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Diwali 2024: पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक, देश में अलग-अलग अंदाज में मनाया जाता है दीपावली का त्योहार

दीपावली का त्योहार (Diwali 2024) हर घर को रोशनी और खुशियों से भर देता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश के कोने-कोने में दीवाली मनाने के अनोखे तरीके हैं? इस आर्टिकल में हम आपको दीपावली की ऐसी ही कुछ रोचक परंपराओं (Unique Diwali Traditions) से रूबरू कराएंगे जो शायद ही आपने पहले सुनी होंगी। आइए जानते हैं कि भारत के अलग-अलग राज्यों में दीवाली कैसे मनाई जाती है।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Sat, 26 Oct 2024 12:51 PM (IST)
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Diwali 2024: देश के कोने-कोने में अलग-अलग अंदाज में मनाया जाता है दीपावली का त्योहार (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दीपावली का त्योहार (Diwali 2024) भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक अहम हिस्सा है। हालांकि, रोशनी का यह त्योहार देश के हर हिस्से में एक ही तरह से नहीं मनाया जाता। इस आर्टिकल में हम आपको दीवाली की उन विभिन्न परंपराओं (Diwali Celebrations) से रूबरू कराएंगे जो भारत के अलग-अलग राज्यों में प्रचलित हैं। साथ ही, हम आपको कुछ ऐसे रोचक तथ्यों के बारे में भी बताएंगे जो दीपावली के इतिहास और महत्व को और गहरा बनाने का काम करते हैं। आइए जानें।

उत्तर भारत की दीपावली

उत्तर भारत में दीवाली को भगवान राम के अयोध्या वापसी के स्वागत में मनाया जाता है। लोग अपने घरों को दीयों और रंगोली से सजाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और मिठाइयां बांटते हैं। दीवाली की रात को, लोग देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं और धन की देवी से आशीर्वाद मांगते हैं।

पश्चिम भारत की दीपावली

पश्चिम भारत की बात करें, तो खासतौर से गुजरात में दीवाली को नए साल के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान लोग अपने घरों को साफ करते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और नए साल का स्वागत करते हैं। गुजरात में, दीवाली के दौरान पतंग उड़ाना एक लोकप्रिय परंपरा बनी हुई है।

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दक्षिण भारत की दीपावली

दक्षिण भारत में दीवाली को थोड़ा अलग तरीके से मनाया जाता है। तमिलनाडु में, दीवाली को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है, जो भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस का वध करने का प्रतीक है। कर्नाटक में, दीवाली को बाली चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है, जो भगवान विष्णु द्वारा बाली राक्षस का वध करने का प्रतीक है।

पूर्वी भारत में दीपावली

पूर्वी भारत, विशेषकर बंगाल में दीवाली का त्योहार काली पूजा के साथ अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व केवल प्रकाश का त्योहार ही नहीं, बल्कि शक्ति और विनाश की देवी, मां काली की आराधना का पावन अवसर भी है। माना जाता है कि देवी काली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं। बता दें, काली पूजा बंगाली संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। यह त्योहार लोगों को एकजुट करता है और सामाजिक बंधनों को मजबूत भी बनाता है।

अलग-अलग राज्यों का अपना-अपना अंदाज

भारत के अन्य हिस्सों में भी दीवाली को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। उदाहरण के लिए, गोवा में, दीवाली को दीपावली के रूप में मनाया जाता है, जो प्रकाश का त्योहार है। पंजाब में, दीवाली को बंदी छोर दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद साहिब की मुक्ति का दिन है।

दीवाली की विविधता भारत की विविधता का ही प्रतिबिंब है। भारत के विभिन्न राज्यों में, दीवाली को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है, लेकिन सभी जगहों पर दीवाली का मूल अर्थ एक ही है- "बुराई पर अच्छाई की जीत, अंधेरे पर प्रकाश की जीत।" बता दें, दीवाली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। दीवाली हमें एक-दूसरे के साथ जुड़ने, प्यार और खुशी बांटने और नए साल की शुरुआत करने का मौका देती है।

इस दौरान, लोग एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाते हैं, पटाखे फोड़ते हैं और उपहार भी देते हैं। दीवाली की रात को, लोग एक-दूसरे के घरों में जाते हैं और शुभकामनाएं देते हैं। दीवाली एक ऐसा त्योहार है जो सभी धर्मों और जातियों के लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है और अंधेरे में भी उम्मीद की किरण हमेशा जलती रहती है।

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