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Azam Khan: 'मंत्री पद का दुरुपयोग किया गया', आजम खान को जौहर यूनिवर्सिटी मामले में सुप्रीम कोर्ट से झटका, CJI ने लगाई फटकार

SC to Azam Khan रामपुर में मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय को लेकर सपा नेता आजम खान को फटकार लगाई है। आजम खान की अध्यक्षता वाले ट्रस्ट द्वारा संचालित इस यूनिवर्सिटी की भूमि की लीज रद्द करने को चुनौती दी गई थी जिसे आज खारिज कर दिया गया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा।

By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Mon, 14 Oct 2024 05:02 PM (IST)
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SC to Azam Khan आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से झटका।
पीटीआई, नई दिल्ली। SC to Azam Khan सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के रामपुर में मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय को लेकर सपा नेता आजम खान को फटकार लगाई है। आजम खान की अध्यक्षता वाले ट्रस्ट द्वारा संचालित इस यूनिवर्सिटी की भूमि की लीज रद्द करने को चुनौती दी गई थी, जिसे आज खारिज कर दिया गया। 

योगी सरकार का आदेश बरकरार

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा, जिसने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भूमि लीज रद्द करने के खिलाफ मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की कार्यकारी समिति द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था। 

कोर्ट ने लगाई फटकार

राज्य सरकार ने लीज शर्तों के उल्लंघन का हवाला देते हुए ट्रस्ट को आवंटित 3.24 एकड़ भूखंड का पट्टा रद्द कर दिया था, आरोप लगाया कि यह मूल रूप से एक शोध संस्थान के लिए आवंटित किया गया था, लेकिन वहां एक स्कूल चलाया जा रहा था। पीठ ने कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि तत्कालीन शहरी विकास मंत्रालय के प्रभारी और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आजम खान ने एक पारिवारिक ट्रस्ट को भूमि आवंटित करवाई, जिसके वे आजीवन सदस्य हैं। 

निजी संस्थान को क्यों दिया गया पट्टा

कोर्ट ने कहा कि पट्टा शुरू में एक सरकारी संस्थान के पक्ष में था, जो एक निजी ट्रस्ट से जुड़ा हुआ है। एक पट्टा, जो एक सरकारी संस्थान के लिए था, उसे एक निजी ट्रस्ट को कैसे दिया जा सकता है? यह कार्यालय का दुरुपयोग है।

सिब्बल की दलीलों पर यूपी सरकार को आदेश

हालांकि, शीर्ष अदालत ने ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों पर ध्यान दिया और उत्तर प्रदेश सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि किसी भी बच्चे को उपयुक्त शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश से वंचित न किया जाए।

सिब्बल ने तर्क दिया कि 2023 में पट्टे को रद्द करने का निर्णय बिना कोई कारण बताए लिया गया था। सिब्बल ने कहा, "अगर उन्होंने मुझे नोटिस और कारण बताए होते, तो मैं इसका जवाब दे सकता था। आखिरकार, मामला कैबिनेट के पास गया। मुख्यमंत्री ने भूमि आवंटन पर निर्णय लिया।"

हाईकोर्ट ने भी खारिज की थी याचिका

18 मार्च को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के भूमि पट्टे को रद्द करने के आदेश को चुनौती देने वाली ट्रस्ट की याचिका को खारिज कर दिया था। ट्रस्ट की कार्यकारी समिति ने तब दलील दी थी कि सुनवाई का कोई अवसर दिए बिना ही पट्टा रद्द कर दिया गया।

हाईकोर्ट में राज्य की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता ने बिना कारण बताओ नोटिस के पट्टा रद्द करने का बचाव इस आधार पर किया था कि जनहित सर्वोपरि है।