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    Jharkhand news: कैसे संरक्षित रहेंगे बाघ और अन्य वन्य प्राणी - कई विंदुओं पर दिए गए सुझाव, इस पर कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

    By Manoj Singh Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Wed, 12 Nov 2025 01:30 PM (IST)

    झारखंड में बाघों और अन्य वन्य प्राणियों के संरक्षण को लेकर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने सरकार से पूछा है कि वन्यजीवों को संरक्षित रखने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं और इस संबंध में दिए गए सुझावों पर सरकार की क्या राय है। कोर्ट ने सरकार से इस मामले में उठाए जा रहे कदमों की जानकारी भी मांगी है।

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    बाघों के संरक्षण को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।

    राज्य ब्यूरो, रांची। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में राज्य में बाघों के संरक्षण को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई।

    सुनवाई के बाद अदालत ने प्रार्थी की ओर से दिए गए सुझाव पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई दो दिसंबर को निर्धारित की गई है। इससे पहले कोर्ट के आदेश के आलोक में प्रार्थी इंद्रजीत सामंथा की ओर से बाघों के संरक्षण को लेकर कोर्ट के समक्ष कई सुझाव दिए गए।

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    उन्होंने अपने सुझाव में कोर्ट को बताया कि जंगल के बीच बसे गांवों को विस्थापित करते हुए उनका पुनर्वास किया गया है। ग्रामीणों को पुनर्वासित जगह और जमीन का अधिकार पेपर दिया जाना चाहिए, ताकि उन्हें वहां खेती करने में कोई कठिनाई न हो।

    उसका वहां का आधार कार्ड भी बनवाया जाना चाहिए और सभी सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए। जंगल में हाथी का झुंड जिधर भी जाता है, उधर वन विभाग की एक टीम तैयार रखनी चाहिए ताकि हाथियों से जानमाल की क्षति न हो।

    उन्होंने कुछ दिन पहले एक हाथी के बच्चे की मौत होने की खबर के बारे में कोर्ट को जानकारी देते हुए कहा कि वन विभाग की टीम अगर तत्परता दिखाएं तो इस तरह की घटना नहीं होगी। इसके अलावे अनेक कई बिंदुओं का उन्होंने सुझाव दिया है। जिस पर अदालत ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा है।