हर 9 में से एक व्यक्ति को संक्रामक रोग, ICMR की स्टडी में हुआ खुलासा; कहीं आप भी तो इसके शिकार नहीं?
सर्दियों में प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों के बीच, ICMR की स्टडी में पाया गया है कि हर नौ में से एक व्यक्ति संक्रामक रोग से पीड़ित है। परीक्षण में 'इन्फ्लूएंजा ए', 'डेंगू वायरस' जैसे पैथोजन पाए गए। ICMR के वीआरडीएल नेटवर्क ने 2025 में कई बीमारियों के क्लस्टर की पहचान की है, जो संक्रमण के रुझानों की निगरानी की आवश्यकता को दर्शाता है।

इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च के तहत कराई गई स्टडी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सर्दियों के मौसम में इन दिनों वायु प्रदूषण एवं अन्य कतिपय कारणों से लोगों को सर्दी, खांसी और बुखार होना अब एक सामान्य सी बात हो गई है। मगर, हाल ही में इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के तहत कराई गई स्टडी में यह बात सामने आई है कि हर नौ में से एक व्यक्ति किसी न किसी संक्रामक रोग से ग्रसित है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह आंकड़ा भले ही ज्यादा बड़ा न लगे, लेकिन इसे कम नहीं आंकना चाहिए। यह मौसमी बीमारियों और उभरते संक्रमणों के लिए एक चेतावनी हो सकती है। अगर हम इन्फेक्शन रेट में तिमाही बदलावों को ट्रैक करते रहें तो भविष्य में होने वाली महामारियों को समय पर रोका जा सकता है।
परीक्षण के दौरान हुआ खुलासा
परीक्षण के दौरान इन पांच टाप पैथोजन का पता चला सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी वायरल इन्फेक्शन की पहचान करने की कोशिशों के तहत आइसीएमआर के तहत टेस्ट किए गए 4.5 लाख मरीजों में से 11.1 प्रतिशत में पैथोजन पाए गए।
परीक्षण के दौरान जिन पांच टाप पैथोजन का पता चला, उनमें थे - एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन /गंभीर एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन मामलों में 'इन्फ्लूएंजा ए', एक्यूट बुखार और हेमोरेजिक बुखार के मामलों में 'डेंगू वायरस', पीलिया के मामलों में 'हेपेटाइटिस ए', एक्यूट डायरिया रोग के मामलों में 'नोरोवायरस' और एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम मामलों में 'हर्पीस ¨सप्लेक्स वायरस'।
संक्रमण पैदा करता है पैथोजन
पैथोजन एक ऐसा सूक्ष्म जीव या कारक है जो मनुष्यों, जानवरों या पौधों में बीमारी या संक्रमण पैदा कर सकता है। इनमें बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, परजीवी और प्रोटोजोआ जैसे जीव शामिल हैं। ये जीव किसी के शरीर में प्रवेश कर उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बाधित करके बीमारी फैलाते हैं।
मजबूत निगरानी की जरूरत बता रहे संक्रमण के आंकड़े आइसीएमआर की रिपोर्ट के अनुसार, संक्रामक बीमारियों का प्रसार 2025 की पहली तिमाही में 10.7 प्रतिशत से बढ़कर दूसरी तिमाही में 11.5 प्रतिशत हो गया। आइसीएमआर के वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरीज (वीआरडीएल) नेटवर्क के अनुसार, जनवरी से मार्च के बीच, 2,28,856 सैंपल में से 24,502 (10.7 प्रतिशत) में पैथोजन पाए गए।
अप्रैल से जून 2025 तक, 2,26,095 सैंपल में से 26,055 (11.5 प्रतिशत) पाजिटिव पाए गए। इस तरह, पिछली तिमाही की तुलना में संक्रमण दर में 0.8 प्रतिशत अंकों की वृद्धि हुई जो संक्रमण के रुझानों की मजबूत निगरानी की आवश्यकता का संकेत देता है। 2014-2024 के बीच 40 लाख से ज्यादा सैंपल टेस्ट किए गए, जिनमें से 18.8 प्रतिशत में पैथोजन की पहचान की गई।
अर्ली वार्निंग सिस्टम है वीआरडीएल नेटवर्क
वीआरडीएल नेटवर्क 2014 में 27 लैबोरेटरी से बढ़कर 2025 तक 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 165 लैबोरेटरी तक फैल गया है। इस नेटवर्क के जरिए अब तक देश भर में 2,534 बीमारी के क्लस्टर पहचाने गए हैं। वीआरडीएल नेटवर्क देश के लिए एक अर्ली वार्निंग सिस्टम की तरह काम करता है।
छह माह की जांच में कई संक्रामक बीमारियों की पहचान आइसीएमआर की रिपोर्ट में पाया गया कि इस साल अप्रैल और जून के बीच 191 बीमारी के क्लस्टर की जांच की गई और गलसुआ, खसरा, रूबेला, डेंगू, चिकनगुनिया, रोटावायरस, नोरोवायरस, वैरिसेला जोस्टर वायरस, एपस्टीन-बार वायरस और एस्ट्रोवायरस जैसी संक्रामक बीमारियों की पहचान की गई।
जनवरी और मार्च के बीच, 389 बीमारी के क्लस्टर की जांच की गई और गलसुआ, खसरा, रूबेला, हेपेटाइटिस, डेंगू, चिकनगुनिया, रोटावायरस, इन्फ्लूएंजा, लेप्टोस्पाइरा, वैरिसेला जोस्टर वायरस और सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन जैसी संक्रामक बीमारियों की पहचान की गई।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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