आपरेशन सिंदूर से सीखा सबक, अब सिंदूर 2.0 हुआ तो ज्यादा उन्नत होगी लड़ाई: सेना प्रमुख
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भविष्य की चुनौतियों के लिए सेना को आधुनिक तकनीकों से लैस करने की बात कही। उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर 1.0' से सीखे सबक के बाद 'सिंदूर 2.0' को और उन्नत बनाने की बात कही। सेना विभिन्न प्रकार के ड्रोन, क्वांटम मिशन और 6जी पर भी काम कर रही है। उन्होंने आधुनिक युद्ध में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स के महत्व पर जोर दिया।

अब सिंदूर 2.0 हुआ तो ज्यादा उन्नत होगी लड़ाई। (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भविष्य की जरूरतों तथा चुनौतियों के मद्देनजर सेना को एआई समेत नए दौर की तकनीकों से लैस करने की दिशा में तेजी से आगे कदम बढ़ाने की चर्चा करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर 1.0 से सीखे सबक के बाद हम सशक्त हुए हैं और सिंदूर 2.0 या अन्य कोई लड़ाई हो हम अधिक उन्नत तथा बेहतर तरीके से इनका लाभ उठा सकते हैं।
भौगोलिक परिस्थितियों तथा जरूरतों के मद्देनजर तकनीकों के विकेंद्रीकरण पर जोर देते हुए कहा कि भविष्य के लिहाज से ही सेना अलग-अलग तरीके के बड़ी संख्या में अत्याधुनिक ड्रोन से लेकर क्वांटम मिशन, 6जी, स्पेस मिशन पर भी काम कर रही है।
सेना प्रमुख ने और क्या कहा?
सेना प्रमुख ने रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (आइडीएसए) द्वारा आयोजित रक्षा संवाद में बुधवार को अपने संबोधन के दौरान यह राय जाहिर करते हुए कहा कि दुनिया एक ध्रुवीय व्यवस्था से बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बड़े भू-राजनीतिक बदलाव के दौर से गुजर रही है। भारत इसमें एक प्रमुख शक्ति केंद्रों के रूप में उभरने के लिए तैयार है।
ऑपेरशन सिंदूर का अगला संस्करण हुआ तो यह अधिक उन्नत होगा इसका संदेश देते हुए जनरल द्विवेदी ने कहा कि सिंदूर 1.0 के लिए संभव (सिक्योर आर्मी मोबाइल भारत संस्करण) का इस्तेमाल किया गया। अब हम दूसरे चरण की ओर बढ़ रहे हैं जो कहीं अधिक उन्नत संस्करण होगा। सिंदूर 1.0 में ओपन सोर्स विश्लेषण और पूर्वानुमान विश्लेषण से हमें मदद मिली। बहुत सारे लोगों तथा प्रवासियों ने आगे आकर हमारी मदद की। जहां तक सिंदूर 1.0 का सवाल है तो हम अपने सबक सीख बहुत सशक्त हुए हैं। इसलिए चाहे वह सिंदूर 2.0 हो या उसके बाद कोई और लड़ाई हम बड़े पैमाने पर इस तरीके की पहल का लाभ उठाने पर विचार कर रहे हैं।
3D का सेना प्रमुख ने किया जिक्र
सेना प्रमुख ने आधुनिक युद्ध में तीन डी डेमोक्रेटाइजेशन, डिफ्यूजन और डेमोग्राफी को देखते हुए युद्ध के ग्रे जोन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और साइबर टूल्स के उपयोग की जरूरत बताते हुए कहा कि आज यही युद्ध के परिदृश्य को बदल रहे हैं।
डेमोक्रेटाइजेशन में पहले ही साबित हो चुका है कि केवल प्लटफार्म ही प्रासंगिक नहीं बल्कि इसमें कई समर्थित परतें जैसे एआई, क्वांटम, रोबोटिक्स, आटो सिस्टम, डीडब्ल्यू, यानी ऊर्जा हथियार, साइबर टूल्स जरूरी हैं। हाइब्रिड युद्ध के लिए भारत की तकनीकी क्षमता के संदर्भ में सेना प्रमुख ने कहा कि ढाई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करने के मद्देनजर हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जो भी तकनीक आ रही है वो पांचवी जेनरेशन के युद्ध तक के लिए खुद को समायोजित करने में सक्षम हो।
भविष्य की जरूरत के हिसाब से मानव केंद्रित टेक्नोलाजी के साथ सातवीं जेनरशन की तकनीक पर जोर देते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि इसमें मोबाइल और कंप्यूटर, वीडियो गेम कंसोल और माइक्रोचिप्स के लिए 7 नैनोमिलियन तकनीक भी शामिल है। उद्योग 4.0 अब उद्योग 5.0 में बदल गया है इसमें मानवीय पहलू को शामिल करने का संतुलन बनाना आवश्यक है। ताकि टेक्नोलाजी मनुष्यों की जगह लेने के लिए नहीं उनका सहायता के लिए हो।
'यह संघर्ष और प्रतिस्पर्धा का युग'
भविष्य के युद्ध क्षेत्र के संदर्भ में टिप्पणी करते हुए जनरल द्विवेदी ने कहा कि यह संघर्ष और प्रतिस्पर्धा का युग है। लंबी दूरी के युद्ध क्षेत्र का पतन हो रहा और व्यापक संघर्ष बढ़ रहे हैं। इसका अर्थ है कि तकनीक का कम इस्तेमाल हो रहा है। लंबे समय से चल रहे यूक्रेन युद्ध पर लगातार नजर रखने की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 50 से अधिक चल रही लड़ाईयों यूक्रेन पर नजर इसलिए भी है क्योंकि यह हमारी सीमाओं पर मौजूद परिस्थितियों की एक जीवंत प्रयोगशाला है।

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