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Khunti Election 2024: उग्रवादियों के गढ़ में लोकतंत्र की गूंज, खूंटी और तोरपा विधानसभा में हुई बंपर वोटिंग

उग्रवादियों का गढ़ रहे खूंटी और तोरपा विधानसभा क्षेत्र के सुदूरवर्ती गांवों में लोकतंत्र की गूंज रही। बिना किसी डर के मतदाताओं ने मतदान केंद्र पहुंचकर वोट डाला। शाम पांच बजे तक खूंटी में 69.53 प्रतिशत और तोरपा में 67.03 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई। वोट डालने पहुंचे मतदाताओं ने कहा कि उन्हें अब किसी का डर नहीं है सिस्टम पर भरोसा है।

By Divya Agnihotri Edited By: Divya Agnihotri Updated: Thu, 14 Nov 2024 10:20 AM (IST)
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खूंटी जिले में बेखौफ मतदाताओं ने की वोटिंग
दिलीप कुमार, रांची। उग्रवाद की आग में वर्षों तक झुलसते रहे खूंटी जिले के दोनों विधानसभा क्षेत्र खूंटी व तोरपा में इस बार लोकतंत्र की गूंज रही। कभी उग्रवादियों के भय से घर से नहीं निकलने वाले मतदाताओं के चेहरे पर सुकून व सिस्टम का भरोसा साफ झलक रहा था। विधानसभा चुनाव में बुधवार को इन दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों के घोर जंगल व ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाताओं की लंबी कतार दिखी। शाम पांच बजे तक खूंटी में 69.53 प्रतिशत व तोरपा में 67.03 प्रतिशत वोट पड़े। यहां खूंटी में 11 प्रत्याशी व तोरपा में 12 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद हो गया।

उग्रवादियों के भय को छोड़कर इस बार यहां के मतदाता घरों से बाहर निकले, मतदान केंद्रों पर पक्तिबद्ध होकर अपनी बारी का इंतजार किया और मतदान किया। इन दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में बंपर मतदान ने यह साबित कर दिया कि बुलेट पर बैलेट भारी है।

न पत्थलगड़ी की बाधा रही, न माओवादियों-उग्रवादियों का भय। बेखौफ मतदाताओं के चेहरे पर सुकून था। मतदाताओं ने बेखौफ होकर शांतिपूर्ण मतदान किया। इस दौरान मतदाताओं ने कहा कि अब किसी का भय नहीं है, सिस्टम पर भरोसा है।

ग्रामीणों ने चमचमाती ग्रामीण सड़कों को स्वीकारा है। साथ ही आने वाले समय में विजयी प्रत्याशी से बेहतर शिक्षा व्यवस्था की उम्मीद जताई है। खूंटी विधानसभा क्षेत्र का एक व तोरपा विधानसभा क्षेत्र के 15 बूथ अति संवेदनशील थे, जहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। इसका असर यह रहा कि यहां भी उम्मीद से बेहतर व शांतिपूर्ण मतदान हुआ।

सुबह 7 बजे से लगी मतदाताओं की कतार

खूंटी व तोरपा विधानसभा क्षेत्र के बूथों पर सुबह सात बजे से ही मतदाताओं की लंबी कतार लग गई थी। खूंटी विधानसभा क्षेत्र में कर्रा प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय चापी गुनी में मतदान केंद्र संख्या 35 पर मतदाताओं की लंबी कतार लगी थी। यहां 885 मतदाताओं को अपने मतदाधिकार का प्रयोग करना था। बिना किसी विवाद के व्यवस्थित तरीके से सबकुछ सामान्य तरीके से चलता रहा। खूंटी के शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक के बूथों पर मतदाता जुटे रहे।

तोरपा विधानसभा क्षेत्र के जीईएल प्राथमिक विद्यालय विश्रामपुर में सुरक्षा में तैनात जवान निश्चिंत थे, मतदाता खुद ही व्यवस्थित तरीके से मतदान कर रहे थे। यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या 451 व महिला मतदाता 500 थीं। रनिया थाना क्षेत्र के राजकीयकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय कोटांगेर में भी यही दृश्य था।

दोपहर एक बजे तक कई बूथ हुए खाली

खूंटी व तोरपा विधानसभा क्षेत्र के दर्जनभर से अधिक बूथों पर सुबह में जहां मतदाताओं की लंबी कतार थी, वहीं दोपहर में अधिकतर बूथ खाली हो गए। वहां के मतदानकर्मी निश्चिंत व खाली बैठे रहे। तोरपा विधानसभा क्षेत्र के जागु स्थित राजकीयकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय के बूथ संख्या 55 पर कुल 717 मतदाता थे। यहां दोपहर सवा दो बजे सन्नाटा पसरा था।

पीठासीन पदाधिकारी ने बताया कि उस समय तक वहां आधे से अधिक वोट पड़ चुके थे। खूंटी के मालगो स्थित मतदान केंद्र पर दोपहर तीन बजे सन्नाटा पसरा था। यहां इक्का-दुक्का मतदाता थे। उस वक्त तक कुल 716 मतदातों में से 500 से अधिक ने अपना वोट दे दिया था।

पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप की गिरफ्तारी व बड़े कैडरों पर कार्रवाई का दिखा असर

ग्रामीणों ने वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव से 2024 का चुनाव में काफी अंतर देखा। इसका मुख्य कारण पिछले पांच वर्षों में राज्य पुलिस से लेकर केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों तक की क्षेत्र में सक्रियता है। इन पांच वर्षों में उग्रवादियों के कुख्यात सरगना से लेकर कैडर तक की गिरफ्तारी व उनका मारा जाना ग्रामीणों में सिस्टम के प्रति विश्वास भरा। 2019 के बाद पीएलएफआइ के सुप्रीमो दिनेश गोप को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने जब पकड़ा तो उग्रवादियों की रीढ़ टूट गई।

मुठभेड़ में मारे गए कई कुख्यात

इस बीच कई कुख्यात मुठभेड़ में मारे गए। कई क्षेत्र छोड़कर भागते फिर रहे हैं। इसका असर यह हुआ कि ग्रामीण बेखौफ होकर अपने-अपने घरों से प्रमुख हाट-बाजारों तक अपने कृषि उत्पाद को पहुंचा रहे हैं। इससे उनका आर्थिक विकास हो रहा है। उनके बच्चे नजदीक के स्कूल-कॉलेजों तक जाकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

बेहतर शिक्षा की उम्मीद

रनिया के घोर उग्रवाद प्रभावित रहे कोटांगेर की सोनामती ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि बच्चों की शिक्षा के प्रति ग्रामीणों में जागरूकता आई है। कोटांगेर में सातवीं तक ही पढ़ाई की व्यवस्था है। दसवीं तक के लिए वहां से चार किलोमीटर दूर तोकेन उच्च विद्यालय जाना पड़ता है। जबकि इंटर तक की व्यवस्था रनिया में है जो वहां से 11 किलोमीटर दूर है। अगर स्नातक करना हो तो तोरपा या खूंटी का ही सहारा है, जो करीब 25 से 45 किलोमीटर की दूरी पर है। लोगों ने विजयी प्रत्याशी से बेहतर शिक्षा की उम्मीद जताई है।

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