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International Yoga Day 2024: भारत में किसने की योग की शुरुआत? जानें 5000 साल पुराना इतिहास

दुनियाभर में आज International Yoga Day मनाया जा रहा है। यह दिन हर साल 21 जून को मनाया जाता है। बीते कुछ वर्षों से योग का चलन काफी ज्यादा बढ़ चुका है। देश-विदेश में इसकी बढ़ती लोकप्रियता और इसे महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल यह दिन मनाया जाता है। इस मौके पर जानते हैं योग का हजारों वर्ष पुराना इतिहास।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Published: Thu, 20 Jun 2024 06:30 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2024 08:17 AM (IST)
जानें कब और कैसे हुए योग की शुरुआत (Picture Credit- Freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर साल 21 जून को International Yoga Day मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत योग के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के मकसद से हुई थी। पिछले कुछ समय से यह अभ्यास पूरी दुनिया में काफी प्रचलित हो चुका है। लोग अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए योग को अपनी डेली रूटीन में शामिल कर रहे हैं। ऐसे में योग दिवस के मौके पर दुनियाभर में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे योग और इसके इतिहास के बारे में कुछ दिलचस्प और अनसुनी बातें।

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योग क्या है?

योग- सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित एक आध्यात्मिक अनुशासन है, जो मन और शरीर के बीच सामंजस्य लाने में अहम भूमिका निभाता है। यह एक स्वस्थ और तनावपूर्ण जीवन जीने की कला औक विज्ञान है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक 'योग' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द 'युज' से हुई है, जिसका अर्थ है मतलब 'जोड़ना' या 'एकजुट होना' होता है। यौगिक ग्रंथों के अनुसार योग करने से आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है। यह मन, शरीर और प्रकृति के बीच सामंजस्य लाता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि योग का मुख्य उद्देश्य जीवन की सभी कठिनाइयों को पार कर आत्मज्ञान कराना है।

योग का इतिहास

योग भले ही वर्तमान में काफी चलन में है, लेकिन इसका इतिहास कई वर्षों पुराना है। ऐसा माना जाता है कि सभ्यता की शुरुआत के साथ ही योग का अभ्यास भी शुरू हो गया था। योग उत्पत्ति हजारों साल पहले की मानी जाती है। यह किसी धर्म या आस्था से भी पुराना माना गया है। योग विद्या में, भगवान शिव को पहले योगी या आदियोगी कहा जाता है।

कई हजार साल पहले आदियोगी ने हिमालय में कांतिसरोवर झील के तट पर अपना गहन ज्ञान सप्तऋषियों को दिया और फिर इन ऋषियों में इस योग के ज्ञान को एशिया, मध्य पूर्वी, उत्तरी अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाया। भले ही दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में योग का इतिहास पाया जाता है, लेकिन असल में इसकी जड़े भारत से ही जुड़ी हुई है।

भारत से जुड़ी योग की जड़े

सिंधु घाटी सभ्यता से मिली मुहरों और जीवाश्म अवशेषों में भी योग करती आकृतियां पाई गईं, जो प्राचीन भारत में योग की उपस्थिति का सबूत देती है। इसके अलावा देवी मां की मूर्तियों के चिह्न और मुहरें तंत्र योग की तरफ इशारा करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं के अलावा योग की उपस्थिति लोक परंपराओं, सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक और उपनिषद, बौद्ध और जैन परंपराओं, महाभारत और रामायण महाकाव्यों, शैवों की आस्तिक परंपराओं, वैष्णवों और तांत्रिक परंपराओं में भी देखने को मिलती है।

कैसे हुई 'सूर्य नमस्कार' की उत्पत्ति

जब भी योग की बात आती है, जो 'सूर्य नमस्कार' का जिक्र जरूर किया जाता है। हालांकि, बेहद कम लोग ही इसकी उत्पत्ति के बारे में जानते हैं। वैदिक काल में सूर्य का काफी महत्व होता था। इसी वजह से 'सूर्य नमस्कार' की प्रथा का आविष्कार हुआ। भले ही योग का अभ्यास पूर्व-वैदिक काल से किया जा रहा है, लेकिन महान ऋषि महर्षि पतंजलि ने आधुनिक योग की प्रथाओं और इसके अर्थ को जन्म दिया। पतंजलि के बाद, कई संतों और योग गुरुओं ने योग के संरक्षण और विकास में बहुत योगदान दिया।

योग का आधुनिक काल

वर्षों पुराने योग का आधुनिक काल 1700 - 1900 ई. के बीच की अवधि को माना जाता है। इस दौरान रमण महर्षि, रामकृष्ण परमहंस, परमहंस योगानंद, विवेकानंद आदि जैसे महान योगाचार्यों ने राज योग के विकास में योगदान दिया। साथ ही यह वह दौर था, जब वेदांत, भक्ति योग, नाथयोग या हठ-योग भी फला-फूला था।

वर्तमान में योग

प्राचीन काल से लोगों से लाभ पहुंचाने वाला योग मौजूदा समय में कई प्रतिष्ठित योग संस्थानों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों, निजी ट्रस्टों, सोसाइटी आदि में सिखाया जा रहा है। लोगों के इसके प्रति आकर्षित करने और इसका लाभ समाज कल्याण के लिए लोगों तक पहुंचाने के मकसद से कई योग क्लिनिक, योग थेरेपी और प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं। प्राचीन काल से आज तक, कई महान योग गुरुओं ने इसे संरक्षित और प्रचारित किया, जिसका लाभ वर्तमान में दुनिया भर के लाखों-करोड़ों लोग उठा रहे हैं। योग आज भी लगातार फल-फूल रहा है, और हर दिन पहले से और ज्यादा जीवंत होता जा रहा है।

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