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Punjab News: नशे से निकाल बनाया स्वावलंबी और मिटा दिया गांव के माथे पर लगा कलंक, सरपंच गुरप्रीत ने पेश की मिशाल

पंजाब के पटियाला जिले के रोहटी छन्ना गांव की सरपंच गुरप्रीत कौर ने अपने दृढ़ संकल्प और ग्रामीणों के सहयोग से गांव को नशामुक्त बनाने में सफलता हासिल की है। 92 लोगों को नशे की लत से मुक्त कराने और 37 लोगों को नशा तस्करी से बाहर निकालने वाली गुरप्रीत कौर ने युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान कर उन्हें नशे से दूर रखने का काम किया है।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Sun, 10 Nov 2024 08:34 PM (IST)
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सरपंच ने गांव को कर दिया नशे से मुक्त।
गौरव सूद, पटियाला। गांव के माथे पर लगे नशीले पदार्थों के सेवन व बिक्री के कलंक को गुरप्रीत कौर ने अपने संकल्प से मिटा दिया। इसमें उन्हें राज्य या केंद्र सरकार का तो नहीं, लेकिन गांव के लोगों का भरपूर साथ मिला। इसी मुद्दे पर उन्होंने वर्ष 2018 में सरपंच का चुनाव लड़ा तो पटियाला के गांव रोहटी छन्ना के मतदाताओं ने उन्हें जीत के साथ ही गांव को पूरी तरह नशामुक्त करने की जिम्मेदारी सौंप दी।

उनकी लगन, समर्पण और जुनून को देखकर गांव वालों ने पांच वर्ष बाद एक बार फिर से उनको सरपंच की कमान सौंपने का निर्णय लिया। गुरप्रीत कौर ने भी नशीले पदार्थों की तस्करी करने वालों की ओर से दी जाने वाली धमकियों के बाद भी 92 लोगों को जहां नशे की लत से मुक्त करा लिया, वहीं 37 लोगों को इससे जुड़े कारोबार से बाहर निकाल लिया।

दूसरे गांवों को भी नशामुक्त करने के अभियान में जुटे युवा

850 लोगों की आबादी वाले गांव में लोग फिर से नशे की गिरफ्त में न आ जाएं, इसके लिए उन्होंने उनको रोजगार उपलब्ध कराया। उनके मन व स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर खेल प्रतियोगिताएं कराईं। ऐसे में नशे के धुएं में ओझल युवाओं का भविष्य फिर संवरने लगा है। उनके प्रयास से प्रभावित हो युवा दूसरे गांवों को भी नशामुक्त करने के अभियान में जुटे हैं।

राजनीति से परिवार का दूर-दूर तक संबंध नहीं होने के बावजूद गुरप्रीत कौर ने अपनी पंचायत में बदलाव के लिए सरपंच का चुनाव लड़ा। सरपंच चुनने के बाद पहली ही बैठक में उन्होंने नशे पर चर्चा की। बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि गांव में किसी को भी नशीला पदार्थ बेचने नहीं दिया जाएगा। यदि किसी ने बेचा तो पुलिस से शिकायत की जाएगी।

अभियान की सफलता के लिए ग्रामीणों को नशे के खिलाफ शपथ दिलाई गई। इसका असर दिखा और नशे के खिलाफ अभियान सफलता की सीढ़ी चढ़ने लगा। इसके लिए उन्होंने जहां लोगों की काउंसलिंग की, वहीं जरूरत पड़ने पर चिकित्सीय सलाह भी उपलब्ध कराई।

रोजगार मिला तो युवा करने लगे नशे से तौबा

40 वर्षीय गुरप्रीत कौर ने बताया कि नशामुक्ति अभियान के दौरान लोगों की शिकायत थी कि काम नहीं होने के कारण वह मजबूरी में नशीले पदार्थों के कारोबार में संलिप्त हो जाते हैं। पड़ताल करने पर पता चला कि रोजगार न होने के कारण कई युवा नशे के मकड़जाल में फंसे हैं। ऐसे में युवाओं को मनरेगा के माध्यम से रोजगार दिलाया गया।

काम मिला तो युवा तस्करी और नशे से तौबा करने लगे। इसके साथ ही तस्करों की शिकायत पुलिस से की। डीजीपी, एसएसपी व नाभा के एसडीएम का सहयोग मिला और पुलिस चौकी में महिला पुलिस कर्मी भी तैनात हुईं। गांव के रोहटी पुल पर 24 घंटे नाकाबंदी शुरू हुई तो नशा तस्करों का हौसला टूट गया।

धमकियों के बाद भी हौसला नहीं टूटा

नशे के खिलाफ मुहिम शुरू करने के बाद गुरप्रीत कौर धमकियां मिलने लगीं, लेकिन वह पीछे नहीं हटीं। इस तरह की समस्याओं के समाधान के लिए उन्होंने 15 युवाओं की एक टीम बनाई है। गुरप्रीत ने हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में फिर से सरपंच पद का चुनाव लड़ा।

इस बार सफर आसान नहीं था, क्योंकि पिछले कई दशकों से नशे के कारोबार में जुटे परिवारों ने उनका विरोध किया। इसके बावजूद गांव के लोगों ने उन पर पुन: विश्वास जताया और एक बार फिर उन्हें सरपंच चुन लिया।

रोजगार का स्थायी मॉडल पेश करना चाहतीं हैं गुरप्रीत

गुरप्रीत कौर की योजना है कि वह ग्रामीणों को नशे के दलदल से निकालकर उनके लिए रोजगार को कोई स्थायी माडल पेश करें, ताकि वे दोबारा गलत रास्ते पर जाने के बारे में विचार भी नहीं करें। वह गांव स्तर पर कब्बडी के साथ ही कई तरह की खेल प्रतियोगिताएं भी कराती हैं।

इसमें उनके अपने गांव के साथ-साथ आसपास के दो तीन गांवों के लोगों को भी शामिल गया जाता है। इसमें विजेता टीम को उपहार भी दिए जाते हैं, ताकि युवाओं का ध्यान नशे से हटकर खेलों पर केंद्रित हो। नशा मुक्ति अभियान का खर्च तो गुरप्रीत खुद ही उठाती हैं, लेकिन खेल प्रतियोगिताओं में उन्हें गांव के करीब 50 लोगों के साथ ही कुछ प्रवासी भारतीयों का सहयोग मिल जाता है।

गांव में नशीले पदार्थ पिछले 40 वर्षों से बिक रहे थे। पूरा गांव बदनाम था। पहले तस्कर केवल चूरापोस्त बेचते थे, लेकिन अधिक मुनाफे के लालच में हेरोइन व स्मैक बेचने लगे। नशा-मुक्ति अभियान के बाद से लोगों के सहयोग और पुलिस की सख्ती का भी असर दिखा और नशा तस्करी काफी हद तक कम हो गई है।

-गुरप्रीत कौर, सरपंच

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