख स्रोत पर पता लगाया जाएगा टैक्स

    आयकर विभाग चुनाव की घोषणा से पहले ही ऐसे लोगों पर नजर रख रहा है जो अधिक खर्च कर सकते हैं। यह भी देखा जाएगा कि ऐसे कौन लोग हैं ,जो चुनाव में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर बड़ी धनराशि खर्च कर रहे हैं। ऐसे लोगों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है। नवधनाढ्यों के पास आय के प्रमुख स्रोत क्या हैं और उन्होंने कितना टैक्स जमा किया, इसका भी आकलन किया जाएगा। नगर निगम में मेयर के उम्मीदवार को 25 लाख और पार्षद के उम्मीदवार को पांच लाख रुपये खर्च करने का अधिकार है।

    चुनाव आयोग की ओर से इसकी मॉनीटरिंग की जाती है। उम्मीदवारों की ओर से खानापूर्ति की जाती है। आलम यह है कि चुनाव खत्म होने के बाद कोई अपने खर्च का ब्योरा नहीं जमा कराता है। नगर निगम चुनाव में उम्मीदवार आयोग को चकमा देने के लिए जगह-जगह होर्डिंग्स बैनर व विज्ञापन में निवेदक का नाम डाल देते हैं। बहुत से उम्मीदवारों की ओर से आय का पूरा ब्योरा तक नहीं दिया जाता है। ऐसे में आयकर विभाग अपना होमवर्क कर रहा है कि कौन क्या है। चुनाव लड़ने व लड़ाने की भूमिका में सबसे अधिक कारोबारी हैं। पैसा पानी की तरह बहेगा। इस कालेधन पर शिकंजा कसने के लिए आयकर विभाग अपने स्तर पर काम कर रहा है। चुनाव के दौरान आयकर विभाग की ओर से बैंक से होने वाले बड़े ट्रांजेक्शन पर भी नजर रखी जा रही है।