Gandey Vidhan Sabha Seat: गांडेय सीट पर कौन मारेगा बाजी, कल्पना सोरेन और मुनिया देवी में किसका पलड़ा भारी?
Jharkhand Assembly Election Result झारखंड में गिरिडीह और गांडेय विधानसभा सीटों पर इस बार आर या पार का मुकाबला होता नजर आ रहा है। झामुमो और भाजपा के बीच सीधी टक्कर होने की संभावना है। गांडेय में कल्पना सोरेन के लिए इस बार की लड़ाई आसान नहीं रहने वाली है। मुनिया देवी से सीधी टक्कर मिलती नजर आ रही है।
प्रमोद चौधरी, गिरिडीह। गिरिडीह व गांडेय सीट पर झामुमो व भाजपा में सीधी टक्कर की संभावना है। इसमें गिरिडीह से झामुमो के कद्दावर नेता सुदिव्य और भाजपा के निर्भय आमने सामने हैं। वहीं गांडेय में नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाली झामुमो की कल्पना सोरेन और भाजपा से जिला परिषद अध्यक्ष सह प्रत्याशी मुनिया देवी एक-दूसरे को मात देने में लगी है। कहा नहीं जा सकता कि कौन किसको पछाड़ेगी?
पर इतना तय है कि कि कल्पना के लिए पिछला उपचुनाव जैसी व सुदिव्य के लिए पिछले चुनाव जैसी जीत का सफर आसान नहीं है। गांडेय के मतदाताओं ने उपचुनाव में इसललिए हाथों-हाथ उठा लिया था कि वे जीतेंगी तो सीएम बनेंगी। इस पूरे क्षेत्र का विकास होगा। उससे ऊपर श्रेय भी मिलेगा कि सीएम गांडेय से बनी हैं।
उस समय हेमेत सोरेन जेल में थे। अब हेमंत के रहते वह सीएम बनेंगी नहीं। ऐसे में पिछले चुनाव में गांडेय में कल्पना को जो यादव, माहुरी, वैश्य व अगड़ा का वोट मिला था, इस बार मुनिया ने सेंधमारी कर दी। यही स्थिति गिरिडीह में सुदिव्य के साथ हुई है। संबंधित वर्ग को जो वोट पिछले चुनाव में इन्हें मिला था, इस बार मारवाड़ी समेत भाजपा में शिफ्ट कर गया है। पर, सोनू फील्डिंग सजाने में माहिर शुरू से है। कही का नुकसान, कहीं नफा वे पंचपोनियां को लेकर कर सकते हैं।
झामुमो पर भारी रहा एक रहोगे तो सेफ रहोगे का नारा
मतदान खत्म होने के बाद जीत की कयास लगाए जा रहे हैं।गत 2019 के चुनाव से इस चुनाव की दिशा-दशा अलग है। देखा जा रहा है कि तीर धनुष पर कमल भारी है। हालांकि सरकार के साथ चुनाव लड़ रही विपक्षी गठबंधन भी कई क्षेत्रों में काफी अच्छी नज़र आई। भाजपा का एक रहोगे तो सेफ रहोगे का नारा बड़ा फैक्टर रहा।झामुमो गिरिडीह विधानसभा में अगर पिछड़ता है तो बड़ा कई कारण होगा। एक तो अतिविश्वास। सहयोगी दल कांग्रेस को पूरी चुनाव में दरकिनार रखना। विकास की गंगा बहाने वाले विधायक सुदिव्य कुमार ऐसे लोगो के बीच घिरे रहते थे जो कभी उनके थे ही नहीं। पांच सालों तक सरकार से लाभ लेने वाले कई बड़े चेहरे चुनाव के वक्त भीतर कर भाजपा के साथ अंदर से हो गए।
लोकसभा चुनाव में झामुमो और कांग्रेस जिलाध्यक्ष के वार्ड में झामुमो का कमजोर प्रदर्शन रहा पर इसे इस बार गंभीरता से नहीं लिया गया। इसके बावजूद झामुमो की जीत की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है।मुफ्फसिल और पीरटांड़ का क्षेत्र झामुमो के लिए आशा की किरण है।वहीं भाजपा का पूरा कार्यकर्ता सड़क से लेकर बूथ तक डटे नजर आए। भाजपा में भितरघात नहीं होना झामुमो के लिए चिंता का विषय रहा।जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम प्रत्याशी नवीन चुनाव तो काफी बेहतर ढंग से लड़े पर, वह प्रयास को वोट में तब्दील करते दिखे। वे अब किसी की हार व जीत का फैक्टर बनेंगे।यहां सीधा मुकाबला झामुमो और भाजपा के बीच ही है।
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