Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वजन घटाने का 'जादू' या सेहत के साथ खिलवाड़? वेट लॉस की दवाओं पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?

    Updated: Tue, 02 Dec 2025 11:36 AM (IST)

    वेट लॉस की दवाओं के बारे में तो आप जानते ही होंगे। लोगों में इनका क्रेज काफी बढ़ रहा है, क्योंकि ये दवाएं तेजी से वजन घटाने में कारगर हैं। लेकिन इन दवाओं के इस्तेमाल से पहले कुछ छिपे हुए खतरों के बारे में जान लेना चाहिए, जिनके जवाब अभी तक साफ तौर पर नहीं मिल पाए हैं। 

    Hero Image

    क्या ताउम्र लेनी पड़ेगी वेट लॉस की दवा? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कुछ सालों में ओजेम्पिक, वेगोवी और माउनजारो जैसी GLP-1 दवाएं दुनिया भर में वजन घटाने की सबसे पॉपुलर ट्रेंड बन चुकी हैं। कई लोग इन दवाओं (Weight Loss Drugs) की मदद से तेजी से वजन कम कर रहे हैं, उनके आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार देखने को मिल रहा है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लेकिन इन दवाओं की बढ़ती लोकप्रियता के बीच कुछ ऐसे सवाल (Weight Loss Drugs Side Effects) हैं, जिनके जवाब अब भी साफ नहीं हैं। नई रिसर्च ने इन रहस्यों को और गहरा कर दिया है, जिससे इनके छिपे हुए खतरों को लेकर चिंता भी बढ़ती जा रही है।

    क्या हैं GLP-1 दवाएं?

    GLP-1 दवाएं शरीर में प्राकृतिक रूप से बनने वाले एक हार्मोन, GLP-1 की तरह काम करती हैं। यह हार्मोन भूख कम करता है, ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है और शरीर के कई अहम अंगों को प्रभावित करता है। यही वजह है कि इन दवाओं को लेने वाले लोगों में वजन तेजी से कम होता है। बड़ी फार्मा कंपनियां इसी लोकप्रियता के कारण अरबों डॉलर का कारोबार कर रही हैं।

    Weight Loss Drugs

    (Picture Courtesy: Freepik)

    क्या ये दिमाग पर असर डालती हैं?

    यह सवाल आज वैज्ञानिकों के लिए सबसे बड़ा रहस्य है। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि इन दवाओं ने लोगों का मूड बेहतर किया, धूम्रपान और शराब की इच्छा कम की और जानवरों पर किए गए प्रयोगों में दिमाग के सेल्स में नई वृद्धि भी देखी गई।

    लेकिन दूसरी तरफ, अल्जाइमर जैसी बीमारियों पर ये दवाएं कोई खास असर नहीं दिखा पाईं। यानी मानसिक स्वास्थ्य पर इनके असर को लेकर अभी पूरा जवाब नहीं मिल पाया है।

    प्रेग्नेंसी में कितनी सुरक्षित हैं?

    यह सबसे सेंसिटिव सवालों में से एक है। अब तक मिले शोध बताते हैं कि  डॉक्टर आमतौर पर सलाह देते हैं कि कंसेप्शन से लगभग दो महीने पहले इन दवाओं को बंद कर दिया जाए। कुछ अध्ययनों में पाया गया कि दवा लेने वाली महिलाओं में प्रसव के बाद लगभग 3.3 किलो तक वजन बढ़ा और जेस्टेशनल डायबिटीज, हाई बीपी और प्रीटर्म बर्थ का जोखिम थोड़ा ज्यादा रहा। लेकिन अगस्त 2024 के एक अध्ययन ने इसके विपरीत कम जोखिम दिखाया। इन विरोधाभासी नतीजों से साफ है कि प्रेग्नेंसी से जुड़े जोखिमों पर अभी ठीक तरह से कुछ भी कहना मुश्किल है।

    क्या इसके लंबे समय के प्रभाव पता हैं?

    इसका भी कोई निश्चित जवाब नहीं है। एक ट्रायल में टिर्जेपाटाइड दवा लेने वाले लोगों ने 36 हफ्तों तक दवा ली, लेकिन जब आधे प्रतिभागियों को प्लेसबो दिया गया तो उनका लगभग 25% वजन वापस बढ़ गया। इससे बड़ा सवाल उठता है कि क्या इन दवाओं को हमेशा लेना पड़ेगा? इस सवाल का भी जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है। इन दवाओं के बच्चों, नशे की आदत वाले लोगों, प्रेग्नेंट महिलाओं और सामान्य वजन वाले लोगों पर लंबे समय के प्रभाव भी साफ नहीं हैं। इनके मेटाबॉलिज्म, हार्मोन, और इम्यून सिस्टम पर प्रभावों की जानकारी अभी अधूरी है।

    भारत में इस्तेमाल और सावधानी

    भारत में भी ये दवाएं तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। लेकिन याद रखें इन्हें बिना डॉक्टर की सलाह लेना बेहद खतरनाक हो सकता है। साथ ही, हर व्यक्ति का शरीर, स्वास्थ्य और मेटाबॉलिज्म अलग होता है, इसलिए डॉक्टर की निगरानी बहुत जरूरी है।