फिर इतिहास रचने को तैयार ISRO... लॉन्च करेगा सबसे भारी 'बाहुबली' रॉकेट; कैसे पड़ा इसका नाम?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सीएमएस-03 नामक सबसे भारी संचार उपग्रह लॉन्च करने के लिए तैयार है। यह उपग्रह, जिसका वजन 4,410 किलोग्राम है, एलवीएम3-एम5 राकेट से प्रक्षेपित किया जाएगा। यह नौसेना के लिए कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा और दूरस्थ क्षेत्रों में डिजिटल पहुंच में सुधार करेगा। इसरो ने चन्द्रयान-3 जैसे मिशनों को भी सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया है।

4,410 किलोग्राम वजन वाला है उपग्रह (फोटो: स्क्रीनग्रैब)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) रविवार को देश के सबसे भारी संचार उपग्रह सीएमएस-03 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
लगभग 4,410 किलोग्राम वजन वाला यह उपग्रह भारतीय धरती से प्रक्षेपित होने वाला और जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर आर्बिट (जीटीओ) में स्थापित होने वाला सबसे भारी संचार उपग्रह होगा। यह उपग्रह देश के सबसे शक्तिशाली राकेट लांच व्हीकल मार्क3- एम5 (एलवीएम3-एम5) के जरिये शाम 5.26 बजे प्रक्षेपित किया जाएगा।
नौसेना के लिए कनेक्टिविटी को मिलेगा बढ़ावा
बहरहाल, सीएमएस-03 भारतीय भूभाग सहित एक विस्तृत समुद्री क्षेत्र में सेवाएं प्रदान करेगा। यह उपग्रह नौसेना के लिए कनेक्टिविटी को काफी बढ़ावा देगा। यह उच्च क्षमता वाली बैंडविड्थ भी प्रदान करेगा, जिससे दूरस्थ क्षेत्रों तक डिजिटल पहुंच में सुधार होगा। इससे नागरिक एजेंसियों को मदद मिलेगी और रणनीतिक अनुप्रयोगों में सुधार होगा।
इसरो ने शनिवार को कहा कि रॉकेट को पूरी तरह से जोड़ दिया गया है और अंतरिक्ष यान के साथ एकीकृत कर दिया गया है तथा प्रक्षेपण-पूर्व कार्यों के लिए इसे 26 अक्टूबर को ही लांच पैड पर ले जाया गया है। 43.5 मीटर लंबा यह राकेट अपने शक्तिशाली क्रायोजेनिक चरण के साथ 4,000 किलोग्राम वजन वाले जीटीओ पेलोड और 8,000 किलोग्राम वजन वाले लो अर्थ आर्बिट पेलोड को अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम है।
इसलिए मिला है बाहुबली नाम
इसकी इसी क्षमता के लिए इसे 'बाहुबली' नाम दिया गया है। राकेट बूस्टर लिफ्ट आफ, लिक्विड प्रोपेलेंट कोर और क्रायोजेनिक (सी25) - तीन चरणों वाला यह राकेट इसरो को 4,000 किलोग्राम तक के भारी संचार उपग्रहों को कम लागत में जीटीओ में प्रक्षेपित करने में पूर्ण आत्मनिर्भरता प्रदान करता है। राकेट के किनारों पर स्थित दो एस200 ठोस राकेट बूस्टर लिफ्ट आफ के लिए आवश्यक थ्रस्ट प्रदान करते हैं। एस200 बूस्टर विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुअनंतपुरम में विकसित किए गए हैं।
लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर में डिजाइन और विकसित दो 'विकास' इंजनों द्वारा एल110 लिक्विड चरण संचालित होता है। इसरो ने कहा कि एलवीएम3-एम5 की यह पांचवीं परिचालन उड़ान है। इसने चन्द्रमा पर चन्द्रयान-3 जैसे मिशनों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया है, जिससे भारत 2023 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला देश बन गया।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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