SIR की भेंट चढ़ा संसद का दूसरा दिन, विपक्ष ने किया जोरदार हंगामा
संसद का शीतकालीन सत्र लगातार दूसरे दिन भी बाधित रहा, जिसका कारण विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा था। सरकार चर्चा के लिए ...और पढ़ें

SIR की भेंट चढ़ा संसद का दूसरा दिन
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र लगातार दूसरे दिन भी पटरी पर नहीं लौट सका। विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर विपक्ष की तीखी आपत्तियों और नारेबाजी ने दोनों सदनों को दिनभर अस्थिर रखा।
सरकार बार-बार भरोसा दिलाती रही कि वह चर्चा के लिए तैयार है, मगर विपक्ष तत्काल बहस कराने की मांग से पीछे नहीं हटना चाहता था। पक्ष-विपक्ष अपने-अपने तर्कों पर अड़े दिखे।
संसद में दूसरे दिन भी हंगामा
सरकार की दलील कि चर्चा तय है, लेकिन प्रक्रिया भी उतनी ही अहम है और विपक्ष का आग्रह कि मुद्दा गंभीर है, इसलिए सब कुछ छोड़कर पहले चर्चा ही शुरू हो। इस टकराव ने कार्यवाही को शुरुआत से अंत तक तनावपूर्ण बनाए रखा।
लोकसभा में सुबह की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों के सांसद तख्तियां लेकर वेल में उतर आए और नारेबाजी शुरू हो गई। प्रश्नकाल चलाने की स्पीकर की कोशिशें विपक्ष के शोर में डूबती गईं और सदन को पहले दोपहर तक, फिर कुछ देर के लिए और अंतत: पूरे दिन के लिए स्थगित करना पड़ा।
कार्यवाही के दौरान दर्शक गैलरी में मौजूद विदेशी प्रतिनिधिमंडल भी इस अव्यवस्था का साक्षी बना। इसी दौरान केंद्रीय मंत्री किरण रिजीजू ने विपक्ष से आग्रह किया कि बिहार में हार का गुस्सा सदन में न निकालें। इसपर विपक्ष और भड़का गया। सरकार का तर्क था कि चर्चा निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही हो सकती है। विपक्ष की शर्तों पर नहीं।
सदन की कार्यवाही बाधित
राज्यसभा में भी वातावरण अलग नहीं था। सभापति सीपी राधाकृष्णन ने नियम 267 के तहत विपक्ष द्वारा दिए गए कई नोटिस प्रक्रियागत कारणों से खारिज कर दिए, जिस पर विपक्ष ने आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया कि नोटिसों की घोषणा पारंपरिक तरीके से नहीं की गई।
विपक्ष इस बात पर जोर देता रहा कि SIR से जुड़े प्रश्न गंभीर हैं और तत्काल चर्चा जरूरी है। उनकी दलील थी कि यह मुद्दा मात्र प्रशासनिक कवायद नहीं, बल्कि मतदाता पहचान और नागरिकता से जुड़े संवेदनशील पहलुओं से जुड़ा है।
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कई बीएलओ की मौत ने भी इस प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। सरकार तर्क देती रही कि सदन की तय कार्यसूची को विपक्ष मनमाने ढंग से उलट नहीं सकता। यह गतिरोध अंतत: कई विपक्षी दलों के वाकआउट तक पहुंच गया।

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