'दूध और मछलीपालन के सेक्टर को संगठित करने की जरूरत', बोले केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह
केंद्रीय मत्स्यपालन पशुपालन डेयरी एवं पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह ने शुक्रवार को गोवा के नोवोटेल रिसोर्ट में सीएलएफएमए ऑफ इंडिया (क्लेफमा) के 65वें राष्ट्रीय सम्मेलन को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज सरकार के पहल से भारत विश्व में पशु धन मामले में पहले नंबर पर है और दूध का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है।
जेएनएन, गोवा। केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि आज सरकार के पहल से भारत विश्व में पशु धन मामले में पहले नंबर पर है। दूध का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। दूध का बाजार 11.16 मिलियन का है। ग्लोबल ग्रोथ 6 फीसदी की दर से बढ़ रहा है, जबकि विश्व में यही 2 फीसदी है। प्रति व्यक्ति खपत 459 ग्राम जबकि विश्व में 325 ग्राम है। यही खपत 2013-14 में 307 ग्राम प्रति व्यक्ति थी, जो बढ़ कर 459 ग्राम तक पहुंच गया है।
उन्होंने बताया कि इसी तरह अंडे का बाजार 78 मिलियन का था, आज 138 मिलियन के करीब है। यह केन्द्र सरकार के प्रयास से हो रहा है। मछली का 60 हजार करोड़ का निर्यात है, वहीं दूध में मुनाफा डेढ़ गुना बिचौलिये खा जाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह सेक्टर के बड़े हिस्से का असंगठित होना है। आज इस सेक्टर को संगठित सेक्टर बनाने की जरूरत है, जिससे दूध उत्पादन करने वाले किसानों को पूरा का पूरा लाभ मिल सके।
क्लेफमा के 65वें राष्ट्रीय सम्मेलन में पहुंचे थे केंद्रीय मंत्री
राजीव रंजन ने कहा कि इसके अलावा पशुपालन के क्षेत्र में घरेलू समाधानों को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए केंद्र सरकार कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है, जिनके तहत भारतीय नस्लों में आनुवांशिक सुधार के लिए आईवीएफ की नई तकनीक विकसित की गई है। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी एवं पंचायती राज मंत्री शुक्रवार को गोवा के नोवोटेल रिसोर्ट में सीएलएफएमए ऑफ इंडिया (क्लेफमा) के 65वें राष्ट्रीय सम्मेलन को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने डेयरी क्षेत्र के लिए सस्ती स्वदेशी तकनीकों के विकास में कई उपाय किए हैं। आईवीएफ के लिए कल्चर मीडिया और गोजातीय पशुओं के लिए एक एकीकृत जीनोमिक चिप विकसित की गई है। मवेशियों के लिए विशेष एकीकृत जीनोमिक 'गौ चिप' और भैंसों के लिए 'महिष चिप' का विकास किया गया है। इस तकनीक पर सरकार 5 हजार रुपये की सब्सिडी भी देगी।
'दुग्ध क्षेत्र को संगठित करने के लिए कई योजनाएं बनाईं'
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि असंगठित दुग्ध क्षेत्र को संगठित करने के लिए राज्यों की पहचान करने और चारे की कमी से निपटने के लिए भी कई योजनाएं बनाई गई हैं। मत्स्य पालन क्षेत्र में विकास के लिए सरकार ने तीन स्मार्ट फिश हार्बर और पांच एक्वा पार्क को भी मंजूरी दी है। उन्होंने सीएलएफएमए के प्रयासों की तारीफ करते हुए कहा कि इस तरह के मंथन में ऐसी बातें निकलनी चाहिए, जो सरकार को पॉलिसी बनाने में मदद करें।
सीएलएफएमए ऑफ इंडिया के चेयरमैन सुरेश देवड़ा ने कहा कि पशुधन सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण धुरी है। यह सेक्टर किसानों और पशुपालन क्षेत्र से जुड़े लोगों को रोजगार भी प्रदान कराता है। इस उद्योग का सालाना टर्नओवर 12 लाख करोड़ है। पूरी दुनिया में उच्च गुणवत्ता वाले पशुधन उत्पादों की खपत लगातार बढ़ रही है। आर्थिक संपन्नता के साथ लोग अधिक अंडे, मांस, दूध-पनीर का सेवन कर रहे हैं। भारत में भी इन वस्तुओं की खपत में लगातार वृद्धि हो रही है।