कहानी गहनों की: कैसे 'पर्ल जूलरी' बनी सदाबहार फैशन का हिस्सा, हैदराबाद के निजामों से जुड़ा है इतिहास
हैदराबाद सिर्फ बिरयानी, चारमीनार और ऐतिहासिक किलों के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी मोतियों की अनोखी दुनिया के लिए भी प्रसिद्ध है। सदियों से इसे 'मोतीयों का शहर' कहा जाता है। यहां के मोती न सिर्फ अपनी चमक, सौम्यता और शुद्धता के लिए जाने जाते हैं, बल्कि वे उस शानदार जीवनशैली के साक्षी भी हैं जिसे कभी निजामों और महाराजाओं ने जिया था। आइए, 'कहानी गहनों की' सीरीज में विस्तार से जानते हैं मोती की जूलरी (Pearl Jewellery) का इतिहास।

Pearl Jewellery History: बेहद दिलचस्प है पर्ल जूलरी का इतिहास (Image Source: Jagran)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में मोतियों की कहानी शुरू होती है, बादशाहों के शहर- हैदराबाद से। 16वीं शताब्दी में निजामों ने इस शांत, सुंदर और सम्पन्न शहर को मोती व्यापार का केंद्र बनाया। इस शहर का भौगोलिक स्थान- विशेष रूप से कृष्णा और गोदावरी नदियों का विस्तृत जलक्षेत्र, मोती की खेती के लिए बेहद अनुकूल था। ताजे पानी की भरपूर उपलब्धता के कारण यहां बड़ी संख्या में पर्ल ऑयस्टर विकसित होते थे। यही प्राकृतिक गुण आगे चलकर हैदराबाद को मोती उत्पादन के सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों में बदलने वाले बने। यही वजह है कि मोती की जूलरी के मामले में हैदराबाद अपनी खास पहचान रखता है।

निजामों की पहचान थे मोती
निजामों को मोतियों से बेहद लगाव था। वे मोतियों की सुंदरता, महत्व और व्यापारिक क्षमता को समझते थे। इसी कारण उन्होंने मोती की खेती के लिए विशेष पर्ल फिशरी विकसित करवाईं। इससे न केवल उत्पादन बढ़ा, बल्कि शहर का नाम देश-विदेश में चमकने लगा।
18वीं शताब्दी तक आते-आते हैदराबाद के मोती शाही परिवारों की पहचान बन चुके थे। निजामों ने मोतियों के शानदार गहनों- जैसे कि पर्ल चोकर, भारी हार और कीमती सेट्स को विशेष रूप से प्रचलित किया। देश भर में मोती के गहनों का फैशन इसी काल में अपने चरम पर था।
समय के साथ विकसित हुए मोती के गहने
जैसे-जैसे मोती उत्पादन बढ़ा, वैसे-वैसे गहनों के डिजाइन भी विकसित होते गए। पहले जहां सिर्फ कच्चे मोतियों का व्यापार होता था, वहीं बाद में इन्हें आकर्षक आभूषणों के रूप में ढालने का दौर शुरू हुआ। समय के साथ- इंट्रिकेट डिजाइन्स, रंगीन रत्नों का मिश्रण, एनामेल वर्क और अलग-अलग आकार के मोती जूलरी का हिस्सा बनने लगे।
आज के समय में Pearl Jewellery मॉडर्न फैशन का अहम हिस्सा बन चुकी है। कलर्ड पर्ल, बरोके पर्ल, कल्चर्ड पर्ल जैसे कई प्रकार मार्केट में उपलब्ध हैं। बदलते ट्रेंड्स के साथ मोती अब युवाओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गए हैं।

