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Daksheshwar Mahadev Temple: राजा दक्ष की याद में बना है हरिद्वार का यह मंदिर, पढ़ें इससे जुड़ी कथा

पंचांग के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 जुलाई 2024 दिन रविवार को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी। उदया तिथि को देखते हुए 22 जुलाई को सावन शुरू होगा। सावन में शिव मंदिरों को बेहद सुंदर तरीके से सजाया जाता है। इस दौरान साधक भगवान शिव की पूजा करने और उनके दर्शन करने के लिए शिव मंदिरों का रुख करते हैं।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Published: Wed, 26 Jun 2024 01:43 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jun 2024 01:43 PM (IST)
Daksheshwar Mahadev Temple: इस मंदिर में सावन में शिव जी विराजमान होते हैं

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Dakshineshwar Mahadev Temple: सावन का महीना बेहद खास माना गया है, क्योंकि यह महीना देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस माह में भगवान शिव की उपासना और व्रत करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन सदैव खुशहाल रहता है। अगर आप सावन में मंदिर जाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो आप दक्षेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन जरूर करें। मान्यता है कि सावन में इस मंदिर में देवों के देव महादेव विराजमान होते हैं। आइए जानते हैं इस आर्टिकल में दक्षेश्वर महादेव मंदिर के बारे जुड़ी अहम जानकारी।

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भगवान शिव को समर्पित दक्षेश्वर महादेव मंदिर हरिद्वार में स्थित है। यह मंदिर मान्यताओं की वजह से बेहद प्रसिद्ध है। सावन में मंदिर में अधिक संख्या में श्रद्धालु शिव जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। इस दौरान बेहद भव्य नजारा देखने को मिलता है। मान्यता है कि दक्षेश्वर महादेव मंदिर माता सती के पिता राजा दक्ष की याद में बनवाया गया है।

पौराणिक कथा के अनुसार, दक्ष नाम के राजा ने एक बार यज्ञ करवाया था। यज्ञ में शामिल होने के लिए राजा ने देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन यज्ञ में महादेव को नहीं बुलाया। इस घटना से माता सती ने अपमान महसूस किया। इसके बाद उन्होंने शिव जी से अनुमति मांगकर यज्ञ में पहुँचती हैं। वहां उनके पिता राजा दक्ष शिव जी का अपमान करते हैं, जिसे माता सती सहन नहीं कर पाती और वह अग्नि कुंड में कूदकर आत्मदाह कर लेती हैं। इसके बाद भगवान शिव क्रोधित होकर अपनी जटाओं से वीरभद्र को पैदा करते हैं। राजा के सिर को काट देते हैं।  

ऐसे में देवी-देवताओं के कहने पर महादेव ने राजा को बकरे का सिर लगाकर जीवनदान दिया। इसके बाद राजा ने प्रभु से क्षमा मांगी, जिसके बाद शिव जी ने राजा को माफ कर यह वचन दिया कि हरिद्वार का मंदिर उनके नाम से जुड़ा रहेगा और कहा कि सावन के महीने में मंदिर में वह वास करेंगे।  

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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