कोलकाता में CBI अधिकारी बनकर 3 करोड़ रुपये की ठगी, वृद्ध दंपती बने शिकार; 2 सप्ताह तक किया डिजिटल अरेस्ट
कोलकाता में एक बुजुर्ग दंपति को साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर तीन करोड़ रुपये ठग लिए। ठगों ने खुद को सीबीआई और ईडी का अधिकारी बताकर दंपति को डराया और उनसे पैसे ऐंठ लिए। प्रधानमंत्री मोदी ने साइबर ठगी से बचने के लिए 'रुको, सोचो और एक्शन लो' का मंत्र दिया है।
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कोलकाता में CBI अधिकारी बनकर 3 करोड़ रुपये की ठगी (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। कोलकाता के बेहला पर्णश्री इलाके में एक वृद्ध दंपती को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर तीन करोड़ रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। साइबर ठगों ने पति-पत्नी को मोबाइल पर इस कदर डराया-धमकाया कि वे अपने ही घर में खुद से दो सप्ताह तक बंधक बने रहे।
साइबर अपराधियों ने अपना परिचय सीबीआइ, ईडी व अन्य केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारियों के तौर पर देते हुए कहा था कि उनके नाम से एक पार्सल मिला है, जिसमें मादक पदार्थ हैं। इसके बाद पहले सख्त कानूनी कार्रवाई का भय दिखाया और बाद में इससे बचाने के लिए रुपये की मांग की गई।
कैसे हुई साइबर ठगी?
दंपती ने किस्तों में तीन करोड़ रुपये उनके बताए बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए। बाद में उन्हें ठगे जाने का पता चला तो कोलकाता पुलिस के साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि साइबर ठगों ने उन्हें यह विश्वास दिला दिया था कि उनपर कड़ी नजर रखी जा रही है। वे हर रोज उन्हें करीब 20 घंटे वीडियो काल के जरिए डराते-धमकाते थे।
पीएम मोदी ने साइबर ठगी से बचने को सुझाए थे तीन कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ समय पहले अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में लोगों को साइबर ठगी के प्रति सावधान किया था। कहा था कि डिजिटल अरेस्ट के शिकार हर उम्र के लोग हो रहे हैं और डर की वजह से अपनी मेहनत से कमाए रुपये गंवा रहे हैं।
उन्होंने इससे बचने के लिए तीन कदम बताए थे-रुको, सोचो और एक्शन लो। कहा था-पहले स्टेप में रुकना चाहिए और व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं करनी चाहिए। अगर संभव हो तो स्क्रीनशाट ले लेना चाहिए या रिकार्डिंग कर लेनी चाहिए।
कौन-कौन से स्टेप फॉलो करें?
दूसरे स्टेप में सोचना और समझना चाहिए कि कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर ऐसी धमकी कभी नहीं देती और वीडियो कॉल से पूछताछ करके पैसे की मांग नहीं करती। अगर ऐसा है तो समझिए कि कुछ गड़बड़ है। तीसरे स्टेप में ऐसी धोखाधड़ी पर एक्शन लेना चाहिए। साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर इसकी सूचना देनी चाहिए और साइबरक्राइमडाटगावडाटइन पर रिपोर्ट करनी चाहिए।

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