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परीक्षाओं को फुलप्रूफ बनाने में राज्यों को भी दी जाएगी मदद; कमेटी का सुझाव- मजबूत तंत्र के बिना गड़बड़ी रोक पाना मुश्किल

परीक्षाओं को फुलफ्रूफ बनाने में राज्यों की भूमिका बेहद अहम है। मगर अभी राज्यों में परीक्षाओं में गड़बड़ी को रोक पाने में सक्षम तंत्र विकसित नहीं हो पाया है। यही वजह है कि अब राज्यों को मदद दी जाएगी। फुलफ्रूफ परीक्षा बनाने के उद्देश्य से गठित उच्च स्तरीय समिति राज्यों से राय भी लेगी। बता दें कि कई राज्यों में परीक्षा में गड़बड़ी के मामले सामने आ चुके हैं।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Published: Fri, 05 Jul 2024 09:29 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2024 11:00 PM (IST)
परीक्षाओं को फुलफ्रूफ बनाने में राज्यों की भूमिका अहम। (सांकेतिक फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। परीक्षाओं को फुलप्रूफ बनाने की पहल सिर्फ केंद्रीय परीक्षा एजेंसी एनटीए ( नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ) तक ही सीमित नहीं रहेगी बल्कि राज्यों को भी अपनी परीक्षाओं को फुलप्रूफ बनाने में मदद दी जाएगी। यही वजह है कि परीक्षा में गड़बड़ी को रोकने के लिए गठित उच्च स्तरीय कमेटी अब इस मुद्दे पर राज्यों से भी रायशुमारी की तैयारी में है।

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वैसे भी केंद्रीय परीक्षाओं में गड़बड़ी की यह गूंज पहली बार इस स्तर पर देखने को मिली है जबकि राज्यों में यह समस्या पिछले कई सालों से पांव पसारे हुए है। परीक्षाओं में गड़बड़ी रोकने को लेकर काम कर रही कमेटी और उससे जुडे विशेषज्ञों ने इस मुहिम से राज्यों को जोड़ने की पहल इसलिए भी की, क्योंकि पिछले कुछ सालों में पेपर लीक और परीक्षाओं में गड़बडि़यों के जो भी मामले सामने आए है, वह राज्यों से जुड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं और भर्तियों से जुड़े हुए थे।

राजस्थान में सर्वाधिक 14 मामले

एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सात सालों में देशभर से करीब 70 मामले सामने आए है। इनमें सबसे अधिक 14 मामले अकेले राजस्थान के है, जो 2015 से 2023 के बीच घटित हुए थे। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, तमिलनाडु व मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से भी पिछले सालों में पेपर लीक और गड़बडि़यों के बड़ी संख्या में मामले सामने आए है। ऐसे में राज्यों को इस मुहिम से अलग नहीं रखा जा सकता है।

राज्यों में पेपर लीक के खिलाफ मजबूत तंत्र नहीं

कमेटी से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक राज्यों में पिछले कई सालों से सामने आ रही परीक्षाओं की इन गड़बड़ियों व पेपर लीक की घटनाओं से यदि उसी समय सख्ती से निपटा गया होता तो स्थिति आज इस स्तर तक नहीं पहुंचती। इसके साथ ही विशेषज्ञों की मानना है कि जब तक राज्यों में परीक्षाओं की गड़बड़ी को रोकने के लिए मजबूत तंत्र नहीं खड़ा किया जाता है, तब तक इस तरह की गड़बडि़यों को रोक पाना मुश्किल होगा।

दो महीने में रिपोर्ट सौंपेगी कमेटी

सूत्रों के मुताबिक इस दौरान विशेषज्ञ कमेटी ने उन राज्यों पर अधिक फोकस किया है, जहां पिछले कुछ सालों में गड़बड़ियों के अधिक मामले सामने आए है। गौरतलब है कि परीक्षाओं को फुलप्रूफ बनाने को लेकर राधाकृष्णन कमेटी अगले दो महीनों में अपनी रिपोर्ट देगी।

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