Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अभियोजक अदालत का अधिकारी, सिर्फ दोषसिद्धि सुनिश्चित करने के लिए कार्य नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट

    Updated: Tue, 02 Dec 2025 06:41 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभियोजक का काम न्याय करना है, न कि केवल अभियुक्त को दोषी ठहराना। अदालत ने हत्या के एक मामले में तीन लोगों की दोषसिद्धि रद्द कर ...और पढ़ें

    Hero Image

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया कि प्रासिक्यूटर (अभियोजक ) अदालत का एक अधिकारी है और उसका काम न्याय के हित में कार्य करना है, न कि केवल अभियुक्त की दोषसिद्धि सुनिश्चित करना। न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एनकोटिश्वर सह की पीठ ने हत्या के एक मामले में तीन व्यक्तियों की दोषसिद्धि को रद करते हुए यह टिप्पणी की।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

     

    याचिकाकर्ताओं ने भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 313 का पालन न करने का आरोप लगाया है। दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 का यह प्रविधान अदालत को प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर अभियुक्त से पूछताछ करने का अधिकार देता है। पीठ ने कहा- ''यह देखना परेशान करने वाला है कि अभियुक्तों को दोषसिद्धि दिलाने की चाहत में अभियोजकों ने इस धारा के तहत अभियुक्तों से पूछताछ करने में अदालत की सहायता करने के अपने कर्तव्य को दरकिनार कर दिया।'' शीर्ष अदालत तीन आरोपितों द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पटना हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी गई थी।

     पटना हाई कोर्ट ने हत्या के एक मामले में उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था। कोर्ट ने यह भी कहा कि निष्पक्ष सुनवाई की एक अनिवार्य शर्त यह है कि आरोपित व्यक्तियों को उनके खिलाफ अभियोजन पक्ष के मामले और दावों को खारिज करने का पर्याप्त अवसर मिलना चाहिए। पीठ ने यह भी बताया कि आरोपितों के बयानों में गंभीर विसंगतियां हैं, जो न्यायालय की ओर से कानून के मूल सिद्धांतों के पालन में विफलता को दर्शाती हैं।