Rajasthan: हाई कोर्ट ने एसआई पेपर लीक मामले में सबूतों को माना संदिग्ध, 10 आरोपियों को दी जमानत
Rajasthan SI Paper Leak जयपुर हाई कोर्ट ने एसआई पेपर लीक मामले में 10 आरोपियों को जमानत दे दी। साथ ही कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कई अहम टिप्पणियां की हैं और एसओजी की ओर से जमा किए गए सबूत पर संदेह जताया है। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टि में ये सबूत संदिग्ध लगते हैं। साथ ही अदालत ने पूरी भर्ती प्रक्रिया को संदेह के घेरे में बताया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जयपुर हाई कोर्ट में शुक्रवार को सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए 10 आरोपियों को जमानत दे दी। कोर्ट ने इन आरोपियों के खिलाफ पेश किए गए सबूत को संतोषजनक नहीं माना और इस पर संदेह भी जताया।
कोर्ट ने कहा कि पेश किये गए सबूत प्रथम दृष्या संदेहास्पद नजर आते हैं। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने 10 आरोपियों को निजी मुचलके पर जमानत दे दी। गौरतलब है कि इससे पहले मामले पर जयपुर हाई कोर्ट में 7 और 8 नवंबर को सुनवाई हुई थी। तब कोर्ट ने आरोपियों और SOG से लिखित में अंतिम प्रस्तुतीकरण मांगा था।
9 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज
इसके बाद कोर्ट ने 22 नवंबर को सुनवाई करते हुए करणपाल, एकता, मनोहर, सुरेंद्र, रोहिताश्व, प्रेमसुखी, अभिषेक, राजेश्वरी, प्रवीण और नीरज कुमार यादव इन 10 आरोपियों को जमानत दे दी है। वहीं, 9 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। बता दें कि कुल 19 ट्रेनी सब इंस्पेक्टरों ने हाई कोर्ट में जमानत की गुहार लगाई थी, इन पर पेपर लीक में शामिल होने का आरोप है।पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, इन आरोपियों को परीक्षा से पहले ही प्रश्नपत्र मिल गया था। इसके बाद इन्होंने दूसरे अभ्यर्थियों के साथ ही ये पेपर शेयर किया था। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि 9 आरोपियों पर परीक्षा से पहले पेपर पढ़ने का आरोप है, लेकिन प्रथम दृष्टया यह सबूत संदेहास्पद लग रहे हैं। कोर्ट ने लिखा है, 'उक्त दस्तावेज जिस तरह से लिखे गए हैं, प्रथम दृष्टया वे संदिग्ध प्रतीत होते हैं।' कोर्ट ने यह टिप्पणी करणपाल, एकता, मनोहर, सुरेंद्र, रोहिताश्व, प्रेमसुखी, अभिषेक, राजेश्वरी, नीरज के आरोपों पर बहस के दौरान की।
भर्ती प्रक्रिया पर उठाए सवाल
वहीं एक अन्य आरोपी प्रवीण को भी कोर्ट ने जमानत दी। उस पर पेपर सॉल्व करने का आरोप था। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी ने कोई ऐसे सबूत पेश नहीं किए हैं, जिससे पता चले कि प्रवीण ने पेपर सॉल्व कर के सर्कुलेट किया था। कोर्ट ने पाया कि प्रवीण ने अपनी पत्नी को भी सॉल्व किए हुए सवाल नहीं भेजे थे।जयपुर हाई कोर्ट ने पूरी भर्ती प्रक्रिया को संदेह के घेरे में माना है और परीक्षा कराने वाली एजेंसी राजस्थान लोक सेवा आयोग पर भी सवाल उठाए है। कोर्ट ने कहा कि जांच में जो बातें सामने आई हैं, उससे पूरे समाज पर असर पड़ता है। अभी इस मामले की जांच चल रही है, इसलिए हम ज्यादा टिप्पणी नहीं करना चाहते।
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