Jharkhand Elections 2024: 'समय से पहले चुनाव लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ', झामुमो ने लिखा निर्वाचन आयोग को पत्र
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मांग की है कि झारखंड विधानसभा का चुनाव तय समय पर कराया जाए। मोर्चा का कहना है कि राज्य सरकार का कार्यकाल दिसंबर के अंत में खत्म हो रहा है और चुनाव आयोग को समय रहते चुनाव की तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए। झामुमो ने यह भी कहा है कि भाजपा आदिवासियों की चिंता करने का ढोंग बंद करे।
राज्य ब्यूरो, रांची। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने चुनाव आयोग से एक बार फिर कहा है कि तय समय पर राज्य विधानसभा का चुनाव संपन्न कराया जाए। इस संबंध में मोर्चा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है। इसमें उल्लेख है कि राज्य सरकार का कार्यकाल दिसंबर के अंतिम में खत्म होगा।
हरियाणा सरकार का कार्यकाल अक्टूबर तक है, इसलिए वहां पर इसी माह चुनाव हुए। झारखंड में वर्ष 2019 में 23 दिसंबर को निर्वाचन आयोग का रिजल्ट आया। इसके बाद पांच जनवरी, 2020 को औपचारिक रूप से विधानसभा का गठन हुआ। यहां सूचनाएं आ रही हैं कि समय पूर्व चुनाव कराया जाए।
महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि विगत 23 सितंबर को चुनाव आयोग की टीम आई, तब हमलोगों ने कहा था कि जनादेश के विपरीत जाकर काम करना लोकतंत्र के खिलाफ होगा। हमें पांच साल का जनादेश है।
हम चुनाव से डरते नहीं: सुप्रियो
उन्होंने कहा कि हम चुनाव से डरते नहीं है और हमेशा तैयार रहते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि हरियाणा और महाराष्ट्र के साथ भी भेदभाव नहीं होगा तो, फिर झारखंड के साथ ऐसा क्यों हो रहा है। 15 नवंबर तक कई पर्व-त्योहार हैं। दिसंबर में चुनाव के लिए पूरा माह बच रहा है।
दस से अधिक सीटें नहीं जीत पाएगी भाजपा
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि विधानसभा चुनाव में भाजपा दस से अधिक सीट नहीं जीत पाएगी। चुनाव नजदीक आने पर पीएम मोदी को आदिवासियों की याद आने लगी है।
सुप्रियो ने कहा कि केंद्र को वास्तव में झारखंड के आदिवासियों की चिंता है तो, केंद्रीय कोल कंपनियों पर राज्य का बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये तुरंत वापस करे। कोयला कंपनियों पर झारखंड का बकाया कोई छोटी रकम नहीं है। ये कई राज्यों के वार्षिक बजट से भी अधिक है।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र से झारखंड को सौगात नहीं चाहिए। सिर्फ अपना बकाया वापस रकम चाहिए। झारखंड को अपना हक और अधिकार चाहिए। भाजपा और केंद्र सरकार आदिवासियों की चिंता की ढोंग बंद करे। हरियाणा और पंजाब से भी अधिक यहां भाजपा की हालत खराब है।
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