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    प्रदूषण में आयुर्वेद को बनाएं सुरक्षा कवच, डॉक्टर ने दी दिल और फेफड़ों को स्वस्थ रखने की खास सलाह

    Updated: Tue, 02 Dec 2025 10:57 AM (IST)

    वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए लोग तमाम तरह के उपाय तो कर रहे हैं, लेकिन एक बार आयुर्वेदिक उपचारों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके जरूर देखना चाहिए। आयुर्वेदिक शुद्धीकरण और आहार कैसे शरीर के लिए सुरक्षा कवच का काम करते हैं। आइए जानें।

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    प्रदूषण के बीच कैसे रखें सेहत का ख्याल? (Picture Courtesy: AI Generated Image)

    सुमन अग्रवाल, नई दिल्ली। वायु प्रदूषण के प्रभाव से बचने के लिए लोग घर के अंदर कीमती एयर प्यूरिफायर और इंडोर प्लांट्स लगा रहे हैं, लेकिन ये सारे केवल ऊपरी उपाय हैं, जिनका प्रभाव थोड़े समय के लिए ही रहता है। आयुर्वेद के पास ऐसे स्थायी समाधान हैं, जो आपके फेफड़ों और दिल को स्वस्थ रख सकते हैं। वायु से हमारा जीवन है। इससे शरीर को पोषण मिलता है, लेकिन जब वायु ही विषाक्त होने लगे, तब क्या किया जाए। आइए, श्वसन तंत्र की सुरक्षा के लिए कुछ प्रभावी आयुर्वेदिक उपायों पर नजर डालते हैं।

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    आयुर्वेदिक शुद्धीकरण (पंचकर्म) 

    प्रदूषण के कारण शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा होने लगते हैं, जिन्हें समय-समय पर बाहर निकालना आवश्यक है। इसलिए सर्दियों में पंचकर्म करवाने की सलाह दी जाती है । आयुर्वेद की विषहरण चिकित्सा है पंचकर्म, इससे विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकाले जाते हैं।

    वमन (उल्टी): श्वसन पथ से अतिरिक्त बलगम और प्रदूषकों को हटाने में मदद करता है। 

    विरेचन: इस प्रक्रिया से शरीर से विषाक्त पदार्थों को साफ करने और सूजन कम करने में मदद मिलती है।

    स्टीम स्वेदना ( हर्बल थेरेपी ): यह वायुमार्ग और कफ को खोलने में मदद करती है। 

    बस्ती (एनीमा थेरेपी ): यह एक हर्बल एनीमा प्रक्रिया है, जो बृहदांत्र को साफ करके आंतों से विषाक्त पदार्थ बाहर निकालती है।

    नास्य चिकित्सा

    वायुजनित प्रदूषकों के विरुद्ध एक कवच का काम करती है नास्य चिकित्सा यह एक आयुर्वेदिक चिकित्सा हैं, जिसमें औषधीय तेलों को नाक में डाला जाता है। इससे नासिका की नली साफ करने में मदद मिलती है। आप चाहें तो घी का प्रयोग भी कर सकते हैं। प्रतिदिन सुबह नासिका में तेल की दो-तीन बूंदें डालें। गहरी सांस लें ताकि तेल नाक के मार्ग में समा जाए। इसे डालने के बाद तुरंत बाहर जाने से परहेज करें।

    आयुर्वेदिक हर्ब्स

    आयुर्वेदिक हर्ब्स स्वस्थ दिनचर्या बनाए रखने में मदद करते हैं। जैसे तुलसी सूजन कम करती है और वायुमार्ग साफ रखती है। मुलेठी गले को आराम देती है। हल्दी में करक्यूमिन होने के कारण यह लाभकारी है। आंवला विटामिन सी से भरपूर है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और श्वसन संक्रमण से बचाव होता है। शहद फेफड़ों से बलगम साफ करने में मदद करता है और खांसी में आराम देता है।

    स्वस्थ आहार गर्म पानी से भांप लेने से गला और नाक दोनों साफ होते हैं। धूल और धुएं के कारण गले में खराश होने लगती है। गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करने से गला साफ होता है। अदरक, तुलसी, हल्दी और शहद डालकर हर्बल टी बनाएं इसमें एंटीइन्फ्लेमेटरी और एंटीआक्सीडेंट्स के गुण समाए हुए हैं। विटामिन सी से भरपूर फल जैसे संतरा, आंवला, कीवी और अमरूद खाएं। हल्दी वाला दूध रात को लेने से शरीर की सूजन कम होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

    डॉ. मेधा कुलकर्णी (प्रोफेसर, स्वस्थवृत्त, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, दिल्ली) बताती हैं कि इस मौसम में नए चावल और आलू आने शुरू हो जाते हैं। इसके सेवन से पाचन तंत्र मजबूत रहता है। ठंड के मौसम में तिल, गोंद, दूध, पनीर आदि खाने से शरीर में गर्माहट आती है और इम्युनिटी बढ़ती है। दालचीनी, अदरक, मेथी और गरम मसालों के प्रयोग से सूजनरोधी क्षमताएं बढ़ती हैं। साथ ही इस मौसम में हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, बथुआ, साग खानी चाहिए। इनमें कई तरह के मिनरल्स और विटामिंस पाए जाते हैं। ठंड में मांसपेशियों के दर्द से राहत के लिए गर्म पानी से नहाएं। सुबह उठकर योगासन और प्राणायम करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।

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