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    ग्रामीण महिलाओं की आशा की किरण बनीं ओडिशा की यमुना, गुलाब की खेती ने बदली जिंदगी

    By SHESH NATH RAIEdited By: Piyush Pandey
    Updated: Fri, 31 Oct 2025 09:14 AM (IST)

    यमुना मांडांगी ने रामनागुड़ा की महिलाओं को गुलाब की खेती से आत्मनिर्भर बनाया। उन्होंने स्वयं सफलता पाई और अन्य महिलाओं को प्रेरित किया। पहले साल में त ...और पढ़ें

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    गुलाब की खेती करती यमुना मांडांगी। (जागरण)

    शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। गुलाब की खेती के जरिए रामनागुड़ा ब्लॉक की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं यमुना मांडांगी। पहले उन्होंने खुद खेती कर सफलता हासिल की और फिर दूसरों को इसके लिए प्रेरित किया।

    पहले ही साल में तीन लाख रुपये का कारोबार कर, अब रामनागुड़ा क्षेत्र के गुलाब को राजधानी भुवनेश्वर के बाजार तक पहुंचा चुकी हैं। बाजार में गुलाब की बढ़ती मांग के कारण अब कई महिलाएं अन्य कामकाज और व्यवसाय छोड़कर गुलाब की खेती की ओर रुख कर रही हैं और इस बदलाव की अग्रदूत बनी हैं यमुना।

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    रोजगार का साधन बनी गुलाब की खेती, सालाना तीन लाख का कारोबार

    रामनागुड़ा ब्लॉक के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित खांबागुड़ा गांव की महिलाएं पहले जंगल से मिलने वाले उत्पादों को इकट्ठा कर अपनी आजीविका चलाती थीं। लेकिन यमुना के प्रयास से अब वे गुलाब की खेती कर अपनी जिंदगी में बदलाव ला रही हैं।

    ग्रामीण महिलाओं को रोजगार दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली यमुना को रजनी काड्राका का भी पूरा सहयोग मिल रहा है।

    दोनों के प्रयास से पिछले साल मां घटगां तारणि स्वयं सहायता समूह ने पहली बार गुलाब की खेती शुरू की थी। समूह की रुचि देखकर ब्लॉक प्रशासन और जीविका मिशन ने भी सहयोग का हाथ बढ़ाया। समूह की महिलाओं को गुणुपुर कृषि विज्ञान केंद्र में उन्नत तकनीक और आधुनिक खेती के तौर-तरीकों की ट्रेनिंग दी गई।

    बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति से गुलाब की खेती का प्रशिक्षण मिलने के बाद, पुणे से 13,000 उच्च गुणवत्ता वाले पौधे लाकर ब्लॉक प्रशासन ने उपलब्ध कराए।

    समूह की महिलाओं ने गांव के एक व्यक्ति की एक एकड़ जमीन लीज पर लेकर खेती शुरू की। शुरू में गुलाब के फूलों को पास के बाजारों में पांच से दस रुपये में बेचा गया। उत्पादन बढ़ने के बाद अब पद्मपुर, गुणुपुर, रायगड़ा, बरहमपुर और भुवनेश्वर जैसे बड़े बाजारों में भी फूल भेजे जा रहे हैं।

    खेती में दक्षता हासिल करने के बाद समूह की महिलाएं अब गुलाब के फूलों से गुलाब जल बनाकर बेच रही हैं। यमुना और रजनी के मार्गदर्शन में गोगुरपांग गांव की महिलाएं भी आधा एकड़ जमीन पर गुलाब की खेती शुरू कर चुकी हैं।

    क्षेत्र की महिलाओं में बढ़ती रुचि को देखते हुए रामनागुड़ा बीडीओ प्रद्युम्न कुमार मंडल ने भी सहायता का आश्वासन दिया है। उन्होंने बताया कि गुलाब फूल और गुलाब जल की ब्रांडिंग कर इन्हें बाजार में बेचने की तैयारी चल रही है।

    इतना ही नहीं, जिलाधीश आशुतोष कुलकर्णी के सुझाव पर शुंढीढामुनी, कमुपदर, नीलकंठपुर और गोगुरपांग क्षेत्रों के चार समूह जल्द ही गुलाब की खेती शुरू करने जा रहे हैं।