Jharkhand Election Result: झारखंड में किसकी बनेगी सरकार, अगर पेच फंसा तो कौन होगा 'किंगमेकर'?
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के परिणामों पर सबकी नजर है। किसी भी एग्जिट पोल ने राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना नहीं जताई है लेकिन परिणाम के पहले विभिन्न राजनीतिक दलों के रणनीतिकार इस मोर्चे पर भी पूरी तैयारी में जुटे हैं। अगर किसी गठबंधन को पूर्ण बहुमत नहीं आया तो स्वाभाविक तौर पर आंकड़ा जुटाने के लिए खींचतान बढ़ेगी।
प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव के परिणाम (Jharkhand Election Result 2024) पर सबकी नजर है। किसी भी एग्जिट पोल ने राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना नहीं जताई है, लेकिन परिणाम के पहले विभिन्न राजनीतिक दलों के रणनीतिकार इस मोर्चे पर भी पूरी तैयारी में जुटे हैं। अगर किसी गठबंधन को पूर्ण बहुमत नहीं आया तो स्वाभाविक तौर पर आंकड़ा जुटाने के लिए खींचतान बढ़ेगी। ऐसे में निर्दलीय चुनाव जीतकर आने वालों को पाले में करने की हरसंभव कोशिश दोनों गठबंधन की ओर से होगी। छोटे दलों की पूछ भी बढ़ जाएगी।
राजग और आईएनडीआईए के रणनीतिकार ऐसी परिस्थिति के लिए आंकड़ा जुटाने के आकलन में जुटे हैं। यह भी पता लगाया जा रहा है कि ऐसी स्थिति आने पर कहां से साथ मिल सकता है और कौन प्रभावी हो सकते हैं। त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में राजभवन की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। सरकार बनाने को लेकर राजग और आइएनडीआइए का अपना-अपना दावा है, लेकिन कड़े मुकाबले में फंसी लगभग 15 से 20 सीटों का गणित उल्टा-पुल्टा हुआ तो ऐसी नौबत से इनकार नहीं किया जा सकता है।
प्रतिद्वंद्वी दल एक-दूसरे की रणनीति पर भी नजर रख रहे हैं। यह भी दावा किया जा रहा है कि सरकार बनाने के लिए आवश्यक विधायकों की कमी हुई तो उसका प्रबंध हो जाएगा। झारखंड में अब तक हुए पांच चुनावों में केवल दो बार स्पष्ट बहुमत का जनादेश आया है। बाकी चुनावों में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाने के कारण यहां अस्थिर सरकारों का लंबा इतिहास रहा है। हालांकि पिछले दो चुनावों में जनता ने स्पष्ट जनादेश देकर बहुमत की सरकार बनवाई है।
अंदरूनी बैठकों का भी दौर आरंभ
अंतिम परिणाम आने के पहले अंदरूनी बैठकों का भी दौर भी आरंभ हो गया है। जानकारी के मुताबिक, दूसरे चरण का मतदान संपन्न होने के बाद राजधानी में राज्य सरकार के एक मंत्री के आवास पर दल विशेष के कुछ ऐसे नेताओं की बैठक हुई, जो अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं। इस बैठक में आगे की रणनीति पर विमर्श किया गया। राजनीतिक गलियारे में इसकी चर्चा है कि ये मौके के मुताबिक निर्णय करेंगे। दोनों गठबंधन की तरफ से निर्देश जारी किया गया है कि परिणाम जारी होने के तत्काल बाद नवनिर्वाचित विधायक राजधानी का रुख करें।
2009 में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में भाजपा-झामुमो ने मिलकर बनाई थी सरकार
राज्य में वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं मिला था। त्रिशंकु विधानसभा की नौबत आने के बाद भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने मिलकर सरकार बनाई थी। उक्त चुनाव में भाजपा को 18, झामुमो को 18, कांग्रेस को 14, झारखंड विकास मोर्चा को 11, आजसू को पांच, राजद को पांच सीटें आई थी। इसके अलावा, दो निर्दलीय विधायकों समेत भाकपा माले ने एक, राष्ट्रीय कल्याण पक्ष ने एक, जय भारत समानता पार्टी ने एक, जदयू ने दो, झारखंड जनाधिकार मंच ने एक और मासस ने एक सीट हासिल की थी।परिणाम आने के बाद पहली बार राज्य में भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मिलकर सरकार बनाई थी। शिबू सोरेन मुख्यमंत्री बने। लगभग छह माह बाद आणविक डील पर तत्कालीन यूपीए सरकार को समर्थन देने के कारण भाजपा ने उनकी सरकार गिरा दी। उसके बाद झामुमो के सहयोग से अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री बने।लगभग ढ़ाई वर्ष के बाद झामुमो ने अपना मुख्यमंत्री बनाने की मांग करते हुए मुंडा की सरकार गिरा दी। थोड़े अंतराल के लिए राष्ट्रपति शासन के बाद राज्य में झामुमो, कांग्रेस, राजद समेत अन्य छोटे दलों ने मिलकर हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनाई।
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