नेकलेस से लेकर चोकर तक, फैशन के कई अंदाज
हैदराबाद के मोतियों की खासियत उनकी चमक, शुद्धता और परिष्कृत रूप है, जो इन्हें हर महिला के गहनों का प्रिय हिस्सा बनाते हैं। यहां कुछ ऐसे लोकप्रिय मोती गहने हैं जिनकी मांग हमेशा बनी रहती है:
नेकलेस
किसी भी दुल्हन का श्रृंगार मोती के हार के बिना अधूरा माना जाता है। खासकर कुंदन और पोल्की के साथ मोती की परतदार लड़ियां बेहद आकर्षक लगती हैं। मैचिंग ईयररिंग्स के साथ यह सेट किसी भी समारोह में चार चांद लगा देता है।
चूडियां
मोती जड़ी चूड़ियां नरम, चमकदार और बेहद शाही एहसास देती हैं। इन्हें सोने-सिल्वर या कुंदन गहनों के साथ मिलाकर पहना जा सकता है। यानी हर मौके के लिए एकदम परफेक्ट एसेसरी।
ब्रेसलेट
स्लीक और मॉर्डन लुक चाहने वालों के लिए मोती का ब्रेसलेट कमाल का ऑप्शन है। यह अकेले भी पहना जा सकता है और छोटे ईयररिंग्स के साथ भी शानदार लगता है।
लंबे हार या चोकर
मोती का कोई भी हार सौंदर्य और गरिमा का प्रतीक माना जाता है। चोकर हो या लंबा स्टेटमेंट नेकलेस- दोनों ही हर तरह के आउटफिट के साथ खूब जंचते हैं।
ईयररिंग्स
मोती के झुमके, टॉप्स या ड्रॉप ईयररिंग्स हर महिला की पसंदीदा जूलरी में शामिल हैं। इन्हें भारतीय, वेस्टर्न, फॉर्मल- किसी भी लुक के साथ पहना जा सकता है।
लॉकेट
मोती का पेंडेंट अक्सर भावनात्मक महत्व रखता है। इनकी क्लासिक और सदाबहार सुंदरता इन्हें पीढ़ियों तक संजो कर रखने योग्य बनाती है।

कैसे करें असली मोती की पहचान?
मोती अपनी खूबसूरती और शीतलता के कारण हमेशा से ही जूलरी लवर्स की पसंद रहे हैं। ज्योतिष से लेकर फैशन तक, इनका एक खास महत्व है। हालांकि, आज के बाजार में नकली मोतियों की भरमार भी है, जिन्हें पहचानना काफी मुश्किल हो सकता है। महंगे दामों पर नकली मोती खरीदकर धोखा खाने से बचने के लिए, आपको कुछ आसान तरीके जानने चाहिए।
दांतों से करें 'टूथ टेस्ट'
मोती की पहचान का यह सबसे पुराना तरीका है।
- असली मोती: इसे हल्के से अपने दांतों के किनारे पर रगड़ें। यह आपको हल्का खुरदरा या रेतीला महसूस होगा। यह खुरदुरापन इसकी प्राकृतिक बाहरी परत के कारण आता है।
- नकली मोती: ये रगड़ने पर एकदम चिकने और मुलायम महसूस होते हैं।
सतह और आकार देखें
- असली मोती: ये पूरी तरह से गोल नहीं होते। आपको इनकी सतह पर हल्की असमानताएं, छोटे उभार या दोष दिख सकते हैं। हर मोती थोड़ा अलग होता है।
- नकली मोती: नकली मोती अक्सर सांचे में ढले हुए, पूरी तरह से एक जैसे आकार और रंग के होते हैं।
तापमान और वजन
- असली मोती: ये छूने पर हमेशा ठंडे महसूस होते हैं, ठीक किसी पत्थर की तरह। ये हाथ में उठाने पर थोड़े भारी भी लगते हैं।
- नकली मोती: प्लास्टिक के मोती बहुत हल्के होते हैं और ये जल्दी ही आपके शरीर के तापमान के कारण गर्म हो जाते हैं।
आपस में रगड़ कर देखें
अगर आपके पास दो मोती हैं, तो यह तरीका सबसे आसान है।
- असली मोती: दो मोतियों को धीरे से आपस में रगड़ें। आपको हल्की-सी किरकिराहट महसूस होगी। रगड़ने के बाद, आप सतह पर एक हल्का पाउडर देख सकते हैं, जिसे पोंछने पर चमक वापस आ जाती है।
- नकली मोती: ये बिना किसी आवाज या पाउडर के आसानी से फिसल जाएंगे।
हमेशा किसी भरोसेमंद और प्रमाणित जगह से ही मोती की जूलरी खरीदें। अगर संभव हो, तो जूलरी के साथ उसकी प्रामाणिकता का प्रमाण पत्र जरूर लें। इन आसान टेस्ट से आप असली मोती खरीदकर खुद को ठगी से बचा सकते हैं।
हैदराबाद के मोती केवल आभूषण नहीं, बल्कि सदियों की संस्कृति, इतिहास और शान का प्रतीक हैं। निजामों के दौर से आज की आधुनिक पीढ़ी तक- मोती की लोकप्रियता कभी कम नहीं हुई। अपनी प्राकृतिक चमक, सौंदर्य और बहुमुखी उपयोग के कारण ये आज भी फैशन और जूलरी वर्ल्ड में अग्रणी भूमिका निभाते हैं।

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