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    58 करोड़ रुपये के डिजिटल अरेस्ट मामले के चीन से जुड़े हैं तार

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 10:33 PM (IST)

    दिल्ली पुलिस ने 58 करोड़ रुपये के डिजिटल अरेस्ट घोटाले का खुलासा किया है, जिसके तार चीन से जुड़े हैं। घोटालेबाज लोगों को साइबर अपराध में फंसाकर पैसे ऐंठते थे। जांच में पता चला कि कॉल सेंटर चीन से संचालित हो रहे थे और पीड़ितों को पुलिस अधिकारी बनकर डराते थे। पुलिस मामले की जांच कर रही है और लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।

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    डिजिटल अरेस्ट।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई में 58 करोड़ रुपये के ''डिजिटल अरेस्ट'' मामले की जांच कर रहे महाराष्ट्र साइबर विभाग को एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का पता चला है। इसके तार हांगकांग, चीन और इंडोनेशिया तक फैले हैं। साइबर जालसाजों ने इस साल 19 अगस्त से आठ अक्टूबर के बीच सीबीआइ और ईडी का अधिकारी बनकर मुंबई के एक व्यवसायी से 58 करोड़ रुपये की ठगी की।

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    एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि पूरा रैकेट क्रिप्टो करेंसी लेन-देन के जरिये संचालित होता था। ठगी गई धनराशि कई क्रिप्टो वालेट के जरिये विदेश भेजी जाती थी। उन्होंने बताया कि इस मामले में साइबर विभाग को एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का पता चला है। इसके तार हांगकांग, चीन और इंडोनेशिया तक फैले हैं।

    जांचकर्ताओं ने पाया कि गिरोह कई कमीशन-आधारित बैंक खातों के जरिये काम करता था। यह धोखाधड़ी तब सामने आई, जब व्यवसायी ने शिकायत दर्ज कराई कि उसे सीबीआइ अधिकारी होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति का फोन आया था। फोन करने वाले ने उसे आधिकारिक पूछताछ के नाम पर वीडियो काल में शामिल होने के लिए धमकाया और कई घंटों में उसके खाते से 58 करोड़ रुपये निकाल लिए।

    अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान साइबर पुलिस को पता चला कि इसे एक बड़े अंतरराष्ट्रीय गिरोह ने अंजाम दिया। यह गिरोह एक साल से भी अधिक समय से भारतीय नागरिकों को निशाना बना रहा था। उन्होंने कहा कि इस गिरोह ने लगभग दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी की है।

    लुभावने वादे कर एप के माध्यम से की 10 करोड़ की ठगी

    मुंबई में कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों में सलाहकार के रूप में काम करने वाले एक वकील साइबर धोखाधड़ी के शिकार हो गए। साइबर ठगों ने उन्हें स्टाक मार्केट में निवेश करने के लिए तैयार किया और लुभावने वादे कर एक एप के माध्यम से उनसे 10 करोड़ रुपये ठग लिए। इसके लिए उनसे एक महिला ने संपर्क किया था।

    एक प्रतिष्ठित स्टाक ब्रोकिंग फर्म की प्रतिनिधि होने का दावा करते हुए महिला ने उन्हें कई वाट्सएप ग्रुप का हिस्सा बनने के लिए राजी किया। इन वाट्सएप ग्रुप पर शेयर ट्रेडिंग और आइपीओ के बारे में जानकारी साझा की जा रही थी। महिला ने उन्हें एआर ट्रेडिंग मोबी नामक स्टाक ट्रेडिंग एप डाउनलोड करने के लिए एक लिंक भेजा। पीड़ित ने एप के माध्यम से निवेश करना शुरू किया।

    जून से नवंबर के बीच कुल 9.94 करोड़ रुपये का ट्रांसफर किया। जब उन्होंने निवेश फर्म से अपना पैसा वापस करने का अनुरोध किया तो उन्हें और अधिक पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहा गया। इससे उन्हें संदेह हुआ। इसके बाद पीड़ित ने साइबर पुलिस शिवाजीनगर मुंबई से संपर्क किया। अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

    (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)