Move to Jagran APP

हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने बिगाड़ा पंजाब सरकार का गणित, निकाय चुनाव कराने को लेकर दिए ये निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को पांच नगर निगमों 42 नगर काउंसिल और 45 वार्डों में चुनाव करवाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग और सरकार को 15 दिनों के भीतर चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा है जिसमें राज्य सरकार को चुनाव करवाने के लिए कहा गया था।

By Inderpreet Singh Edited By: Rajiv Mishra Updated: Tue, 12 Nov 2024 03:09 PM (IST)
Hero Image
सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा- पंजाब सरकार करवाए निकाय चुनाव
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पंजाब में पांच नगर निगमों, 42 नगर काउंसिल व 45 वार्डों में चुनाव करवाने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें राज्य चुनाव आयोग व पंजाब सरकार को पंद्रह दिनों के भीतर राज्य में पांच नगर निगमों व 42 नगर परिषदों के चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा करने का निर्देश दिया गया था।

दो महीने के भीतर चुनाव कराने का दिया निर्देश

जस्टिस सूर्यकांत एवं उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि लंबित परिसीमन प्रक्रिया पर राज्य का भरोसा गलत है, खासकर इसलिए क्योंकि जनसंख्या या नगर निगम की सीमाओं में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ है। कोर्ट ने अधिकारियों को दो सप्ताह में चुनाव प्रक्रिया को अधिसूचित करने और उसके बाद दो महीने के भीतर इसे पूरा करने का समय दिया है।

हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी सरकार का स्पष्टीकरण

पीठ का यह फैसला नगर पालिका चुनाव कराने में देरी उजागर करने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई में आया। उच्च न्यायालय ने 14 अक्टूबर के अपने आदेश में राज्य के इस स्पष्टीकरण को खारिज कर दिया था कि लंबित परिसीमन प्रक्रिया स्थानीय चुनाव के आयोजन में देरी कर रही है। सुनवाई में पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह, वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी व अधिवक्ता करण शर्मा राज्य सरकार की ओर से पेश हुए।

इस अनुच्छेद के तहत खारिज कर दी अपील

शुरू में, वे इस बात पर सहमत हुए कि यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिस पर कानूनी लड़ाई लड़ी जानी चाहिए। साथ ही, अपील में उन्होंने इस बात पर बल दिया कि राज्य की ओर से देरी करने की कोई रणनीति नहीं थी परंतु पीठ ने उनकी अपील पर विचार करने से इन्कार कर दिया और राज्य को अनुच्छेद 243 में उसके दायित्वों की याद दिलाते हुए अपील खारिज कर दी।

15 दिन में जारी करनी होगी अधिसूचना

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विधानसभा की चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव खत्म होते ही राज्य सरकार को एक और चुनाव में उतरना पड़ेगा। लुधियाना, अमृतसर, जालंधर, पटियाला व फगवाड़ा में नगर निगम चुनाव करवाने को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने भी पंद्रह दिनों के अंदर अधिसचूना जारी करने को कहा था।

जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा था। पंद्रह दिनों के भीतर अधिसूचना जारी नहीं करने को लेकर हाई कोर्ट ने अवमानना का नोटिस भी जारी कर रखा है। सरकार को उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट से उसे राहत मिल जाएगी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव करवाने को कह दिया है।

यह भी पढ़ें- लुधियाना में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के विमान को उतारने की नहीं मिली अनुमति, जानें क्या है कारण?

स्थानीय निकाय मंत्री को झेलनी पड़ी विधायकों की नाराजगी

जिस समय सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ रहा था, स्थानीय निकाय विभाग के मंत्री डॉ. रवजोत सिंह संबंधित निगमों व कौंसिलों से संबंधित विधायकों के साथ बैठक कर रहे थे। बैठक में विधायकों ने लंबित कामों को लेकर विभाग से सख्त नाराजगी जताई।

विधायकों ने यहां तक कहा कि निगमों व कौंसिलों की ओर से दो-दो वर्ष से प्रस्ताव पारित करके मुख्यालय भेजे गए हैं परंतु न तो उन प्रस्तावों को रद किया गया और न ही उन्हें अनुमोदन देकर लौटाया गया है। पटियाला से विधायक डा बलबीर सिंह ने बैठक में टाउन प्लानिंग योजनाओं को पूरा नहीं करने पर नाराजगी व्यक्त की।

बैठक में पांच सौ करोड़ रुपए की लागत से पेयजल योजना पूरा नहीं होने को लेकर भी विधायक नाराज दिखे। उनका कहना था कि तीन सौ किलोमीटर क्षेत्र में पानी की पाइप बिछनी थी पर अभी तक केवल 125 किलोमीटर में ही पूरी हुई है।

यह भी पढ़ें- विवादित बयानों से बीजेपी उम्मीदवारों की मुसीबत बढ़ा रहे रवनीत बिट्टू, उपचुनाव में हो सकता है भारी नुकसान

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।