पहचान पत्र और अंगूठा लगाकर ठेकों पर मिले शराब, उल्लंघन पर सजा व जुर्माने की मांग; याचिका पर केंद्र को SC का नोटिस
शराब ठेकों पर सरकारी पहचान पत्र और बायोमेट्रिक्स के माध्यम से उम्र जांच की मांग एक एनजीओ ने उठाई है। संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके इस संबंध में निर्देश देने की मांग की। अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। तीन हफ्ते बाद मामले की सुनवाई होगी। संगठन ने नाबालिगों को शराब देने वालों के खिलाफ जुर्माने और सजा की मांग की है।
पीटीआई, नई दिल्ली। शराब ठेकों पर अनिवार्य आयु जांच की मांग एक याचिका पर की गई है। याचिका में कहा गया है कि शराब ठेकों पर आयु जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। इससे कम उम्र के लोगों में भी शराब की लत लगने की आशंका है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इसी याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता ने उम्र जांच की खातिर मजबूत प्रोटोकॉल और नीति बनाने की मांग शीर्ष अदालत से की है।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले की सुनवाई की। याचिका में कहा गया है कि विभिन्न राज्यों की आबकारी नीति में आयु का प्रावधान है। इसके मुताबिक निश्चित आयु से कम उम्र के लोगों को शराब पीना और रखना अवैध है। मगर शराब ठेकों पर ग्राहकों की उम्र जांच की कोई सख्त व्यवस्था नहीं है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि इससे कम उम्र के युवाओं को भी शराब पीने की आदत लग सकती है। याचिका में शराब की डोरस्टेप डिलीवरी का भी विरोध किया गया है।
एनजीओ ने दाखिल की याचिका
सुप्रीम कोर्ट में याचिका गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) 'कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग' ने अधिवक्ता विपिन नायर के माध्यम से दाखिल की। एनजीओ के वकील ने दलील दी कि शराब की दुकानों, बार, पब में उपभोक्ताओं व खरीदारों की उम्र की जांच करने की कोई व्यवस्था नहीं है। इस संबंध में एक मजबूत नीति शराब पीकर गाड़ी चलाने की समस्या को कम करने और रोकने में मदद करेगी। वहीं कम उम्र में शराब पीने की आदत पर अंकुश लगाने में भी सहायता मिलेगी।जुर्माना और जेल की उठाई मांग
याचिका में यह भी सुझाव दिया गया है कि नाबालिगों को शराब बेचने, परोसने व उपलब्ध कराने वाले व्यक्ति पर 50 हजार रुपये का जुर्माना या तीन महीने की जेल या दोनों का प्रावधान होना चाहिए। याचिका में केंद्र सरकार समेत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया गया है।
डोरस्टेप डिलीवरी का विरोध
याचिका में आगे कहा गया कि याचिकाकर्ता को मालूम है कि यहां कई प्रतिवादी (राज्य) शराब की डोरस्टेप डिलीवरी को अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं। अगर डोरस्टेप डिलीवरी की अनुमति दी जाती है तो इससे युवाओं की शराब तक पहुंच आसान हो जाएगी। कम उम्र के युवाओं में शराब पीने की लत बढ़ सकती है।बायोमेट्रिक्स से हो उम्र जांच
अब शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। मामले की सुनवाई तीन हफ्ते बाद तय की गई है। याचिका में शराब परोसने वाले सभी आउटलेट को उपभोक्ता का सत्यापन, जांच और रिकॉर्ड रखने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकारी पहचान पत्र और बायोमेट्रिक्स के माध्यम से पब, बार और रेस्तरां में उपभोक्ताओं की उम्र की जांच की जानी चाहिए।