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Odisha News: रिटायर्ड SBI कर्मचारी ने 64 की उम्र में MBBS बनने का सपना किया पूरा, युवाओं को दिया संदेश

Odisha News भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त कर्मचारी जय किशोर प्रधान ने 64 वर्ष की आयु में नीट की परीक्षा पास कर लाखों को युवाओं को संदेश दे दिया। उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश कि मन में अगर जज्बा हो तो कोई भी काम कठिन नहीं है। उन्होंने चिकित्सा क्षेत्र में प्रवेश करने की अपनी लंबे समय से चली आ रही आकांक्षा को पूरा किया।

By Sheshnath Rai Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Tue, 15 Oct 2024 11:53 AM (IST)
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64 साल के रिटायर्ड एसबीआई कर्मचारी जय किशोर प्रधान ने NEET परीक्षा पास की।(X/@Raviss108)
 जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ऐसी दुनिया में जहां उम्र अक्सर कैरियर विकल्पों को निर्धारित करती है, एक आदमी की कहानी इस रूढ़िवादिता को चुनौती देती है, यह साबित करती है कि आप वास्तव में जो चाहते हैं उसे आगे बढ़ाने में कभी देर नहीं होती है। कई लोग मानते हैं कि करियर शुरू करने के बाद शिक्षा में लौटना लगभग असंभव है।

हालांकि, प्रेरक व्यक्ति इन धारणाओं को धत्ता बताने के लिए उभर रहे हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी जय किशोर प्रधान, जिन्होंने 2020 में 64 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट यूजी) को सफलतापूर्वक पास किया।

जय किशोर एसबीआई के डिप्टी मैनेजर के पद से सेवानिवृत हुए हैं

ओडिशा के रहने वाले जय किशोर प्रधान एसबीआई से डिप्टी मैनेजर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। रिटायर होने के बाद भी प्रधान ने चिकित्सा क्षेत्र में प्रवेश करने की अपनी लंबे समय से चली आ रही आकांक्षा को जीवित रखा।दृढ़ संकल्प और उद्देश्य की एक नई भावना के साथ, उन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपनी शैक्षणिक महत्वाकांक्षा को जीवित रखा और अपने सपनों को हासिल करने की यात्रा शुरू की।

प्रधान ने एनईईटी की तैयारी के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाया, ऑनलाइन कोचिंग में दाखिला लिया जो जटिल पाठ्यक्रम के माध्यम से संरचित मार्गदर्शन प्रदान करता था।प्रधान ने अपनी कड़ी मेहनत और चुनौतियों का सामना करते हुए तैयारी जारी रखी और परिणाम अब सबके सामने है।

चुनौतियों पर काबू पाने की लालसा

पारिवारिक जीवन के दबाव सहित प्रतियोगी परीक्षा के लिए अत्यधिक अध्ययन जैसी बाधाओं के बावजूद, प्रधान दृढ़ रहे। मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास करने के अपने लक्ष्य पर उनके अटूट ध्यान ने उन्हें प्रेरित किया। प्रधान की यात्रा इस धारणा का उदाहरण है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है और जीवन के चरण की परवाह किए बिना सपने को हासिल किया जा सकता है।

2020 में, उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई जब उन्होंने एनआईआईटी परीक्षा सफलतापूर्वक पास की। इस उपलब्धि ने उन्हें वीर सुरेंद्र साए इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (वीआईएमएसएआर) में एक प्रतिष्ठित सीट दिलाई, जो उनकी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

जय किशोर ने 1974 में भी मेडिकल प्रवेश परीक्षा दी थी

जय किशोर प्रधान ने स्कूलिंग के बाद सन 1974 में भी मेडिकल प्रवेश परीक्षा दी थी। लेकिन तब वे असफल रहे थे।इसके बाद उन्होंने फिजिक्स से बीएएसी किया। फिर स्कूल टीचर की नौकरी की। इसके बाद इंडियन बैंक और फिर एसबीआई में नौकरी की।प्रधान ने कहा है कि डाक्टर बनने के बाद वह गरीबों के लिए काम करेंगे।

आकांक्षा के लिए कोई आयु सीमा नहीं

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 की धारा 14 में निर्धारित है कि नीट (यूजी) लेने वाले उम्मीदवारों के लिए कोई अधिकतम आयु सीमा नहीं है। यह नीति सभी उम्र के इच्छुक मेडिकल छात्रों को अपने सपनों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करती है, इस विचार को मजबूत करती है कि शिक्षा और कैरियर की आकांक्षाएं जीवन के किसी भी स्तर पर पनप सकती हैं।

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