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    वायु प्रदूषण के कारण 50% तक बढ़ रहे स्ट्रोक के मामले, बचाव के लिए काम आएगी डॉक्टर की ये सलाह

    Updated: Tue, 28 Oct 2025 03:26 PM (IST)

    स्ट्रोक (Stroke Signs) एक गंभीर समस्या है, जिसके मामले युवाओं में बढ़ रहे हैं। वायु प्रदूषण (Air Pollution) स्ट्रोक का एक मुख्य कारण है, जिससे खतरा 25% तक बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहनें और घर पर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। स्ट्रोक के लक्षणों को F.A.S.T. तकनीक से पहचानें और तुरंत मेडिकल हेल्प लें। समय पर कार्रवाई से जीवन बचाया जा सकता है।

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    सावधान! वायु प्रदूषण बढ़ा रहा स्ट्रोक का खतरा, जानिए बचाव के उपाय (Picture Credit- AI Generated)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। स्ट्रोक (Stroke Signs) एक गंभीर समस्या है, जो गंभीर हालातों में जानलेवा भी साबित हो सकती है। बीते कुछ समय से देश में स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। खासकर युवाओं में इसके मामले चिंता का विषय बने हुए है। इसलिए लोगों को इसके बारे में जागरूक करना बेहद जरूरी है। इसी मकसद से हर साल 29 अक्टूबर को वर्ल्ड स्ट्रोक डे (World Stroke Day 2025) मनाया जाता है। 

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    ऐसे में समय रहते इससे बचाव के लिए सावधानी के साथ-साथ इसके कारणों भी पहचान करना भी जरूरी है। स्ट्रोक के कई कारण है, जिनमें से एक वायु प्रदूषण (Air Pollution) भी है। हवा का खराब स्तर किस तरह स्ट्रोक का कारण बन सकता है, इस बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम में न्यूरो एंड स्पाइन (MAIINS) के डायरेक्टर डॉ. प्रवीण गुप्ता से बातचीत की। आइए जानते हैं स्ट्रोक और वायु प्रदूषण में कनेक्शन-

    वायु प्रदूषण और स्ट्रोक का कनेक्शन

    डॉक्टर बताते हैं कि वायु प्रदूषण स्ट्रोक का एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारण है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, वायु प्रदूषण के कारण स्ट्रोक का खतरा 25% बढ़ जाता है। क्योंकि वायु प्रदूषण में उत्पन्न होने वाले कण हमारी आर्टरीज में सूजन पैदा करते हैं। इस सूजन के कारण, हमारी आर्टरी वॉल की फंक्शनिंग बिगड़ जाती है, जिससे ब्लड क्लॉटिंग का खतरा बढ़ जाता है। आज के समय में, वायु प्रदूषण के कारण स्ट्रोक के मामलों में 50% से भी ज्यादा की वृद्धि हुई है।

    वायु प्रदूषण कैसे निपटें

    वायु प्रदूषण का बुरा असर कम करने के लिए, बाहर जाते समय मास्क जरूर पहनें। घर पर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना चाहिए। खराब वायु प्रदूषण के दौरान में खुले में नहीं जाना चाहिए। धूम्रपान बंद करना चाहिए। स्मोकिंग, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और शुगर जैसे लाइफस्टाइल से जुड़े जोखिम कारकों को नियंत्रित करना चाहिए। जब हवा बहुत खराब हो, तो घर पर ही व्यायाम करें और खुद को हाइड्रेटेड रखें।

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    समय पर जरूरी स्ट्रोक की पहचान

    स्ट्रोक हमारे लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए इससे बचाव के लिए समय रहते इसकी पहचान और इसका इलाज बेहद जरूरी है। ऐसे में हमने मैक्स हॉस्पिटल, गुरुग्राम में न्यूरोसर्जरी के प्रिंसिपल डायरेक्टर और यूनिट हेड डॉ. अरुण सरोहा से बातचीत की और जाना कि कैसे स्ट्रोक की जल्दी पहचान की जा सकती है। 

    डॉक्टर ने बताया कि स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिसमें हर सेकंड मायने रखता है। यह तब होता है, जब किसी रुकावट या ब्लड वेसल के फटने के कारण ब्रेन के किसी हिस्से में ब्लड फ्लो बाधित हो जाता है। ऑक्सीजन और पोषक तत्वों के बिना, ब्रेन सेल्स तेजी से मरने लगते हैं, जिससे लंबे समय के लिए विकलांगता या मौत हो सकती है। यही कारण है कि इससे बचाव में समय ही बेहद महत्वपूर्ण है।

    स्ट्रोक के लक्षणों को तुरंत पहचानना पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है। डॉक्टर ने इसके लिए लक्षणों को तुरंत पहचानने के लिए F.A.S.T. टेक्नीक का इस्तेमाल करने की सलाह दी। आइए जानते हैं क्या है यह तकनीक-

    • F - फेस ड्रूपिंग या चेहरा लटकना (Face Drooping) : व्यक्ति से मुस्कुराने के लिए कहें। क्या चेहरे का एक हिस्सा लटक रहा है या सुन्न है? क्या मुस्कान असमान है? अगर हां, तो इस अनदेखा न करें।
    • A - बांहों में कमजोरी (Arm Weakness): व्यक्ति को दोनों बांहें ऊपर उठाने को कहें। क्या एक बांह नीचे की ओर झुकी हुई है? क्या एक बांह कमजोर या सुन्न है? अगर हां, तो यह खतरे की घंटी है।
    • S - बोलने में कठिनाई (Speech Difficulty) : क्या व्यक्ति की बोली अस्पष्ट है, या उसे समझना मुश्किल है? व्यक्ति से एक साधारण वाक्य दोहराने को कहें। अगर उसे बोलने में दिक्कत हो रही है, तो यह स्ट्रोक का संकेत हो सकता है।
    • T - एक्शन लेने का समय (Time to call emergency services): अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे, भले ही दिखने के बाद गायब हो जाएं, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें। 

    यह भी रखें ध्यान

    डॉक्टर कहते हैं कि लक्षणों के ठीक होने का इंतजार न करें और न ही खुद या मरीज को गाड़ी चलाकर हॉस्पिटल ले जाएं। ऐसे हालातों में एम्बुलेंस से जाने में यह सुनिश्चित होता है कि हेल्थ एक्सपर्ट रास्ते में ही जीवन बचाने के लिए देखभाल शुरू कर सकते हैं, जिससे सकारात्मक परिणाम मिलने का मौका मिलता है। आपकी त्वरित कार्रवाई एक जीवन बचा सकती है और स्ट्रोक के जानलेवा प्रभाव को कम कर सकती है।

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