Guru Pradosh Vrat 2024: शिव-शक्ति के आशीर्वाद से मिलेगा सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद, जरूर करें ये आरती
प्रदोष व्रत को शिव जी की कृपा प्राप्ति के लिए एक उत्तम तिथि माना गया है। इस दिन भगवान शिव और पार्वती का पूजन करने का विधान है। इससे महादेव प्रसन्न होते हैं और साधक पर अपनी दया दृष्टि बनाए रखते हैं। ऐसे में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए प्रदोष व्रत के दिन माता पार्वती और भगवान शिव के पूजन के अंत में आरती जरूर करनी चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर माह में शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। यह तिथि मुख्य रूप से भगवान शिव के लिए समर्पित है। इस दिन पर रात्रि जागरण करने का भी विधान है। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने से साधक को महादेव की कृपा तो मिलती ही है। साथ ही सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद भी मिलता है।
प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त
आषाढ़ माह की शुक्ल त्रयोदशी तिथि 18 जुलाई 2024 को रात 08 बजकर 44 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं, इसका समापन 19 जुलाई को शाम 06 बजकर 41 मिनट पर होगा। ऐसे में आषाढ़ माह का दूसरा प्रदोष व्रत 18 जुलाई, गुरुवार के दिन किया जाएगा। गुरुवार के दिन पड़ने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत भी कहा जाएगा। इस दौरान पूजा का मुहूर्त रात 08 बजकर 44 मिनट से 09 बजकर 23 मिनट तक रहने वाला है।
भगवान शिव की आरती
जय शिव ओंकारा ऊँ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ऊँ जय शिव...॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ऊँ जय शिव...॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ऊँ जय शिव...॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ऊँ जय शिव...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ऊँ जय शिव...॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ऊँ जय शिव...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ऊँ जय शिव...॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ऊँ जय शिव...॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ऊँ जय शिव...॥
जय शिव ओंकारा हर ऊँ शिव ओंकारा|
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ऊँ जय शिव ओंकारा...॥
माता पार्वती की आरती
जय पार्वती माता जय पार्वती माता
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुणगु गाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा
देव वधुजहं गावत नृत्य कर ताथा।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
शुम्भ निशुम्भ विदारेहेमांचल स्याता
सहस भुजा तनुधरिके चक्र लियो हाथा।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
देवन अरज करत हम चित को लाता
गावत दे दे ताली मन मेंरंगराता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।
जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।
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