क्यों 2 दिसंबर को हर साल मनाते हैं राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस? यहां पढ़ें इतिहास और महत्व
2 दिसंबर की सुबह शायद आपको एक आम दिन लगे, लेकिन भारत के इतिहास में यह तारीख गहरे जख्मों की याद दिलाती है। दरअसल, यह वह दिन है जो बताता है कि कैसे प्रदूषण कभी-कभी मौत बनकर पूरे शहर पर टूट पड़ता है। जी हां, राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस हमें उस दिल दहला देने वाली रात की ओर ले जाता है, जब भोपाल की हवा में ऐसा जहर घुला (Bhopal Gas Tragedy) कि हजारों लोग नींद में ही हमेशा के लिए खामोश हो गए।

क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस? (Image Source: Jagran)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में हर साल 2 दिसंबर को National Pollution Control Day मनाया जाता है। यह सिर्फ एक कैलेंडर की तारीख नहीं, बल्कि उस दर्दनाक हादसे की याद है जिसने देश को झकझोर दिया था। जी हां, भोपाल गैस त्रासदी।
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस का उद्देश्य लोगों को यह समझाना है कि प्रदूषण सिर्फ हवा को गंदा नहीं करता, बल्कि हमारी जिंदगी, सेहत और आने वाली पीढ़ियों पर गहरा असर छोड़ता है।

दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती
आज प्रदूषण एक वैश्विक संकट बन चुका है। भारत के नेशनल हेल्थ पोर्टल के अनुसार, दुनिया में हर साल लगभग 70 लाख लोग सिर्फ वायु प्रदूषण के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। प्रदूषण किसी भी ठोस, तरल या गैस के रूप में हो सकता है। यहां तक कि ऊर्जा के रूप- जैसे जरूरत से ज्यादा गर्मी या शोर भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।
हमारे आस-पास कई कारण प्रदूषण को बढ़ाते हैं-
- पटाखे फोड़ना
- वाहनों और फैक्ट्रियों से कार्बन उत्सर्जन
- गैस लीक
- बम धमाके
- औद्योगिक लापरवाही
इन सभी कारणों से हवा, पानी और मिट्टी में लगातार जहरीले तत्व बढ़ते जा रहे हैं, जिनका असर इंसानों के साथ-साथ प्रकृति पर भी पड़ता है।

भोपाल गैस त्रासदी
नेशनल पॉल्यूशन कंट्रोल डे सीधे तौर पर भोपाल गैस त्रासदी की याद से जुड़ा है। 2 दिसंबर 1984 की रात, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक कीटनाशक फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) नामक जहरीली गैस लीक हो गई। कुछ ही मिनटों में पूरी बस्ती एक गैस चैंबर में बदल गई।
राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, शुरुआत में 2259 लोग मारे गए, लेकिन रिपोर्ट्स बताती हैं कि समय के साथ बीमारियों की चपेट में आकर मरने वालों की यह संख्या 15,000-25,000 के आसपास पहुंच गई थी। जी हां, करीब 5 लाख लोग गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझने लगे। आंखों की रोशनी खोना, सांस लेने में दिक्कत, प्रजनन संबंधी समस्याएं और नसों से संबंधित बीमारियां आज भी कई बचे हुए लोगों को परेशान कर रही हैं- हादसे के 40 साल बाद भी।
बता दें, यह हादसा सिर्फ एक गैस लीक नहीं था, बल्कि यह चेतावनी थी कि उद्योगों में एक छोटी सी लापरवाही लाखों जिंदगियों को तबाह कर सकती है।
क्यों जरूरी है प्रदूषण नियंत्रण?
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस हमें याद दिलाता है कि प्रदूषण मिट्टी, पानी, हवा और पूरे पर्यावरण पर कितना गहरा प्रभाव डालता है। औद्योगिक दुर्घटनाओं से न सिर्फ आसपास के इलाकों का पर्यावरण खराब होता है, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों पर भी इसका दूरगामी असर पड़ता है।
इस दिन का मकसद है-
- प्रदूषण के खतरों के बारे में लोगों को जागरूक करना
- उद्योगों में सुरक्षा मानकों को अपनाने पर जोर देना
- ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाना
- प्रदूषण नियंत्रण कानूनों के महत्व को समझाना
- मानव लापरवाही से होने वाले प्रदूषण को कम करना
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के प्रमुख उद्देश्य
औद्योगिक दुर्घटनाओं की रोकथाम
लोगों और उद्योगों को यह सिखाना कि सुरक्षा प्रक्रियाएं कितनी जरूरी हैं और एक छोटी सी चूक कैसे बड़े हादसे में बदल सकती है।
प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को बढ़ावा देना
फैक्ट्रियों, गाड़ियों और मानव गतिविधियों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए उचित कदम उठाना।
सरकारी नियमों के महत्व को समझाना
प्रदूषण रोकने के लिए बनाए गए कानून तभी प्रभावी होंगे जब लोग उनका पालन करेंगे।
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण
स्वच्छ हवा, साफ पानी और सुरक्षित मिट्टी आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारा कर्तव्य है।
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस सिर्फ एक स्मृति दिवस नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि प्रदूषण की कीमत हमेशा इंसान को अपनी सेहत से चुकानी पड़ती है। भोपाल गैस त्रासदी ने हमें दिखाया कि लापरवाही कितनी भारी पड़ सकती है। इसलिए जरूरी है कि हम सभी प्रदूषण को कम करने, पर्यावरण को सुरक्षित रखने और जिम्मेदारी से जीने की दिशा में कदम बढ़ाएं।

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