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    Margashirsha Purnima 2025: साल की आखिरी पूर्णिमा पर जरूर करें तुलसी चालीसा का पाठ, धन से भर जाएंगे भंडार

    Updated: Tue, 02 Dec 2025 05:36 PM (IST)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा का त्योहार 04 दिसंबर (Margashirsha Purnima 2024) को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूज ...और पढ़ें

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    Margashirsha Purnima 2025: किस तरह प्राप्त करें मां लक्ष्मी की कृपा (Image Source: AI-Generated)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजा करने से साधक को मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। अगर आप भी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन तुलसी के पौधे की पूजा-अर्चना करें। इसके बाद सच्चे मन से तुलसी चालीसा का पाठ करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, तुलसी चालीसा का पाठ करने से घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है। साथ ही देवी की कृपा से धन लाभ के योग बनते हैं। ऐसे में आइए पढ़ते हैं तुलसी चालीसा।

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    मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 डेट और टाइम (Margashirsha Purnima 2025 Date and Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 04 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 37 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 05 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 43 मिनट पर होगा। ऐसे में 04 दिसंबर को मार्गशीर्ष पूर्णिमा मनाई जाएगी।

    तुलसी चालीसा के पाठ से मिलते हैं ये लाभ

    • पूर्णिमा के दिन तुलसी चालीसा का पाठ करने से धन लाभ के योग बनते हैं।
    • मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
    • सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
    • घर में मां लक्ष्मी का वास होता है।
    • सभी संकट दूर होते हैं।
    • तिजोरी कभी खाली नहीं होती है।

    ।।तुलसी चालीसा।।

    श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।

    जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।

    नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।

    दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।

    विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।

    भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।

    जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।

    करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।

    कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।

    तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।

    कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।

    वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।

    श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।

    कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।

    छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।

    तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।

    औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता,

    देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।

    वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।

    नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।

    नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।

    नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।

    नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।

    नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।

    नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।

    जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।

    निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।

    करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।

    शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।

    क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।

    मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।

    जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।

    बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।

    प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।

    चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।

    करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।

    पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।

    यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।

    करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।

    है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।

    तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।

    भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।

    यह श्रीतुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।

    गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।।

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