'सदन में चुप रहकर बाहर टिप्पणी करना गलत', तीन आपराधिक कानूनों पर विपक्ष के बयान को लेकर धनखड़ ने सुनाई खरी-खरी
शनिवार के बाद से यह दूसरी बार है जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तीन आपराधिक न्याय कानूनों- भारतीय न्याय संहिता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम पर अपनी टिप्पणी को लेकर चिदंबरम पर निशाना साधा है। उपराष्ट्रपति ने चिदंबरम का नाम लिए बिना कहा उन्होंने सदन (राज्यसभा) में कुछ नहीं कहा। वह समिति (गृह पर विभाग-संबंधित स्थायी समिति) के सदस्य थे।
पीटीआई, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तीन आपराधिक कानूनों पर कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री पी.चिदंबरम के तीखे बयान पर नए सिरे से हमला किया है। धनखड़ ने कहा कि आपकी चुप्पी से लगता है कि सदन में चुप रहकर बिना भाग लिए हुए अपना शामिल होना जाहिर कर रहे हैं।
सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेना और बाहर टिप्पणी करना गलत है।सोमवार को उप राष्ट्रपति धनखड़ ने शनिवार से दूसरी बार चिदंबरम पर प्रहार करते हुए कहा कि उन्होंने (चिदंबरम ने) सदन (राज्य सभा) में कुछ नहीं कहा। वह समिति (गृह मंत्रालय से संबंधित स्थायी समिति) के सदस्य थे। अगर कोई समिति का सदस्य होता है तो वह उसके समक्ष अपने विचार रखता है। समिति बहुमत के आधार पर फैसला लेती है।
सदस्य को अपनी बात सदन में रखने का मिलता है अवसर
सदस्य को अपनी बात सदन में रखने का अवसर मिलता है। वह तार्किक व मनाने की कवायद करके अपना पक्ष मनवाने का प्रयास करता है। धनखड़ ने राज्यसभा के इंटर्न के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा कि अगर आप अपने संवैधानिक दायित्वों का पालन ही नहीं करते हैं तो फिर आप अपना काम नहीं कर रहे हैं। लेकिन इसके बाद भी अगर आप बाहर कुछ कहते हैं तो यही संदेश देते हैं कि आपने एक दुलर्भ अवसर को गंवा दिया है। उल्लेखनीय है कि एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो चुके हैं।
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