Masik Kalashtami 2024: कालाष्टमी की पूजा में करें ये पाठ, सभी प्रकार के भय और चिंता से मिलेगी मुक्ति
कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा-अर्चना का विधान है। इस दिन पर काल भैरव की आराधना से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मुख्य रूप से कालाष्टमी की पूजा तंत्र-मंत्र की साधना करने वाले उपासकों द्वारा की जाती है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आप किस तरह कालाष्टमी के दिन काल भैरव देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कालाष्टमी (Masik Kalashtami 2024) मनाई जाती है। जिसमें साधक भगवान शिव के उग्र स्वरूप कालभैरव की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही इन्हें तंत्र-मत्र का देवता भी माना गया है। ऐसे में आप कार्तिक माह की कालाष्टमी पर कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए काल भैरव अष्टक का पाठ कर सकते हैं, जिससे आपको महादेव की भी कृपा प्राप्त हो सकती है।
कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Masik Kalashtami 2024 Muhurat)
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर 24 को देर रात 01 बजकर 18 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 25 अक्टूबर को देर रात 01 बजकर 58 मिनट पर होने जा रहा है। कालाष्टमी की पूजा निशिता मुहूर्त में करने का विधान है। ऐसे में कार्तिक माह की कालाष्टमी गुरुवार, अक्टूबर 24 को मनाई जाएगी।
इस तरह करें पूजा
कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थल की साफ-सफाई के बाद गंगाजल का छिड़काव करें। अब एक चौकी पर काल भैरव की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें। धूप, दीपक जलाकर फूल, अक्षत, रोली और चंदन आदि अर्पित करें। पूजा के अंत में काल भैरव देव के मंत्रों का जाप करें। साथ ही आप इस दिन पर काल भैरव अष्टक के पाठ द्वारा भी शुभ फलों की प्राप्ति कर सकते हैं।(Picture Credit: Freepik)
काल भैरव अष्टक
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥यह भी पढ़ें - Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर दुर्लभ 'शिववास' योग का हो रहा है निर्माण, प्राप्त होगा दोगुना फल
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥यह भी पढ़ें - Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर इन चीजों से करें भगवान शिव का अभिषेक, आर्थिक तंगी होगी दूर
॥ फल श्रुति॥कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम् ।शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥॥इति कालभैरवाष्टकम् संपूर्णम् ॥अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।