नई दिल्ली। संदीप राजवाड़े।

केस एक - पढ़ना चाहती थी दुर्गा, खुद रुकवाई अपनी शादी

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले का एक गांव। दसवीं में पढ़ने वाली 15 साल की दुर्गा (परिवर्तित नाम) की शादी उसके परिवार वाले उससे 10 साल बड़े युवक से करा रहे थे। दुर्गा अभी शादी नहीं करना चाहती थी और पढ़ना चाहती थी। उसने बाल अधिकार संरक्षण आयोग के हेल्पलाइन वाट्सएप नंबर पर अपनी शादी की सूचना दी। चाइल्ड लाइन के अधिकारियों के साथ पुलिस की टीम शादी के दिन मौके पर पहुंची और दुर्गा का बाल विवाह होने से रोक दिया। दोनों परिवार के लोगों को समझाया गया। दुर्गा अब 12वीं की छात्रा है। वह आगे चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर बनना चाहती है।

केस दो- झांसे में आकर 14 साल में शादी की, मारपीट करने पर निकली

असम के गुवाहाटी से लगे एक गांव की 15 साल की किरण (परिवर्तित नाम) अपने पिता और भाई के साथ रहती थी। दो साल पहले पड़ोसी गांव में रहने वाले एक युवक से उसकी दोस्ती हुई और उसने शादी का वादा किया। अपने से सात साल बड़े युवक के झांसे में आकर वह उसके साथ घर से भाग गई और मंदिर में शादी की। युवक के घर पहुंचने पर सास उसे हर दिन प्रताड़ित करने लगी। उसे घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता था, कमरे में बंद करके रखा जाता था। उसके साथ मारपीट की जाती थी। उसने अपनी आपबीती पड़ोसियों को बताई और चाइल्ड लाइन के नंबर पर फोन किया तो टीम ने आकर उसे वहां से निकाला। किरण 3-4 महीने तक प्रताड़ना के कारण डिप्रेशन में रही। दो साल से गुवाहाटी के नवजीवन रिहेबिलिटेशन सेंटर में रहकर वह स्कूली शिक्षा ले रही है। किरण का कहना है कि कोई भी नाबालिग लड़की शादी न करे, शिक्षा के साथ अपने पैरों पर खड़े होने के बाद ही शादी का फैसला ले। किरण बड़ी होकर पुलिस ऑफिसर बनना चाहती है।

केस 03- फोन कर पुलिस बुलाया और बालविवाह से बची

झारखंड के देवघर जिले के एक गांव की 15 साल की प्रेरणा (परिवर्तित नाम) नौवीं कक्षा में पढ़ती थी। उसके माता-पिता गरीब हैं। उसके पिता ने पास के एक गांव में उसका रिश्ता 8 साल बड़े उम्र के लड़के से कर दिया। प्रेरणा पढ़ाई में अच्छी थी और पढ़ना चाहती थी, लेकिन परिवारवालों ने उसकी बात नहीं सुनी और शादी तय कर दी। शादी के एक दिन पहले ही प्रेरणा ने हेल्पलाइन नंबर 104 पर डायल कर अपने बाल विवाह की सूचना दी। पुलिस व चाइल्ड लाइन की टीम शादी के दिन मौके पर पहुंचकर प्रेरणा की शादी रुकवाई। दोनों परिवार वालों को समझाया। अब परिवारवाले इस बात पर राजी हो गए हैं कि प्रेरणा के 18 साल पूरे होने और 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही शादी करेंगे।

केस 04- नाबालिग का विवाह कर रहे थे 26 साल के युवक के साथ, गुहार लगाई

असम के बारपेटा जिला के एक गांव की 16 साल की दिव्या (परिवर्तित नाम) 2020 में कक्षा 10 वीं में पढ़ती थी। उसके परिवार वाले उसकी शादी उससे 10 साल उम्र में बड़े 26 साल के एक युवक के साथ तय की। दिव्या ने अपने परिवारवालों से अभी शादी नहीं करने और आगे पढ़ने की बात कही। लेकिन उसकी बात नहीं मानी गई। शादी की तारीख तय हो गई। दिव्या ने अपना बाल विवाह रुकवाने के लिए जिले के चाइल्ड लाइन में संपर्क किया। उसने कहा कि अगर वे उसका बाल विवाह नहीं रुकवाएंगे तो वह सुसाइड कर लेगी, लेकिन यह शादी नहीं करेगी। चाइल्ड लाइन को-आर्डिनेटर रफिकुल इस्लाम ने इसकी सूचना पुलिस व चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को दी। इसके बाद शादी के दिन पुलिस व चाइल्ड लाइन की टीम ने मौके से दूल्हे को पकड़ा और गिरफ्तार किया। इसके बाद दिव्या के परिवारवालों को समझाईश दी। अब दिव्या 12 वीं की पढ़ाई कर रही है।

