'कांग्रेस ने अपनी कई मजबूत सीटें गठबंधन के साथियों के लिए छोड़ीं,' MVA में CM चेहरे पर क्या बोले अविनाश पाण्डेय?
अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महासचिव अविनाश पांडे कांग्रेस के वार रूम का हिस्सा हैं। इस बीच आज दैनिक जागरण के मुंबई ब्यूरो प्रमुख ओमप्रकाश तिवारी से अविनाश पांडे की खास बातचीत हुई। इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र में चुनाव को लेकर कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा चाहे अल्पसंख्यक हों चाहे दलित समाज के लोग होंअधिकांश ओबीसी समाज के लोग हों सबमें राहुल गांधी के प्रति विश्वसनीयता बढ़ी है।
जागरण न्यूज नेटवर्क, मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी: करीब छह माह पहले हुए लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अपेक्षा से अधिक सफलता मिली। इस सफलता में बड़ी भूमिका उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे की रही थी।
महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र पांडे की राजनीतिक कर्मभूमि रहा है। यहीं वह अपने जीवन के पहले चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) के उम्मीदवार के रूप में तब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के प्रदेश अध्यक्ष रहे नितिन गडकरी को हराकर नागपुर की छात्र राजनीति में अपनी धाक जमाने में कामयाब रहे थे।अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस के वार रूम का हिस्सा हैं। प्रस्तुत है दैनिक जागरण के मुंबई ब्यूरो प्रमुख ओमप्रकाश तिवारी से अविनाश पांडे की बातचीत के कुछ अंश।
'राहुल गांधी के प्रति बढ़ा सबका भरोसा'
ओमप्रकाश तिवारी ने महाराष्ट्र चुनाव को लेकर अविनाश पांडे से सवाल किए हैं, उन्होंने कहा, आज चुनाव प्रचार खत्म हो चुका है। आप क्या अनुमान लगा पा रहे हैं ? देखिए, बदलाव तो सुनिश्चित है। इसके साथ ही मैं यह भी जोर देकर कहना चाहता हूं कि आज चाहे अल्पसंख्यक हों, चाहे दलित समाज के लोग हों, चाहे अधिकांश ओबीसी समाज के लोग हों, सबमें राहुल गांधी के प्रति विश्वसनीयता बढ़ी है।किसान समाज भी उन्हें अपनी आवाज उठानेवाले एक नेता के रूप में देख रहा है। इसका लाभ लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस के साथ-साथ उसके सहयोगी दलों को भी मिला है। यही चीज पर महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में भी दोहराई जानेवाली है।
उत्तर प्रदेश का महाराष्ट्र चुनाव से हुआ जिक्र
आपने उत्तर प्रदेश का जिक्र किया। क्या समानता देख पा रहे हैं आप लोककसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और अब विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में ? लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के नतीजे आप देखेंगे तो इसमें आपको कई समानताएं मिलेंगी। ये दो राज्य वो हैं, जिन्होंने मोदी जी के विजय रथ को रोकने में बड़ी भूमिका अदा की है। उनके 400 पार के नारे पर ब्रेक लगाने का काम किया है। और सिर्फ रोका ही नहीं, वाराणसी में तो मतगणना के दौरान देश के प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी स्वयं छह राउंड तक पिछड़ते रहे थे। ये दर्शाता है कि देश के लोगों की सोच मोदी जी को लेकर कैसे बदल रही है। लोग उनके अहंकार, गुरूर को पसंद नहीं कर रहे हैं। अब वही स्थिति आज महाराष्ट्र में है।महाराष्ट्र की जनता बदलाव चाहती है। ये छत्रपति शिवाजी की भूमि है। यहां गद्दारी के लिए कोई जगह नहीं है। लोग इसे मान्य नहीं करते हैं। उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी और परिवार के साथ जो किया गया, उनके नजदीकी लोगों ने ही उनकी पीठ में छुरा भोंका, उनसे गद्दारी की, उस गद्दारी की कीमत आज पूरा प्रदेश चुका रहा है। इसलिए महाराष्ट्र की जनता इसे कतई पसंद नहीं कर रही है।क्या चुनाव के बाद कांग्रेस एक बार फिर महाराष्ट्र में अपना मुख्यमंत्री बनता देख पा रही है ?
आयएनडीआयए गठबंधन का पहला लक्ष्य है कि हम भाजपा को हराएं। जिस प्रकार का अनैतिक गठबंधन करके भाजपा यहां सरकार चला रही है, उससे हटकर फिर से एक स्थिर शासन महाराष्ट्र को मिले। जहां तक बात मुख्यमंत्री पद की है, तो मैं स्पष्ट कर दूं कि आज कांग्रेस 103 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। उसने गठबंधन धर्म निभाते हुए अपनी कई मजबूत सीटें सहयोगी दलों के लिए छोडी भी हैं। अब चुनाव के बाद गठबंधन के सभी वरिष्ठ नेता बैठकर बात करेंगे, और महाराष्ट्र की जनता की उम्मीदों-अपेक्षाओं के अनुरूप वह निर्णय किया जाएगा, जो राज्य के हित में हो।
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