Pradosh Vrat 2024: शिव चालीसा का पाठ करते समय न करें ये गलतियां, महादेव हो सकते हैं नाराज
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) का त्योहार भगवान शिव और मां पार्वती के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उत्तम माना जाता है। क्योंकि हर माह में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि महादेव को समर्पित है और इस दिन संध्याकाल में विशेष उपासना की जाती है। साथ ही शिव चालीसा (Shiv Chalisa Path Vidhi) का पाठ करने का विधान है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में भगवान शिव को त्रयोदशी तिथि बेहद प्रिय है। इस शुभ तिथि पर प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन शिव चालीसा का पाठ करते समय कुछ गलतियों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से जातक को जीवन में भगवान शंकर की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है और कई समस्याएंआ सकती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं शिव चालीसा पढ़ते समय किन गलतियों को करने से बचना चाहिए?
न करें ये गलतियां
- शिव चालीसा के पाठ के दौरान किसी के बारे में गलत न सोचें।
- इसका पाठ करते समय तन-मन की स्वच्छता का ध्यान रखें।
- गंदे और काले वस्त्र धारण न करें।
- शिव चालीसा का पाठ करते समय बीच न रुकें। लगातार इसका पाठ करें।
- पूजा से पहले और बाद में तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- घर और मंदिर को गंदा न रखें।
॥ शिव चालीसा ॥
॥ दोहा ॥जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान ॥॥ चौपाई ॥जय गिरिजा पति दीन दयाला ।सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।कानन कुण्डल नागफनी के ॥अंग गौर शिर गंग बहाये ।मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।छवि को देखि नाग मन मोहे ॥
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर को सुबह 06 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी। इसके अगले दिन यानी 29 नवंबर को सुबह 08 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार 28 नवंबर को मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त (Guru Pradosh Vrat 2024 Puja Time) शाम को 05 बजकर 24 मिनट से लेकर 08 बजकर 06 मिनट तक है।
मैना मातु की हवे दुलारी ।बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥कार्तिक श्याम और गणराऊ ।या छवि को कहि जात न काऊ ॥देवन जबहीं जाय पुकारा ।तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥किया उपद्रव तारक भारी ।देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ ।लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥आप जलंधर असुर संहारा ।सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥किया तपहिं भागीरथ भारी ।पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥वेद नाम महिमा तव गाई।अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥कीन्ही दया तहं करी सहाई ।नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥सहस कमल में हो रहे धारी ।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।कमल नयन पूजन चहं सोई ॥कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।संकट से मोहि आन उबारो ॥मात-पिता भ्राता सब होई ।संकट में पूछत नहिं कोई ॥स्वामी एक है आस तुम्हारी ।आय हरहु मम संकट भारी ॥अगर आप वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करें और मां पार्वती को सोलह शृंगार की चीजें अर्पित करें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं।
धन निर्धन को देत सदा हीं ।जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥शंकर हो संकट के नाशन ।मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।शारद नारद शीश नवावैं ॥नमो नमो जय नमः शिवाय ।सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥जो यह पाठ करे मन लाई ।ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।पाठ करे सो पावन हारी ॥पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥पण्डित त्रयोदशी को लावे ।यह भी पढ़ें: Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत पर करें शिव जी के साथ मां पार्वती की पूजा, जीवन में आएंगी खुशियां
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥जन्म जन्म के पाप नसावे ।अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥॥ दोहा ॥नित्त नेम कर प्रातः ही,पाठ करौं चालीसा ।तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश ॥मगसर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान ।अस्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याणयह भी पढ़ें: Guru Pradosh Vrat 2024: गुरु प्रदोष व्रत पर दुर्लभ सौभाग्य योग समेत बन रहे हैं ये 5 अद्भुत संयोग अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।