केरल में SIR की बढ़े समय सीमा, सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग को निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने केरल में स्थानीय निकाय चुनावों के कारण एसआईआर प्रक्रिया की समय सीमा बढ़ाने के मामले में चुनाव आयोग को याचिकाकर्ताओं के अनुरोध पर विचा ...और पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग को निर्देश
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केरल में स्थानीय निकायों के चुनाव के कारण राज्य में एसआइआर प्रक्रिया की समय सीमा बढ़ाने के तर्कों से सहमत होते हुए चुनाव आयोग से कहा है कि वह इस संबंध में केरल के याचिकाकर्ताओं की समय सीमा बढ़ाने की मांग पर विचार करे।
कोर्ट ने कहा कि एसआइआर का गणना फार्म जमा करने की 11 दिसंबर की समय सीमा एक सप्ताह बढ़ाने पर विचार किया जाए। ये निर्देश प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और जोयमाल्या बाग्ची की पीठ ने केरल सरकार व अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से केरल में एसआइआर टालने की मांग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग को निर्देश
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया था कि केरल में स्थानीय निकाय के चुनाव है और 9 व 11 दिसंबर को मतदान तथा 13 दिसंबर को मतगणना होनी है ऐसे में एसआइआर की प्रक्रिया साथ साथ नहीं चलनी चाहिए इसे टाल दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने इन दलीलों पर गौर करते हुए आदेश दिये।
पीठ ने इस पर भी ध्यान दिया कि राज्य में स्थानीय निकायों के लिए चुनाव प्रक्रिया में लगभग 1.76 लाख राज्य सरकार के कर्मचारी लगे हुए हैं और इसलिए, उन्हें निकाय चुनाव की निर्धारित समय सीमा 11 दिसंबर तक गणना फार्म जमा करने में मुश्किल हो सकती है।
कोर्ट ने केरल सरकार और अन्य याचिकाकर्ताओं से कहा है कि वे अपनी दिक्कतें बताते हुए समय बढ़ाने के लिए बुधवार शाम पांच बजे तक चुनाव आयोग को औपचारिक अनुरोध भेज दें।
केरल में SIR की समय सीमा बढ़ेगी?
साथ ही कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह केरल के अनुरोध पर दो दिनों के भीतर निर्णय ले। इससे पहले चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि केरल में चल रही एसआइआर प्रक्रिया में निकाय चुनाव से कोई भी बाधा नहीं आ रही। उन्होंने कहा कि केरल में 98.8 प्रतिशत गणना फार्म बांटे जा चुके हैं और 88 प्रतिशत गणना फार्म डिजिटाइज हो चुके हैं।
उन्होंने ये भी कहा कि जो स्टाफ स्थानीय निकाय चुनाव के लिए दिया गया है उसे एसआइआर प्रक्रिया में नहीं लगाया गया है। भारत निर्वाचन आयोग का कहना था कि वह राज्य निर्वाचन आयोग के साथ संयोजन करके काम कर रहा है। राज्य निर्वाचन आयोग ने भी हलफनामा दाखिल कर कहा था कि उसे कोई समस्या नहीं है।
इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि सरकारी संस्था को समस्या नहीं है लेकिन राजनीतिक दल को दिक्कत है। हालांकि बाद में कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह केरल की मांग पर साहानुभूतिपूर्वक निष्पक्ष रूप से विचार करके निर्णय ले।
चुनाव आयोग से याचिका पर विचार करने को कहा
इसके अलावा मंगलवार को भी एसआइआर प्रक्रिया की वैधानिकता के मुद्दे पर बहस हुई और याचिकाकर्ताओं ने कहा कि चुनाव आयोग को इत तरह एसआइआर कराने का अधिकार नहीं है। यह भी कहा कि चुनाव आयोग को नागरिकता जांचने का भी अधिकार नहीं है।
नागरिकता सक्षम अथारिटी तय करती है और जब तक सक्षम अथारिटी फैसला नहीं दे देती तबतक नागरिक न होने के आधार पर किसी का नाम वोटर लिस्ट से नहीं कटना चाहिए। मामले में गुरुवार को भी बहस जारी रहेगी।
मंगलवार को बीएलओ पर दबाव और धमकियों का मुद्दा भी उठा। वकील अश्वनी उपाध्याय ने इस संबंध में एक नोट भी कोर्ट में दिया। हालांकि कोर्ट ने अभी उस संबंध में कोई आदेश नहीं दिया है।

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