'देश में 2014 के बाद बदला माहौल', जयशंकर बोले- अब विदेश नीति के साथ आतंकवाद से निपटने का तरीका बेहतर हुआ
Jaishankar Praises PM Modi जयशंकर ने कहा कि भारत को 1962 के युद्ध से सबक लेना चाहिए था लेकिन 2014 तक सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास में कोई प्रगति नहीं हुई। जयशंकर ने कहा कि 2014 के बाद से देश का रक्षा बजट काफी बढ़ा और विदेश नीति में बदलाव आया है और आतंकवाद से निपटने का तरीका भी बदला है।
एजेंसी, पुणे। Jaishankar Praises PM Modi विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत और चीन सीमा विवाद पर कहा है कि जब तक सीमाएं सुरक्षित नहीं हो जातीं, सेनाएं वहीं रहेंगी। उन्होंने दावा किया कि चीन सीमा पर बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए देश का बजट नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से लगातार बढ़ा है।
देश की विदेश नीति में आया बदलाव
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत को 1962 के युद्ध से सबक लेना चाहिए था, लेकिन 2014 तक सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास में कोई प्रगति नहीं हुई। मोदी सरकार ने इसके लिए बजट 3500 करोड़ से बढ़ाकर 14,500 करोड़ कर दिया। जयशंकर ने कहा कि 2014 के बाद से देश की विदेश नीति में बदलाव आया है और आतंकवाद से निपटने का तरीका भी बदला है।
जयशंकर ने शुक्रवार को युवाओं के साथ बातचीत में भारत के वैश्विक उत्थान और बेहतर अवसरों के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि चीन के साथ भारत को यथार्थवादी नीति अपनानी चाहिए। यदि हम इतिहास से सबक नहीं लेते हैं तो हम बार-बार गलतियां करेंगे। चीन ने 1950 में तिब्बत पर कब्जा किया और उस समय तत्कालीन गृ़ह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को पत्र में कहा कि वह चीन के प्रति देश की नीति को लेकर चिंतित हैं।
पटेल ने चीन के प्रति आगाह किया था लेकिन नेहरू ने उस समय दावा किया था कि चीन भारत पर हमला नहीं करेगा। जयशंकर ने पटेल को व्यावहारिक, जमीनी और तो नेहरू को आदर्शवादी वामपंथी करार दिया। जयशंकर ने कहा, हम चाहते हैं कि सीमा पर कोई तनाव न हो। लेकिन जब तक सीमाएं सुरक्षित नहीं हो जातीं सेनाएं वहीं हैं और वहीं रहेंगी।
यूक्रेन से वापस आए बच्चे मोदी की गारंटी
जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन से वापस आए बच्चे ''मोदी की गारंटी'' थे। कहा कि विदेश नीति सिर्फ राजनयिकों के लिए नहीं है, बल्कि इसका हर व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव पड़ता है। 2022 में रूस के आक्रमण के दौरान यूक्रेन में ''आपरेशन गंगा'' के तहत, 18,282 भारतीयों को निकाला गया था। इसमें अधिकतर छात्र थे।भारत-अमेरिका संबंध मजबूत हुए
जयशंकर ने जोर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी की विश्वसनीयता के कारण भारत-अमेरिका संबंध मजबूत हुए हैं। यही वजह है कि एपल ने चीन के बजाय भारत में आइफोन बनाने का फैसला किया। अमेरिका हमेशा पीएम मोदी के साथ साझेदारी चाहेगा। जो भी अमेरिका का राष्ट्रपति होगा वह भारत के साथ अच्छे संबंध रखेगा।