यह वे रियल कहानियां हैं, जहां खुद नाबालिग लड़कियों ने हिम्मत दिखाई और बाल विवाह के खिलाफ खड़ी हुईं। ये पढ़-लिखकर अपने पैर पर खड़ी होना चाहती हैं, कुछ बनना चाहती हैं। उनका मानना है कि 18 साल की उम्र से पहले लड़कियां शादी न करें। जागरण प्राइम ने असम में हो रहे बाल विवाह और वहां की जा रही सख्त कार्रवाई को लेकर खबर प्रकाशित की थी। पीड़िताओं के साथ जिम्मेदार अफसरों व अधिकारियों से जाना था कि आखिर इसकी मुख्य वजह क्या है, कैसे इसे रोका जा सकता है। इस खबर की दूसरी कड़ी में जागरण प्राइम ने देश में बाल विवाह में टॉप-5 में शामिल राज्य पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड की पड़ताल की। यहां बाल विवाह ज्यादा होने के कारण के साथ इसे रोकने के लिए शासन की तरफ से किए जा रहे प्रयासों पर भी बात की। इन राज्यों में बाल विवाह की कुरीति बंद करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसका असर यह है कि अब कुछ मामलों में नाबालिग लड़कियों खुद अपनी शादी के खिलाफ खड़ी हो रही हैं और पुलिस-प्रशासन को सूचना देकर बाल विवाह रुकवा रही हैं। कुछ राज्यों में सरकार की तरफ से लड़कियों की पढ़ाई के लिए नौवीं कक्षा से 12वीं तक स्कॉलरशिप और 18 के पहले शादी न करने पर 20 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।

बाल विवाह वाले राज्यों में 43% से ज्यादा अशिक्षित, यह बड़ा कारण

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार देश में सबसे ज्यादा बाल विवाह वाले 5 राज्य पश्चिम बंगाल, बिहार, त्रिपुरा, झारखंड और असम हैं। इन राज्यों में बाल विवाह की दर 30 से 42 फीसदी है। इसका मुख्य कारण गरीबी और अशिक्षा है। सर्वे के अनुसार जिन राज्यों में बाल विवाह की समस्या ज्यादा है, वहां लंबे समय से ये दोनों कारण हावी हैं। बिहार में जिनका बाल विवाह हुआ, उनमें से 63 फीसदी अशिक्षित थे। इसी तरह पश्चिम बंगाल में इनकी संख्या 58 फीसदी थी। इसी तरह झारखंड में बाल विवाह वालों में 48 फीसदी अशिक्षित मिले। असम में 43 फीसदी से ज्यादा की दर है। इसके अलावा बाल विवाह का चलन गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में ज्यादा है। पश्चिम बंगाल में यह आर्थिक रूप से सम्पन्न लोगों में भी देखा जा सकता है।

बेटियां दिखा रही हैं जागरुकता, 80% तक नाबालिग ही कर रहीं शिकायत

पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन सुदेशना रॉय का कहना है कि बाल विवाह एक बड़ी समस्या है। बंगाल ही नहीं बल्कि कई राज्यों में इसकी वजह गरीबी और अशिक्षा है। हमारे यहां अलग-अलग जिलों में अलग स्थिति है। इसे रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। जिले से लेकर गांव तक जागरूकता अभियान चला रहे हैं। आयोग ने चार साल पहले हेल्पलाइन वाट्सएप नंबर 9836300300 जारी किया था। इस नंबर के माध्यम से राज्य की नाबालिग लड़कियां सीधे आयोग से संपर्क कर पा रही हैं। हम सभी समुदाय के साथ उन युवकों को भी जागरूक कर रहे हैं जो नाबालिग लड़कियों से शादी करते हैं। शासन की तरफ से लड़कियों का ड्रॉप आउट को कम करने के लिए भी विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।

सुदेशना रॉय ने कहा, जागरूकता का असर अब दिखने लगा है। हेल्पलाइन वाट्सएप नंबर पर अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के दौरान 122 शिकायतें मिलीं, जिसमें टीम पुलिस के साथ पहुंचकर विवाह को रुकवाया। कुछ मामलों में बाल विवाह कराने वालों के खिलाफ मामले भी दर्ज किए गए। इस साल जनवरी से मार्च के दौरान ही 35 ऐसी शिकायतं मिलीं। इनमें 80 फीसदी से ज्यादा शिकायत करने वाली नाबालिग लड़कियां थीं।

