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स्कूलों में कानूनी शिक्षा होगी अनिवार्य! सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

Legal education in schools स्कूली पाठ्यक्रम में कानूनी शिक्षा अनिवार्य करने को लेकर केंद्र राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह में जवाब मांगा है। दिल्ली की गीता रानी ने याचिका में कहा है कि प्रत्येक नागरिक के लिए मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए बुनियादी कानूनों को समझना आवश्यक है। मौलिक अधिकारों की गारंटी संविधान ने दे रखी है।

By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Tue, 26 Nov 2024 06:00 AM (IST)
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Legal education in schools सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस।
एजेंसी, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने स्कूली पाठ्यक्रम में कानूनी शिक्षा और आत्मरक्षा प्रशिक्षण को अनिवार्य के निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार और अन्य से जवाब मांगा। इस मामले में सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब मांगा है। दिल्ली की गीता रानी ने याचिका में कहा है कि प्रत्येक नागरिक के लिए मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए बुनियादी कानूनों को समझना आवश्यक है। मौलिक अधिकारों की गारंटी संविधान ने दे रखी है।

'पाठ्यक्रम में बुनियादी कानूनी शिक्षा शामिल हो'

याचिका में कहा गया है, शैक्षणिक पाठ्यक्रम में बुनियादी कानूनी शिक्षा को शामिल करना और स्कूल स्तर पर आत्मरक्षा का प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चे किसी भी प्रतिकूल स्थिति में आत्मरक्षा कर सकें।

बच्चों को हिंसा से बचाने में मदद मिलेगी

एनसीआरबी रिपोर्ट में 2022 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 1.62 लाख मामले दर्ज किए गए। कानूनी शिक्षा और आत्मरक्षा के प्रशिक्षण से अपराध रोकने और बच्चों को हिंसा से बचाने में मदद मिलेगी।

बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में, भारत बच्चों को सभी प्रकार की हिंसा और दु‌र्व्यवहार से बचाने के लिए बाध्य है। याचिका में दावा किया कि कई घटनाओं में पीडि़त, मुख्य रूप से बच्चे, आत्मरक्षा कौशल की कमी के कारण अपना बचाव नहीं कर सके।

बच्चों में अधिकारों की समझ बढ़ेगी

कानूनी साक्षरता से अधिकारों की समझ बढ़ेगी, बच्चों को अवैध गतिविधियों से बचने और जरूरत पड़ने पर सहायता लेने में मदद मिलेगी। यह कदम विद्यार्थियों, विशेषकर छात्राओं को खुद की सुरक्षा करना सिखाकर और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाकर सशक्त बनाएगा।