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History of Sunglasses: कभी न्याय का जरिया था फैशन का यह आइकन, पढ़िए सनग्लासेस का दिलचस्प इतिहास

सनग्लासेस आज सिर्फ फैशन का एक अहम हिस्सा ही नहीं हैं बल्कि ये हमारी आंखों को धूप से बचाने का भी काम करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये स्टाइलिश चश्मे (Fashion Accessories) कभी फैशन स्टेटमेंट के लिए नहीं बल्कि एक बिलकुल अलग मकसद (History of Sunglasses) से बनाए गए थे? जी हां आपको जानकर हैरानी होगी कि इनका इस्तेमाल न्याय के लिए किया जाता था।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Tue, 12 Nov 2024 06:15 PM (IST)
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चीन के न्यायाधीशों से लेकर फैशन आइकॉन तक, दिलचस्प है Sunglasses की कहानी (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Sunglasses आज के समय में स्टाइल का एक अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने कभी सनग्लासेस का इस्तेमाल नहीं किया हो। ये न सिर्फ धूप से आपकी आंखों को बचाते हैं बल्कि एक फैशन एक्सेसरीज (Fashion Accessories) के रूप में भी काफी लोकप्रिय हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सनग्लासेस का इतिहास (History of Sunglasses) क्या है? धूप का चश्मा पहली बार कहां और कब इस्तेमाल किया गया था? अगर नहीं, तो यह आर्टिकल आपको पूरा पढ़ना चाहिए।

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सनग्लासेस का इतिहास सदियों पुराना है। प्राचीन समय में विभिन्न संस्कृतियों ने आंखों को धूप से बचाने के लिए तरह-तरह के उपकरणों का इस्तेमाल किया था। आधुनिक सनग्लासेस का विकास धीरे-धीरे हुआ और आज यह दुनिया भर में फैशन का एक अहम हिस्सा बन गया है। चलिए, अब जानते हैं सनग्लासेस के दिलचस्प इतिहास के बारे में जो फैशन के बजाय न्याय से जुड़ा है।

कहां से आए सनग्लासेस?

सनग्लासेस के आविष्कार के इतिहास को लेकर इतिहासकारों में काफी मतभेद हैं। कुछ का मानना है कि ये 1282 से 1286 के बीच इटली में बनाए गए थे, जबकि अन्य का मानना है कि इनका आविष्कार 13वीं सदी के आसपास हुआ था, लेकिन सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत सिद्धांत यह है कि सनग्लासेस का मूल चीन है। माना जाता है कि 12वीं सदी में चीन में इनका आविष्कार हुआ था और फिर 1430 के आसपास इटली पहुंचे। यहीं से ये दुनिया के बाकी हिस्सों में फैल गए।

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सनग्लासेस का असली मकसद क्या था?

सनग्लासेस का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि फैशन का। सबसे पहले इनका इस्तेमाल 12वीं शताब्दी में चीन में हुआ था। धुएं के रंग के क्वार्ट्ज से बने इन चश्मों को सबसे पहले न्यायाधीशों ने पहनना शुरू किया था। दरअसल, गवाहों से पूछताछ करते समय अपनी भावनाओं को छुपाने के लिए वे इन्हें पहनते थे। धीरे-धीरे, ये चश्मे चीन में एक फैशन स्टेटमेंट बन गए और केवल अमीर लोग ही इन्हें खरीद सकते थे। चीनी अदालतों में तो ये आम हो गए थे। न्यायाधीश जब भी कोई फैसला सुनाते या गवाहों से सवाल-जवाब करते, वे ये चश्मे लगा लेते थे ताकि उनकी भावनाओं को कोई नहीं समझ सके। देखा जाए, तो यह एक तरह से उनकी शक्ति और रहस्यमय छवि को दर्शाता था।

स्टूडियो में होने लगा काले चश्मे का इस्तेमाल

सन 1430 में, चीन ने इटली में सनग्लासेस पेश किए। 18वीं सदी में, जेम्स ऐसकॉफ ने इन चश्मों के साथ प्रयोग करना शुरू किया। उन्हें लगा कि लेंस को हरे या नीले रंग में बदकर लगाने से दृष्टि दोष ठीक किए जा सकते हैं, हालांकि यह धारणा बाद में गलत साबित हुई।

20वीं सदी की शुरुआत में, सनग्लासेस धीरे-धीरे लोकप्रिय होने लगे। फिल्म स्टार्स ने स्टूडियो की तेज रोशनी से बचने के लिए इनका इस्तेमाल करना शुरू किया, जिससे ये फैशन का एक अहम हिस्सा बन गए। 1929 में, सैम फोस्टर ने अमेरिका में सनग्लासेस का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया और अटलांटिक सिटी के बोर्डवॉक पर इनकी पहली जोड़ी बेची।

सेहत और स्टाइल का परफेक्ट कॉम्बो

1930 के दशक तक, सनग्लासेस अमेरिका में एक लोकप्रिय फैशन ट्रेंड बन चुके थे। 1936 में, एडविन लैंड ने पोलेरॉइड फिल्टर का आविष्कार किया, जिससे सनग्लासेस हानिकारक यूवी किरणों से आंखों की रक्षा करने में सक्षम हो गए। इस आविष्कार ने सनग्लासेस को फैशन के अलावा आंखों की सेहत के लिए भी जरूरी बना दिया।

आज, सनग्लासेस दुनिया भर में सभी उम्र के लोगों द्वारा पहने जाते हैं। ये न केवल आंखों को धूप से बचाते हैं, बल्कि एक स्टाइल स्टेटमेंट भी हैं। विभिन्न डिजाइनों, रंगों और लेंसों के साथ, सनग्लासेस में हर किसी के लिए एक से बढ़कर एक विकल्प उपलब्ध हैं।

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