43 हजार लड़कियों की समिति से जागरूकता, रुकवा रही हैं बाल विवाह

बाल विवाह में देश में दूसरा स्थान बिहार का है, जहां इसे रोकने के लिए यूनिसेफ के साथ उड़ान योजना चलाई जा रही है। इसके तहत गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। बिहार के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी बताते हैं कि शिक्षित न होना सबसे बड़ा कारण है। अब हर समुदाय व वार्ड-गांव स्तर तक लोगों को समझाया जा रहा है। उड़ान योजना प्रदेश की 1490 पंचायतों में चलाई जा रही है। इसमें लड़के व लड़कियां दोनों की समितियां बनाकर भागीदारी तय की गई है। इसमें किशोरियों के 3,847 समूहों में 43,396 लड़कियों को जोड़ा गया है। इसी तरह सक्रिय युवकों के समूह में 11,276 सदस्य हैं। ये पूरे प्रदेश में पंचायत से लेकर वार्ड स्तर तक बाल विवाह के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ निगरानी कर रहे हैं। इसका असर यह रहा है कि इन समितियों द्वारा ही 162 बाल विवाह रोके गए।

सहनी ने बताया कि रेडिया, टीवी के साथ सोशल मीडिया व अखबारों के जरिए बाल विवाह रोकने को लेकर जागरूक किया जा रहा है। लड़कियों को पढ़ने और खेलने को लेकर प्रेरित करने के लिए भारतीय महिला क्रिकेट कप्तान हरमनप्रीत कौर के साथ फिल्म कलाकार सौरभ शुक्ला के वीडियो संदेश प्रसारित कराए जा रहे हैं। लड़कियों की शिक्षा के लिए प्रोत्साहन योजना भी चलाई जा रही है। अब लोगों में जागरूकता का असर भी दिखाई दे रहा है। नाबालिग लड़कियां बाल विवाह होने पर पुलिस या शासन को फोन कर सूचना दे देती हैं।

बाल विवाह निगरानी के लिए टास्क फोर्स, 20 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि भी

झारखंड बाल विवाह के मामले में देश में चौथे स्थान पर है। यहां 12 से 16 साल की नाबालिगों के शादी के मामले काफी पाए जाते हैं। इस पर अंकुश लगाने के लिए शासन की तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। पहले जहां इसे लेकर एक विभाग ही जिम्मेदार होता था, अब पुलिस, जिला प्रशासन, महिला बाल विकास, बाल संरक्षण आयोग के साथ पंचायत विभाग तक को शामिल किया गया है। समाज कल्याण विभाग के सचिव कृपानंद झा का कहना है कि झारखंड में बाल विवाह एक अहम समस्या है, इसे लेकर शासन भी गंभीर है। हमारे पास पहले प्रदेश के 262 ब्लॉक में बाल निषेध अधिकारी होते थे, अब उनकी संख्या बढ़ा दी गई है। अब राज्य की सभी पंचायतों में 6000 से अधिक लोगों की टास्क फोर्स बना दी गई है। सभी पंचायतों के सचिव को चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर का दायित्व दिया गया है। उन्हें बाल विवाह रोकने की कार्रवाई का अधिकार भी दिया गया है। अब उन्हें बाल विवाह होने पर कार्रवाई के लिए किसी अन्य अधिकारी का इंतजार नहीं करना पड़ता है। पुलिस के साथ मिलकर भी अभियान चलाया जा रहा है। इसके अलावा हमारे हेल्पलाइन नंबर 104 पर भी बाल विवाह की शिकायतें आती हैं। अधिकतर मामलों में नाबालिग खुद अपनी शादी रुकवाती हैं।

झा बताते हैं कि बाल विवाह का बड़ा कारण गरीबी और अशिक्षा है। लड़कियों के अपनी स्कूली शिक्षा पूरी नहीं करने के कारण भी उनकी जल्द शादी कर दी जाती है। बाल विवाह रोकने और आर्थिक रूप से कमजोर बेटियों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने के मकसद से एक साल से सावित्री देवी फुले किशोरी समृद्धि योजना चलाई जा रही है। इसमें पिछले साल 7.3 लाख लड़कियों को यह प्रोत्साहन राशि दी गई। 8-12वीं तक की पढ़ाई करने वाली लड़कियों को प्रत्येक साल 2500 से लेकर 5000 रुपये तक दिए जाते हैं। इसके अलावा 18 से पहले शादी नहीं करने वाली लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए 20 हजार रुपए दिए जाते हैं। इसका असर अब दिखाई भी दे रहा है। अधिकतर लड़कियां जो गरीबी के कारण नहीं पढ़ पाती थीं, इस योजना से जुड़ रही हैं।