चंडीगढ़ में तंदुआ, चौंकिये मत...9 हरपेटोफौना भी दिखे, 117 प्रजाति के पक्षी भी हैं
चंडीगढ़ वन विभाग के वन्यजीव सर्वे में कांसल क्षेत्र में तेंदुआ पाया गया है। सुखना वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी सहित अन्य क्षेत्रों में हुए इस सर्वे में 9 हरपेटोफौना भी दिखे हैं। पक्षियों की प्रजातियों में भी इजाफा हुआ है, जिनकी संख्या 117 तक पहुंच गई है। अंतिम रिपोर्ट जनवरी तक प्रस्तुत की जाएगी।

चंडीगढ़ के कांसल क्षेत्र में दिखा तेंदुआ।
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। चंडीगढ़ में तेंदुआ और हरपेटोफौना के होने की खबर सुनकर आप चौंक जाएंगे। यह सच है। वन एवं वन्यजीव विभाग और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून की ओर से मिलकर किए गए सर्वे में कांसल क्षेत्र में तेंदुआ दिखा है। इसके अलावा 9 हरपेटोफौना (सरीसृप) और 117 प्रजातियों के पक्षी दिखे हैं।

सुखना वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी सहित बाटनिकल गार्डन, सुखना चो रिजर्व फाॅरेस्ट, लेक फाॅरेस्ट और अन्य क्षेत्रों में 20 से 27 नवंबर तक किए गए सर्वे की प्रारंभिक रिपोर्ट आ गई है। अंतिम रिपोर्ट 31 जनवरी तक प्रस्तुत किए जाने की संभावना है।

इस बार वन्यजीवों के साथ-साथ पेड़ों की प्रजातियों का भी सर्वे किया गया है। मुख्य वृक्ष प्रजातियां 40 और मुख्य झाड़ियां 10 मिली हैं। मुख्य घास प्रजातियां 3 मिली हैं। सर्वे में पक्षियों की प्रजातियों की संख्या 67 से बढ़कर 117 पाई गई है।

कांसल क्षेत्र में कैमरा ट्रैप में तेंदुआ दर्ज
सर्वे के दौरान एक कैमरा ट्रैप में कांसल फारेस्ट क्षेत्र में एक तेंदुए की तस्वीर कैद हुई, जो सैंक्चुअरी में बड़े मांसाहारी की उपस्थिति की पुष्टि करता है। सर्वे की खास बात यह रही कि इस बार पहली बार सुखना चो रिजर्व फॉरेस्ट, पटियाला की राव रिजर्व फाॅरेस्ट और लेक रिजर्व फाॅरेस्ट को जनगणना में शामिल किया गया।
सर्वे में वन्यजीव आंकड़े
समूह दर्ज प्रजातियां पिछला सर्वे (2021)
स्तनधारी 14 13
पक्षी 117 67
तितलियां 70 56
वनस्पति के प्रमुख अवलोकन
- मुख्य वनस्पतियां : वासा (मूल आक्रामक), करोंदा, लैटाना कैमारा (विदेशी आक्रामक), करी पत्ता
- मुख्य घास प्रजातियां : अरुंडो डोनैक्स, बब्बर और कांस
सर्वे में अपनाई गई तकनीक
- स्तनधारी : संकेत सर्वे, लाइन ट्रांसेक्ट, कैमरा ट्रैप
- पक्षी : पाइंट काउंट व ऑडियो माथ
- हरपेटोफौना : विजुअल एंकाउंटर एवं सक्रिय खोज
- तितलियां : नियत समय आधारित पद्धति
- वनस्पति : नेस्टेड क्वाड्रैट प्लाॅट
2010 की रिपोर्ट में सांभर की संख्या एक हजार थी
यह पहली बार है जब इतना बड़ा सर्वे किया जा रहा है। 2010, 2021 और 2023 में यह सर्वे सिर्फ सुखना वन्यजीव अभयारण्य तक सीमित था। पहली गणना 2010 में हुई थी, जबकि दूसरी कोविड-19 और लॉकडाउन के चलते 2020 में न होकर मई 2021 में पूरी की गई थी। 2010 की रिपोर्ट में तीन दिन के अंदर 65 पक्षी प्रजातियों की गिनती दर्ज हुई थी और उस समय सांभर की संख्या एक हजार से अधिक पाई गई थी।

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