Dindori: आदिवासी और बैगा जनजाति के लिए जनजाति कल्याण केंद्र बना सहारा, 29 साल में पांच लाख लोगों का निशुल्क इलाज
Dindori News मध्य प्रदेश के डिंडौरी में आदिवासियों के साथ संरक्षित जनजाति बैगा के लिए जनजाति कल्याण केंद्र एक बड़ा सहारा बना है। पिछले 29 वर्षों से संचालित किए जा रहे स्वास्थ्य शिविर में अब तक पांच लाख से अधिक लोगों का निशुल्क उपचार किया जा चुका है। उपचार करने के लिए दिल्ली नागपुर और हैदराबाद आदि महानगरों से डॉक्टरों की टीम यहां पहुंचती है।
पांच लाख से अधिक लोगों का निशुल्क इलाज
इसके अलावा प्रतिवर्ष मेगा स्वास्थ्य शिविर का आयोजन भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा संचालित जनजाति कल्याण केंद्र करता है। जनसहयोग और प्रशासन की मदद से संचालित शिविरों में अब तक यहां पांच लाख से अधिक लोगों का निशुल्क उपचार किया जा चुका है। केंद्र की स्थापना वर्ष 1995 में सेवा प्रकल्प के रूप में की गई थी। यहां समाजसेवा के अलग-अलग क्षेत्र में 15 प्रकल्प काम कर रहे हैं।अक्टूबर माह में लगता है मेगा शिविर
सिकलसेल एनीमिया में विशेष पहल
आदिवासी बहुल जिले डिंडौरी में सिकलसेल एनीमिया वर्षों से बड़ी समस्या बनी रही है। अब तक इस जिले में पीड़ित चिह्नित भी नहीं हो पाए हैं। जिन ऐसे में जनजाति कल्याण केंद्र द्वारा तीन लाख लोगों की स्क्रीनिंग करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यहां नियमित गांव-गांव घूमकर स्क्रीनिंग चल रही है। केंद्र में लगी मशीन में इसकी जांच भी होती है।केंद्र में सभी मर्ज का होता है इलाज
जनजाति कल्याण केंद्र में सिकलसेल के अलावा कैंसर, टीवी, नेत्र रोग सहित लगभग सभी तरह के पीड़ितों का इलाज किया जाता है। जिन बीमारियों में ऑपरेशन की आवश्यकता होती है, उन्हें महानगरों में संघ से जुड़े अस्पताल भेजकर इलाज कराया जाता है। यहां पर इन्हें शासन की योजनाओं का लाभ भी दिलाया जाता है। पंजीकृत मरीजों का फालोअप भी किया जाता है। यहां इलाज के खर्च की कोई सीमा नहीं है। जन सहयोग से ही सभी कार्य होते हैं। इलाज में किसी विशेष वर्ग की ही मदद नहीं की जाती, जो पीड़ित हो वह इलाज करवा सकता है। मरीजों को दवाइयां भी मुहैया कराई जाती है। शिविर में आने वाले महानगरों के डॉक्टर निशुल्क इलाज करते हैं। आदिवासी बहुल पिछड़ा जिले में होने के साथ स्वास्थ्य सुविधाएं न होने के चलते इस तरह की पहल जिले में करने की आवश्यकता महसूस हुई थी।प्लास्टिक सर्जरी से संवरा जीवन
जनजाति कल्याण केंद्र में शहपुरा जनपद के ग्राम दूबा रैयत निवासी लगभग 10 वर्षीय आदिवासी बालिका दसोदिया बाई खाना बनाते समय बुरी तरह चेहरे सहित अन्य जगह झुलस गई थी। शिविर में बालिका का पंजीयन किया गया। प्रारंभिक इलाज के बाद यहां सेवा देने वाले शिक्षक अश्वनी साहू द्वारा जबलपुर के निजी अस्पताल में ले जाकर प्लास्टिक सर्जरी कराई गई। इससे बच्ची को एक तरह से नया जीवन मिल गया।जनजाति कल्याण केंद्र महाकोशल बरगांव में अलग-अलग 15 प्रकल्प चल रहे हैं, जिनमें स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी विशेष पहल करने का प्रयास किया जा रहा है। जिले में जरूरतमंद अधिकांश लोग ऐसे भी हैं जो संसाधनों के अभाव में विशेषज्ञ डॉक्टरों से इलाज नहीं करा पाते। ऐसे लोगों को चिन्हित कर प्रतिवर्ष होने वाले मेगा स्वास्थ्य शिविर में लाभान्वित कराया जाता है। प्रत्येक माह में भी एक विशेषज्ञ डॉक्टर शिविर लगाकर लोगों की जांच के साथ इलाज भी करते हैं।
-राजकुमार मटाले, अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