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रांची में RSS ने मनाया विजयादशमी उत्सव, प्रांत प्रचारक बोले- संघ के कारण ही आज पूर्वोत्तर और कश्मीर भारत का अंग

आरएसएस के रांची महानगर ने विजयादशमी उत्सव मनाया। इस दौरान प्रांत प्रचारक ने कहा कि आरएसएस ने कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने और पूर्वोत्तर भारत में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संघ के स्वयंसेवकों और प्रचारकों ने इसके लिए बलिदान दिया है। आरएसएस की शाखाओं से निकले स्वयंसेवकों ने देश के लिए कई उदाहरण पेश किए हैं।

By sanjay kumarEdited By: Mukul Kumar Updated: Mon, 07 Oct 2024 08:40 AM (IST)
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आरएसएस के रांची महानगर ने मनाया विजयादशमी उत्सव

संजय कुमार, रांची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के झारखंड के प्रांत प्रचारक गोपाल शर्मा ने कहा कि आरएसएस के कारण ही आज कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत का अंग बना हुआ है। इसके लिए कई स्वयंसेवको और संघ के प्रचारकों ने बलिदान दिए। उन सभी में राष्ट्र के प्रति समर्पण का यह भाव संघ की शाखाओं से मिला।

कश्मीर से धारा 370 हटाने में संघ की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसके लिए संघ के स्वयंसेवक वर्षों से प्रयासरत थे। 1960 में ही कश्मीर शोध संस्थान की स्थापना की गई।

पूर्वोत्तर भारत की स्थिति वर्षों पहले कैसी थी, सभी जानते हैं, परंतु संघ के प्रयास से वहां परिस्थितियां बदल गई है। देश में कई ऐसे उदाहरण हैं जो संघ की शाखाओं से निकले स्वयंसेवकों के कारण देखने को मिल रहे हैं।

शर्मा रविवार को आरएसएस के रांची महानगर की ओर से आयोजित विजयादशमी उत्सव के अवसर पर स्वयंसेवकों व शहर के लोगों को संबोधित कर रहे थे।

कार्यक्रम का आयोजन चुटिया स्थित शास्त्री मैदान में शाम 6.30 बजे से किया गया था। इस मौके पर स्वयंसेवकों ने चुटिया में पथ संचलन निकाला।

अपने संबोधन में प्रांत प्रचारक ने कहा कि अगले वर्ष संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस यात्रा में कई परेशानियां आई। कई बार प्रतिबंध लगा।

1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी संघ को समाप्त करना चाहती थी। आपातकाल लगाया गया। द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी को जेल में डाल दिया गया, परंतु संघ उस परिस्थिति से भी बाहर निकला।

हिंदू समाज के बंटने के कारण देश टूटता चला गया

गोपाल शर्मा ने कहा कि हिंदू समाज के बंटने के कारण आक्रांताओं ने हमारे मंदिरों को ध्वस्त कर दिया। विक्रमशिला, तक्षशिला, नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों को समाप्त कर दिया। देश भी बंटता चला गया। अफगानिस्तान, वर्मा, श्रीलंका, भूटान आदि भारत से अलग हो गए।

संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने उस समय की तत्कालीन परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए

विजयादशमी के दिन संघ की स्थापना की। हिदू समाज को संगठित करने का काम किया। हम बंटेंगे तो परिस्थितियां वैसी ही हो जाएगी। इसलिए हमें संगठित रहना है।

संघ अपने शताब्दी वर्ष पर सभी मुहल्लों व खंडों में शाखा प्रारंभ करने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए सभी को सहयोग करने की जरूरत है। इसके साथ ही पंच प्रण के तहत संघ सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, नागरिक कर्तव्य और स्वदेशी के भाव को बढ़ावा देने पर जोर देगा। 

बारिश में भी बैठे रहे स्वयंसेवक

कार्यक्रम प्रारंभ होने के बाद बारिश शुरू हो गई। इस दौरान मैदान में सभी स्वयंसेवक बैठे रहे। बारिश में ही प्रांत प्रचारक ने अपना संबोधन शुरू किया। वैसे 15 मिनट के बाद वर्षा बंद हो गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इक्फाई विश्वविद्यालय के कुलपति रमण कुमार झा थे। सभी लोगों ने प्रारंभ में शस्त्र पूजन किया।

मंच पर क्षेत्र संघचालक देवव्रत पाहन और महानगर संघचालक पवन मंत्री थे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के प्रमुख लोग शामिल हुए। महिलाएं भी बड़ी संख्या में थी। 1000 से अधिक स्वयंसेवक पथ संचलन में शामिल हुए।

कार्यक्रम में सह प्रांत संघचालक अशोक श्रीवास्तव, सह प्रांत कार्यवाह धनंजय सिंह, क्षेत्र व्यवस्था प्रमुख प्रेम अग्रवाल, प्रांत संपर्क प्रमुख राजीव कमल बिट्टू, विभाग प्रचारक मंटू कुमार विहिप के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत रायपत, विहिप के सह क्षेत्र मंत्री बीरेंद्र साहू, विधायक सीपी सिंह भी उपस्थित थे।

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