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Maharashtra: उद्धव की मनमानी से नाराज कांग्रेस, विधानसभा चुनाव से पहले महा विकास अघाड़ी में शुरू हुई खींचतान

Maharashtra Politics महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी (मविआ) ने लोकसभा चुनाव में अच्छी सफलता हासिल की है। लेकिन इस चुनाव के समाप्त होते ही विधान परिषद चुनाव को लेकर मविआ के दलों में खींचतान शुरू हो गई है। उद्धव ठाकरे द्वारा मित्र दलों से पूछे बिना सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर देने से कांग्रेस में नाराजगी है। जानिए पूरा मामला।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Published: Tue, 11 Jun 2024 10:30 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jun 2024 10:30 PM (IST)
विधान परिषद चुनाव को लेकर मविआ के दलों में खींचतान शुरू हो गई है।

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी (मविआ) ने लोकसभा चुनाव में अच्छी सफलता हासिल की है। लेकिन, इस चुनाव के समाप्त होते ही विधान परिषद चुनाव को लेकर मविआ के दलों में खींचतान शुरू हो गई है। उद्धव ठाकरे द्वारा मित्र दलों से पूछे बिना सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर देने से कांग्रेस में नाराजगी है।

महाराष्ट्र में दो स्नातक एवं दो शिक्षक क्षेत्र की विधान परिषद सीटों के लिए 26 जून को चुनाव होने जा रहे हैं। शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे इन चारों सीटों के लिए मविआ में अपने मित्र दलों से सलाह किए बिना ही उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं।

चर्चा होनी चाहिए थी: कांग्रेस

उनके इस प्रकार उम्मीदवार घोषित किए जाने से नाराज प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है कि सीटों की घोषणा से पहले मविआ में चर्चा होनी चाहिए थी। कांग्रेस लोकसभा की भांति ही ये चुनाव भी मविआ के रूप में ही लड़ना चाहती है। इसलिए उद्धव ठाकरे को अपने दो उम्मीदवार वापस ले लेने चाहिए।

नाना पटोले के अनुसार, जब उद्धव ठाकरे ने अपने चारों उम्मीदवार घोषित किए थे, तब मैंने उद्धव से संपर्क करने की कोशिश की थी। तब वह लंदन में थे। उद्धव ने उस समय पूछा था कि आपके दो उम्मीदवार कौन-कौन हैं। तब मैंने उन्हें अपने दो उम्मीदवारों के नाम भी बताए थे। कांग्रेस चाहती है कि मुंबई स्नातक क्षेत्र से शिवसेना (यूबीटी) चुनाव लड़े। लेकिन कोकण स्नातक एवं नासिक शिक्षक सीट पर कांग्रेस चुनाव लड़ना चाहती है।

लोकसभा चुनाव में भी हुई थी तनातनी

गौरतलब है कि हाल के लोकसभा चुनाव में भी शिवसेना (यूबीटी) ने सीट बंटवारे का फैसला होने से पहले ही अपने ज्यादातर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी। इस कारण कांग्रेस में स्थिति असहज हो गई थी। इसके बाद ही मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम की नाराजगी सामने आई और उन्हें कांग्रेस से बाहर जाना पड़ा।

मुंबई कांग्रेस की वर्तमान अध्यक्ष वर्षा गायकवाड को भी उनकी मनचाही दक्षिण-मध्य मुंबई सीट से टिकट नहीं मिल सका। हालांकि, वह उत्तर-मध्य मुंबई की सीट से भी वरिष्ठ अधिवक्ता उज्ज्वल निकम को हराकर संसद में पहुंच चुकी हैं। इसी प्रकार पश्चिम महाराष्ट्र की सांगली सीट पर भी अंत तक रार मची रही। वहां से शिवसेना (यूबीटी) ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। जिस कारण कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे वसंत दादा पाटिल के पौत्र विशाल पाटिल को पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ना पड़ा और उन्होंने भारी मतों से जीत भी हासिल की।

अब उद्धव ठाकरे द्वारा की जा रही चालाकी भी कांग्रेस को हजम नहीं हो रही है। उद्धव ठाकरे ने लंदन में रहते हुए नाना पटोले से पूछा था कि नासिक और कोकण से कांग्रेस का उम्मीदवार कौन होगा। पटोले द्वारा जब संदीप गुलवे का नाम अपने उम्मीदवार के रूप में लिया गया तो ठाकरे ने गुलवे को शिवसेना (यूबीटी) का टिकट देकर मैदान में उतार दिया। यानी चुनकर आने के बाद गुलवे शिवसेना (यूबीटी) के सदस्य होंगे न कि कांग्रेस के।

बड़े भाई की भूमिका अब कांग्रेस के पास

पहले लोकसभा चुनाव और अब विधान परिषद चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) द्वारा की जा रही मनमानियां कांग्रेस संगठन में छोटे कार्यकर्ताओं को भी रास नहीं आ रही हैं। खासतौर से तब जब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस न सिर्फ महाराष्ट्र में 14 सीटों (अब उसके बागी विशाल पाटिल भी उसी के साथ हैं) के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, बल्कि देश के किसी भी राज्य से कांग्रेस को सर्वाधिक सीटें देने वाला राज्य महाराष्ट्र बन गया है। जबकि शिवसेना (यूबीटी) 21 सीटों पर लड़कर सिर्फ नौ सीटें जीत सकी है। इस प्रकार मविआ में बड़े भाई की भूमिका अब कांग्रेस के पास है। अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपनी उसी भूमिका के साथ सीटों की मांग रखेगी।


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