32 दिन से मासूम लापता, 'मजिस्ट्रेट महादेव' की अदालत पहुंचे स्वजन, 11 ने शिवलिंग के सामने खाई कसम- हमने गायब नहीं किया रितेश
ग्वालियर के मुरार से 32 दिन पहले लापता हुए रितेश पाल का सुराग नहीं मिला है। जांच आगे न बढ़ने पर, परिवार 'मजिस्ट्रेट महादेव' की अदालत पहुंचा। 11 लोगों ...और पढ़ें

बच्चे के लापता होने की गुत्थी उलझी (प्रतीकात्मक चित्र)
डिजिटल डेस्क, ग्वालियर। मुरार के मोहनपुर गांव से 32 दिन पहले रहस्यमय हालातों में गायब हुए तीन वर्षीय रितेश पाल का सुराग अब तक पुलिस नहीं लगा सकी है। जंगलों से लेकर हाइवे, रिश्तेदारों और परिचितों के घरों तक 500 से अधिक पुलिसकर्मी और ड्रोन लगाए गए, लेकिन तलाश बेनतीजा रही। संदेह की सूई लगातार परिजनों पर अटक रही है, मगर पुलिस के पास कोई ठोस सबूत नहीं है।
जब जांच आगे नहीं बढ़ी, तो समाज के लोगों ने हस्तक्षेप किया और रितेश के ननिहाल और दादा पक्ष के लोगों को महाराजपुरा के गिरगांव स्थित मजिस्ट्रेट महादेव की अदालत में ले जाया गया। पहले पंचायत लगी, फिर 11 लोगों ने शिवलिंग पर हाथ रखकर कसम खाई। कहा- रितेश को गायब करने में न हम शामिल हैं न कोई षड्यंत्र है। अब फैसला महादेव पर छोड़ दिया गया है। 6 दिसंबर शाम 6 बजे तक का समय पंचायत ने दिया है। अगर इस समय किसी भी पक्ष का कोई नुकसान नहीं हुआ तो यह दोषमुक्त होंगे। अब सभी को महादेव के फैसले का इंतजार है।
यहां बता दें कि गिरगांव महादेव की अदालत पूरे अंचल में निष्पक्ष फैसले के लिए जानी जाती है। मंदिर के मुख्य द्वार पर ही लिखा है- मजिस्ट्रेट महादेव। अब तक यहां पैसों के लेनदेन और जमीनों के विवाद से जुड़े मामले ही आते थे। पहली बार ऐसा अवसर है- जब किसी अपहरण कांड में मजिस्ट्रेट महादेव की अदालत लगी है।
यह है मामला
- एक नवंबर को तीन वर्षीय रितेश पाल पुत्र दलवीर पाल अपने ननिहाल से लापता हो गया था। वह घर के बाहर खेल रहा था। ननिहाल मुरार थाना क्षेत्र के अंतर्गत मोहनपुर गांव में है। रितेश अपनी मां सपना के साथ ननिहाल में रहता है। जबकि बड़ा भाई पिता दलवीर के साथ उपनगर ग्वालियर में रहता है। सपना व दलवीर में झगड़ा रहता है। इसके कारण दोनों अलग रहते हैं।
- पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज किया और बालक की तलाश शुरू की। सपना व उसके मायके वाले पति और ससुराल पक्ष पर आरोप लगा रहे थे।जबकि पति दलवीर का कहना था- सपना ने अपने मायके वाले और परिचितों के साथ मिलकर बच्चे को गायब करा दिया है।
- खुद एसएसपी धर्मवीर सिंह, तीन एएसपी, चार सीएसपी, तीन टीआई और करीब 500 पुलिसकर्मी अब तक तलाश में लग चुके हैं। ड्रोन से भी जंगल में सर्चिंग कराई गई, लेकिन बच्चे का सुराग नहीं लगा।
- पुलिस ने करीब 50 संदेहियों से पूछताछ कर ली, सुई आखिर में स्वजनों पर ही आकर रुक जाती है। पुलिस इन पर ही संदेह कर रही है, इसके चलते इनसे पूछताछ भी हुई। जब बच्चा नहीं मिला तो समाज के लोग आगे आए और मजिस्ट्रेट महादेव के सामने ले गए।
पहले मंदिर में पंचों के सामने हुई चर्चा, फिर खाई कसम
सपना, उसका भाई राजू, भाभी ज्योति व दो अन्य लोग और दलवीर के साथ उसका भाई, पिता व अन्य स्वजन पहुंचे। दोनों पक्षों से 11 लोग पंचायत में शामिल हुए। यहां करीब दो घंटे तक चर्चा हुई। फिर महादेव के सामने ले जाया गया, यहां दोनों पक्षों ने कसम खाकर कहा- हम निर्दोष हैं।
हमने गायब किया हो तो तीनों बेटे मर जाएं
दलवीर के पिता रामवीर ने कहा कि अगर उसका या उसके स्वजनों का हाथ रितेश को गायब कराने में हो तो उसके तीनों बेटे मर जाएं। इसी तरह अन्य लोगों ने भी कसम खाई। सपना ने कहा कि उसका ससुर गलत नीयत रखता है, इसलिए वह पति से अलग रहती है।
5 दिन में आ जाएगा फैसला
पंचों ने कहा कि 6 दिसंबर शाम 6 बजे तक फैसला आ जाएगा। अगर इस दौरान किसी भी पक्ष के यहां चोरी, किसी की मृत्यु, पशु की मृत्यु या कोई हादसा होता है तो वह पक्ष दोषी माना जाएगा। अपराध स्वीकार करने पर सजा दी जाएगी।
यहां पर यह बता दें कि मजिस्ट्रेट महादेव के समक्ष करोड़ों रुपए और जमीनों के लेनदेन के विवाद में फैसला हो चुका है।
खुद गए स्वजन
एसएसपी धर्मवीर सिंह का कहना है- पुलिस अपनी जांच कर रही है। तकनीकि साक्ष्यों का विश्लेषण चल रहा है। पुलिस द्वारा इन्हें किसी मंदिर में नहीं ले जाया गया। यह लोग खुद ही वहां गए हैं।

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