सोशल मीडिया पर 'बेलगाम आजादी' खत्म, अब कौन करेगा कंट्रोल; दुनिया भर में क्या हैं नियम?
उच्चतम न्यायालय ने इंटरनेट मीडिया पर अवैध सामग्री और अश्लीलता को गंभीर मानते हुए सरकार से एक स्वतंत्र नियामक बनाने को कहा है। क्या आपको पता है कि दुनिया भर में सोशल मीडिया को लेकर क्या नियम हैं... ?

डिजिटलडेस्क, नईदिल्ली। पिछले कुछ वर्षों के दौरान इंटरनेट मीडिया बहुत सशक्त माध्यम के तौर पर सामने आया है। इसने आम लोगों को ऐसा मंच मुहैया कराया है, जहां लोग बिना किसी डर के अपनी राय जाहिर कर सकते हैं। इसके सकारात्मक पक्षों के साथ बहुत सारे नकारात्मक पक्ष भी सामने आए हैं। इंटरनेट मीडिया पर अश्लील, गुमराह करने वाली और अवैध सामग्री की भरमार है। अगर किसी से जुड़ी अश्लील सामग्री इंटरनेट पर प्रसारित हो जाती है तो उस व्यक्ति के पास इससे निपटने का कोई उपाय नहीं होता है क्योंकि उसका नुकसान कुछ ही घंटों में हो जाता है।
इंटरनेट मीडिया के दुरुपयोग से समाज में कई तरह की विसंगतियां पैदा हो रही हैं। भ्रामक जानकारियां लोगों की राय को गलत तरह से प्रभावित करती हैं और यह देश के सामाजिक ताने-बाने के लिए भी खतरनाक हैं।
उच्चतम न्यायालय ने इसके खतरों को गंभीर मानते हुए सरकार से एक स्वतंत्र नियामक बनाने को कहा है, जो इंटरनेट मीडिया पर डाली जाने वाली अवैध सामग्री पर लगाम लगा सके। इंटरनेट मीडिया की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने और समाज को इसके खतरों से बचाने के लिए बाकी देशों ने क्या नियम बनाए हैं? यहां पढ़ें...
चीन, मिस्र, ईरान, उत्तर कोरिया, सऊदी अरब, सीरिया और भारत जैसे कई देशों में इंटरनेट मीडिया पर पहले से ही कड़ी पाबंदियां हैं। कहीं ये रोक अस्थायी होती है, जैसे चुनाव या विरोध प्रदर्शन के दौरान तो कहींस्थायी, और उसके लिए कड़े कानून बनाए जाते हैं। इसका मकसद सूचना के प्रवाह को नियंत्रित करना और फेक न्यूज को रोकना होता है, लेकिन कई बार लोगों की असहमति को दबाना के लिए भी इन प्लेटफार्म पर पाबंदियां लगाई जाती हैं।
ब्राजील में फेक न्यूज पर सख्ती
ब्राजील ने 2024 में एक्स को अस्थायी तौर पर बैन किया क्योंकि कंपनी देश के एंटी-डिसइंफॉर्मेशन कानूनों का पालन नहीं कर रही थी। सरकार का कहना है कि टेक कंपनियों को चुनाव और स्वास्थ्य से जुड़ी फेक न्यूज पर ज्यादा सख्त कदम उठाने चाहिए।

भारत में टिकटॉक पर रोक
भारत ने 2020 में टिकटॉक समेत कई एप को बैन किया। सरकार ने डाटा प्राइवेसी और राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए कहा कि इन एप से विदेशी संस्थाओं तक संवेदनशील जानकारी जा सकती है। लाखों यूजर्स अचानक इस लोकप्रिय प्लेटफार्म से कट गए।

चीन का ‘ग्रेट फायरवाल’
चीन में फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे बड़े प्लेटफार्म पूरी तरह ब्लॉक हैं। वहां के लोग वीचैट और वीबो जैसे घरेलू एप का इस्तेमाल करते हैं, जिन्हें सरकार सख्ती से मॉनिटर करती है।
उत्तर कोरिया में नागरिकों के लिए बंद है इंटरनेट
उत्तर कोरिया में इंटरनेट मीडिया पर पूरी तरह बैन है। आम लोग सिर्फ “क्वांगमयोंग” नाम के सरकारी इंट्रानेट तक ही सीमित रहते हैं। विदेशी प्लेटफार्म का इस्तेमाल करना अपराध माना जाता है और सख्त सजा मिल सकती है।
ईरान में वीपीएन का सहारा
ईरान में फेसबुक, एक्स और यूट्यूब ब्लाक हैं। लोग इन प्लेटफार्म का एक्सेस पाने के लिए वीपीएन का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ऐसा करना कानूनी जोखिमों से भरा है।
खाड़ी देशों में सख्त निगरानी
सऊदी अरब और यूएई में इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल तो होता है, लेकिन सरकारें उस पर कड़ी नजर रखती हैं। यहां शाही परिवार या धार्मिक मूल्यों की आलोचना करने पर गिरफ्तारी और सजा तक हो सकती है।

रूस और तुर्किये में घटाई गई इंटरनेट स्पीड
तुर्किये कई बार ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब की स्पीड धीमी कर देता है या उन्हें ब्लाक कर देता है। वहीं रूस ने “सावरेन इंटरनेट” कानून बनाया है, जिससे जरूरत पड़ने पर देश को पूरी तरह इंटरनेट से काटा जा सकता है।
मिस्र और वियतनाम में सरकार विरोधी कंटेंट पर रोक
मिस्र में जिन इंटरनेट मीडिया यूजर्स के 5,000 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं, उन्हें सरकार के साथ रजिस्टर करना पड़ता है। वहीं वियतनाम में प्लेटफार्म को सरकार विरोधी कंटेंट हटाना अनिवार्य है और डाटा लोकल स्टोर करना पड़ता है।

ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के लिए पाबंदी
दुनिया के बाकी हिस्सों से अलग, आस्ट्रेलिया दिसंबर से बच्चों (16 साल से कम) के लिए इंटरनेट मीडिया बैन लागू कर रहा है। टिकटॉक, इंस्टाग्राम, फेसबुक, एक्स और स्नैपचैट नाबालिगों के लिए बंद कर दिए जाएंगे।

बदलती डिजिटल दुनिया
दुनियाभर में इंटरनेट मीडिया को कई कारणों का हवाला देकर नियंत्रित किया जाता है। फिर चाहे यह प्रतिबंध गलत कंटेंट को रोकने के लिए किया गया हो या राजनीतिक विरोध दबाने के लिए। इंटरनेट मीडिया की दुनिया अब पहले जैसी बेलगाम नहीं रही है।

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