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मणिपुर हिंसा में अब तक 258 लोगों की मौत, एक्शन में केंद्र; 10 हजार जवानों को भेजने की तैयारी

Manipur Violence मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार ने बताया कि राज्य में दो समुदायों के बीच जारी हिंसा में अब तक 258 लोगों की जान गई है। इस बीच केंद्र लगातार राज्य में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती कर रहा है। उन्होंने बताया कि सीएपीएफ की करीब 90 कंपनियां और भेजी जानी हैं। साथ ही उन्होंने हिंसा की स्थिति से जुड़ी और भी कई अहम जानकारियां दीं।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Fri, 22 Nov 2024 09:00 PM (IST)
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मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए। (Photo- ANI)
पीटीआई, इंफाल। मणिपुर में पिछले साल मई से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जारी जातीय हिंसा में अब तक 258 लोगों की जान गई है। मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्र की ओर से राज्य में सीएपीएफ की करीब 90 कंपनियां (तकरीबन 10000 जवान) और भेजी जाएंगीं। राज्य में 198 कंपनियां पहले से मौजूद हैं।

कुलदीप सिंह ने इंफाल में सुरक्षा समीक्षा बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'आतंकवादियों सहित कुल 258 लोगों की मौत हुई है। मंत्रियों और विधायकों की संपत्तियों में तोड़फोड़ और आगजनी के सिलसिले में 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि लूटे गए करीब 3,000 हथियार बरामद किए गए हैं।'

'प्रत्येक जिले में बनेगा नियंत्रण कक्ष'

उन्होंने कहा, 'हमें सीएपीएफ की लगभग 90 कंपनियां मिल रही हैं, जो राज्य में पहले भेजी गई 198 कंपनियों से अधिक हैं। उनमें से काफी संख्या में कंपनियां पहले ही इंफाल पहुंच चुकी हैं। हम नागरिकों और संवेदनशील स्थानों की जान-माल की सुरक्षा के लिए बलों का वितरण कर रहे हैं।' बैठक के बाद उन्होंने कहा कि अधिकारी प्रत्येक जिले में समन्वय प्रकोष्ठ और संयुक्त नियंत्रण कक्ष स्थापित करेंगे।

इस बैठक में सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, असम राइफल्स, एसएसबी, आईटीबीपी और मणिपुर पुलिस के प्रतिनिधि शामिल हुए। सिंह ने कहा, 'समन्वय, कामकाज, सीमांत क्षेत्र की सुरक्षा, राष्ट्रीय राजमार्गों की सुरक्षा और अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं के लिए बलों की तैनाती के लिए कई एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) तैयार की गई हैं।'

कड़ी सुरक्षा के बीच दफनाया गया पीड़ितों का शव

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को बैठक के परिणाम के बारे में जानकारी दी जाएगी, जैसा कि सभी समान मामलों में किया जाता है। उन्होंने कहा कि जिरीबाम में अपहृत और मारे गए छह लोगों सहित पीड़ितों सहित नौ शवों को कड़ी सुरक्षा के बीच शांतिपूर्वक दफनाया गया। शवों में तीन महिलाएं और तीन बच्चे शामिल हैं, जिन्हें कथित तौर पर 11 नवंबर को कुकी-जो उग्रवादियों ने जिरीबाम के बोरोबेकरा इलाके से एक राहत शिविर से अगवा कर लिया था, जब कुकी युवकों का एक समूह सीआरपीएफ के साथ मुठभेड़ में शामिल था, जिसमें उनमें से 10 मारे गए थे।

सिंह ने कहा, 'सीआरपीएफ चौकी पर हमला किया गया, जिसके दौरान 10 उग्रवादियों को मार गिराया गया। इसके तुरंत बाद, यह पता चला कि तीन महिलाओं और तीन बच्चों का अपहरण कर लिया गया था।' उन्होंने कहा कि यह पता लगाया जाएगा कि अपहरण सुरक्षा बलों की मौजूदगी में हुआ था या नहीं। सिंह ने कहा कि अपहरण में शामिल उग्रवादियों के सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) समूहों से संबंधित होने की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसकी जांच की जाएगी।

एनआईए कर रही है जांच

उन्होंने कहा कि एनआईए मामले की जांच कर रही है। एसओओ समझौते पर केंद्र, मणिपुर सरकार और कुकी उग्रवादी संगठनों के दो समूहों - कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (केएनओ) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) ने हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते पर 2008 में हस्ताक्षर किए गए थे और उसके बाद समय-समय पर इसे बढ़ाया जाता रहा। पिछले साल मई से इंफाल घाटी में रहने वाले मैतेई और आसपास के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी-जो समूहों के बीच हिंसा ने भारी नुकसान पहुंचाया है और हजारों लोगों को बेघर कर दिया है।