35000 फीट तक उड़ान, 45 घंटों तक हवा में रहने में सक्षम; भारत आ रहे इजरायली ड्रोन से उड़ी पाक की नींद
ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत इजरायली हेरान एमके-2 ड्रोन की अतिरिक्त खरीद कर रहा है, जिसका निर्माण भारत में भी हो सकता है। यह ड्रोन 1,430 किलोग्राम भार के साथ 35,000 फीट की ऊंचाई पर 45 घंटे तक उड़ान भर सकता है। चीन सीमा पर निगरानी के लिए तैनात, हेरान ड्रोन की क्षमताओं को 'प्रोजेक्ट चीता' के तहत बढ़ाया जा रहा है।

इजरायली हेरान एमके-2 ड्रोन खरीदने की भारत ने की शुरुआत। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रभावी हुए आपातकालीन नियमों के तहत भारत ने और इजरायली हेरान एमके-2 ड्रोन खरीदने की शुरुआत की है।
इजरायली रक्षा उद्योग के सूत्रों के मुताबिक, इस अत्याधुनिक ड्रोन को भारत में बनाने पर भी बातचीत चल रही है। इस कदम से तकनीक के पूर्ण हस्तांतरण का रास्ता भी बन सकता है और रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया की छाप गहरी हो सकती है।
एक सूत्र ने बताया, ''सेना के तीनों अंगों ने एमके-2 खरीदने का फैसला किया है और हमें गर्व है कि नौसेना ने भी इसे खरीदने का फैसला किया है।'' सूत्र ने हालांकि यह बताने से इन्कार कर दिया कि नौसेना कितने ड्रोन खरीदने की योजना बना रही है।
लंबी दूरी की उड़ान भरने में सक्षम
आइएआइ द्वारा विकसित हेरान एमके-2 एक मध्यम ऊंचाई व लंबी दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम (एमएएलई) यूएवी है। यह अधिकतम 1,430 किलोग्राम भार के साथ 35 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है। यह लगातार 45 घंटों तक उड़ान भर सकता है और इसकी अधिकतम रफ्तार 150 नाट है।
भारत ने 2021 में खरीदना शुरू किया था ये ड्रोन
भारत ने चीन के साथ एलएसी पर तनाव के बाद आपातकालीन शक्तियों के तहत 2021 में हेरान एमके-2 ड्रोन खरीदना शुरू किया था। शुरू में थलसेना और वायुसेना के लिए दो-दो ड्रोन के आर्डर दिए गए थे। हाल में वर्षों ने भारत ने इनकी खरीद बढ़ाई है। सूत्रों ने कहा कि फोकस अब एचएएल और एलकाम के बीच साझीदारी के जरिये भारत में एमके-2 बनाने पर है।
आइएआइ के एक अधिकारी ने कहा, ''हम मेक इन इंडिया को लेकर बहुत जागरूक हैं और उन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने स्थानीय साझीदार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हमारा एक साझीदार एचएएल है और दूसरा एलकाम है। हमारा मकसद भारत में हेरान का भारतीय संस्करण बनाना है। न सिर्फ एमके-2, बल्कि दूसरे ड्रोन भी।''
कहां तैनात किए जाते हैं ये ड्रोन?
गौरतलब है कि हेरान ड्रोन मुख्य रूप से चीन और पाकिस्तान से लगती सीमाओं पर लंबी दूरी की निगरानी के लिए तैनात किए जाते हैं और बहुत असरदार साबित हुए हैं। इसके साथ ही भारतीय वायुसेना और रक्षा मंत्रालय मौजूदा हेरान बेड़े की निगरानी व लड़ाकू क्षमताओं को अपग्रेड करने के लिए प्रोजेक्ट चीता पर काम कर रहे हैं।

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