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    संचार एप के विरोध में उतरा विपक्ष, अनिवार्यता को बताया 'जासूसी का औजार'

    By Sanjay MishraEdited By: Garima Singh
    Updated: Tue, 02 Dec 2025 09:54 PM (IST)

    विपक्षी दलों ने संचार साथी एप को जासूसी का औजार बताकर सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और प्रियंका गांधी ने इसे नागरिकों के म ...और पढ़ें

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    संचार एप के विरोध में उतरा विपक्ष

    संजय मिश्र, नई दिल्ली। विपक्षी दलों ने संचार साथी एप को संसद के बाहर और भीतर नागरिकों की जासूसी का औजार बताते हुए भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि यह तानाशाही जैसा कदम तथा लोगों की आवाज दबाने की एक और कोशिश है।

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    कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा, शशि थरूर, रणदीप सुरजेवाला के साथ ही कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने संचार एप हर मोबाइल में डालने की अनिवार्यता को नागरिकों के मौलिक अधिकार पर हमला करार दिया।

    विपक्ष ने बताया जासूसी का औजार

    खरगे ने इसे तानाशाही सरीखा एकतरफा निर्देश बताते हुए सवाल उठाया कि सरकार क्यों जानना चाहती है कि नागरिक अपने परिवार और दोस्तों से क्या बात करते हैं। कांग्रेस की ओर से संचार एप पर केंद्र के जारी निर्देश का सोमवार रात ही विरोध के एलान के अनुरूप मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को एक्स पोस्ट में कहा कि संचार साथी एप लोगों की आवाज दबाने की कोशिशों की भाजपा की लंबी लिस्ट में एक और नाम जुड़ गया है।

    आयकर कानूनों को तोड़-मरोड़कर हमारी डिजिटल जिंदगी को चौबीसो घंटे निगरानी जोन में बदल दिया गया। 2023 में कानून में बदलाव करके आरटीआई का गला घोंट दिया गया। आरोप लगाया कि पेगासस स्कैंडल ने साबित किया कि 100 से अधिक भारतीयों के फोन हैक किए गए तथा विपक्षी नेताओं, जजों, पत्रकारों, यहां तक कि केंद्रीय मंत्रियों की भी जासूसी की गई।

    कांग्रेस ने घेरी सरकार

    यह हैरानी की बात नहीं कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नागरिकों की निजता को मौलिक अधिकार घोषित करने का कड़ा विरोध किया था। सरकार पर तंज कसते हुए खरगे ने कहा कि लोकतत्र खत्म हो गया है और तानाशाही युग फल-फूल रहा है। संसद परिसर में प्रियंका गांधी ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा कि संचार एप जासूसी का औजार है और सरकार देश को तानाशाही' में बदल रही है, इसीलिए वे किसी मुद्दे पर चर्चा नहीं होने देते।

    एक स्वस्थ लोकतंत्र में चर्चा की अनिवार्य जरूरत है और हर किसी के अलग-अलग विचार होते हैं जिसे सुना जाना चाहिए। संचार साथी से मोबाइल और साइबर फ्रॉड रोकने की सरकार की दलील पर प्रियंका ने कहा कि इसके बीच एक बहुत पतली रेखा है।

    फ्राड रोकने के लिए एक असरदार सिस्टम होना चाहिए। कांग्रेस के एक अन्य महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार के निर्देश के बाद भारत अब एक सर्विलांस स्टेट बन गया है। साथ ही पूछा कि क्या निजता का अधिकार और निजी स्पेस अब आधारिक तौर पर खत्म कर दिए गए हैं।

    निजता के अधिकार पर सवाल

    राज्यसभा में कामरोको प्रस्ताव का नोटिस देते हुए संचार एप मामले में चर्चा की मांग करते हुए कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने कहा कि इस तरह का आदेश नागरिकों की हर बातचीत और फैसले पर बिना किसी जरूरी सुरक्षा या संसदीय निगरानी के लगातार नजर रखने का खतरा पैदा करते हैं।

    कांग्रेस के नजरिए से कई बार इतर अहम मामलों में मुखर राय रखने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि संचार एप का विस्तृत अध्ययन नहीं किया है लेकिन सामान्य ज्ञान से कह सकते हैं कि ये एप काम के हो सकते हैं बशर्ते यह अनिवार्य न हो।

    लोकतंत्र में कुछ भी अनिवार्य बनाना परेशान करने वाली बात है। निर्देश पारित करने की बजाय सरकार को जताना को यह बताना होगा कि इसके पीछे उसकी सोच क्या है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने संचार एप की अनिवार्यता को लोगों की निजता और आजादी पर खुला हमला बताते हुए कहा कि दुनिया की किसी भी लोकतंत्र ने ऐसा करने की कोशिश नहीं की है। इसकी ¨नदा करते हुए उन्होंने निर्देश तुरंत वापस लेने की मांग की।